facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

लेखक : देवाशिष बसु

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

अतार्किक विकल्प: ट्रिकल डाउन सिद्धांत और ‘विकसित भारत’

उद्यमियों और शेयर बाजार में सक्रिय कारोबारियों को लग रहा है कि नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में देश को ‘विकसित भारत’ बना देंगे। परंतु, प्रश्न यह है कि हम इस बदलाव को किस दृष्टिकोण के साथ देख रहे हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), कर राजस्व, शेयर बाजार सूचकांक, कंपनियों का मुनाफा बढ़ना, निवेश में […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: संरचनात्मक सुधारों से अर्थव्यवस्था को धार, अभी ‘मोदी 1.5’ में भारत

आम चुनाव अब अपने अंतिम चरणों की तरफ बढ़ रहा है और इसी बीच यह कहा जाने लगा है कि मोदी 3.0 (मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल) के लिए कार्य योजनाएं भी तैयार हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं उसके समर्थकों को लग रहा है कि नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में देश […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: भारत से क्यों गईं विदेशी वित्तीय कंपनियां?

सन 1992 के प्रतिभूति घोटाले के बाद कई विदेशी बैंकों ने जो अहंकार से भरी चुटकियां लीं और उत्तर दिए उनमें से एक यह भी था, ‘अगर आप घर का मुख्य द्वार खुला रखेंगे तो आपके घर में चोरी होने की आशंका है।’ यह टिप्पणी सिटी बैंक के एक काउबॉय बैंकर ने की थी। वह […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: म्युचुअल फंड की जोखिम जांच कितनी उपयोगी?

इस वर्ष के शुरू में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्युचुअल फंडों को उनकी योजनाओं में रकम का अंधाधुंध प्रवाह नियंत्रित करने एवं पोर्टफोलियो में बदलाव करने के निर्देश दिए थे। नियामक ने यह निर्देश इसलिए दिया था कि बेरोक-टोक निवेश आने से बाजार में अनिश्चितता बढ़ जाती है। एक साल […]

अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: क्यों बरकरार है रोजगार निर्माण की समस्या?

मार्च के अंतिम सप्ताह में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि सरकार सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को हल नहीं कर सकती है। उन्होंने इसके लिए बेरोजगारी का उदाहरण दिया। उन्होंने चकित करते हुए कहा कि सरकार बेरोजगारी के मोर्चे पर और लोगों को काम पर रखने के अलावा कर ही क्या […]

आज का अखबार, लेख

चुनावी बॉन्ड से चंदे पर शेयरधारक क्यों अंधेरे में?

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने पिछले दिनों चुनावी बॉन्ड पर दो दस्तावेज में जानकारियां सौंपी। चुनावी बॉन्ड खरीदना पूरी तरह कंपनियों एवं उद्यमियों की इच्छा पर निर्भर था मगर प्रश्न यह है कि कोई कंपनी या इकाई अपनी मेहनत की कमाई स्वार्थ सिद्धि करने वाले राजनीतिज्ञों को क्यों दे? कंपनियां तभी ऐसा करती हैं जब […]

आज का अखबार, लेख

Byju’s की विफलता के जाहिर थे संकेत

एडटेक कंपनी बैजूस कारोबारी दुनिया के सबसे उल्लेखनीय नाटकीय पतन के उदाहरणों में से एक की ओर बढ़ रही है। एक वर्ष से थोड़ा पहले भारत में पांच डेकाकॉर्न कंपनियां थीं। डेकाकॉर्न से तात्पर्य है ऐसी स्टार्टअप जिनका मूल्यांकन 10 अरब डॉलर के करीब हो। दुनिया में केवल 47 ऐसी स्टार्टअप हैं और सबसे मूल्यवान […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: 2047 तक आर्थिक दिशा तय करने को श्वेत पत्र

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी किया। हालांकि यह श्वेत पत्र मौजूदा आर्थिक स्थिति और अगले पांच वर्षों के लिए आर्थिक खाके के ब्योरे से नहीं जुड़ा था बल्कि इस श्वेत पत्र के माध्यम से वर्ष 2004 से 2014 तक सत्ता में रहे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: कारोबारी सुगमता बनाम कर मांग का दबाव

पिछले दिनों 80,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण और 16,000 करोड़ रुपये की बिक्री वाली कंपनी पॉलिकैब का शेयर उस समय नौ फीसदी गिर गया जब यह खबर आई कि कथित कर चोरी के लिए उसके कार्यालयों में आय कर के छापे पड़े। एक दिन के लिए शेयर की कीमत में स्थिरता आई और उसके […]

आज का अखबार, लेख

अतार्किक विकल्प: आंकड़ों की कमान से तेजी के अनुमान

क्या यह हैरान करने वाली बात नहीं है कि आर्थिक और वित्तीय अनुमानों का बहुत ही भयावह रिकॉर्ड रहा है। फिर भी मीडिया वर्ष के शुरू में आर्थिक विकास और साल के अंत तक बाजारों का प्रदर्शन कैसा रहेगा, इस पर दर्जनों अनुमान प्रकाशित करता है। अनुमान लगाना अमेरिका में ज्यादा औपचारिक और सुव्यवस्थित व्यापार […]

1 2 3 4 5 6