वॉलमार्ट के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) डग मैकमिलन भारत के दौरे पर हैं। निवेदिता मुखर्जी और एके भट्टाचार्य के साथ बातचीत में मैकमिलन ने संकेत दिया कि मल्टी-ब्रांड रिटेल की उनकी कोई तमन्ना नहीं है और फ्लिपकार्ट तथा फोनपे के साथ आपूर्ति और तकनीक पर ही उनका ध्यान है। उन्होंने दोनों कंपनियों के आईपीओ और चीन के मुकाबले भारतीय बाजार की तेज रफ्तार के बारे में भी बात की। मुख्य अंश:
मैं बहुत उत्साह में हूं। मैं 2004 में पहली बार भारत आया था और उसके बाद से यहां आता रहा हूं। मुझे लगता है कि इस देश की स्थिति वाकई अच्छी है। वित्तीय सेवा और बुनियादी ढांचा समेत विभिन्न क्षेत्रों में यहां वास्तविक प्रगति हो रही है। हमारा मकसद भारत से निर्यात बढ़ाना है। 2020 में हमने लक्ष्य रखा कि 2027 तक भारत से निर्यात को 10 अरब डॉलर सालाना पर पहुंचाना है।
उस समय निर्यात इसके पांचवें हिस्से भर ही था, इसलिए छोटे से समय बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल करना था। जब हमने विनिर्माताओं के साथ शुरुआत की तो उत्पाद बहुत कम थे। होम टेक्सटाइल में बड़ा मौका था। मगर अब होम टेक्सटाइल ही नहीं, परिधान, जूते, खिलौने, बाइसिकल आदि में बहुत मौके हैं। हमें तो अमेरिका के लिए मछली निर्यात करने वाला भी मिल गया। आज हमें ऐसे कारखाने चाहिए, जो समय पर बेहतरीन वस्तुएं तैयार कर सकें।
शायद आप बेहतर बता सकें। मेरे हिसाब से फ्लिपकार्ट हमारा मार्केटप्लेस कारोबार है, फोनपे वित्तीय सेवा कारोबार है। हमारे पास आपूर्तिकर्ता हैं और देश में करीब 10,000 तकनीकी विशेषज्ञ हमारे लिए काम करते हैं। इसलिए हमारी पहचान कई हैं।
दोनों के आईपीओ आने ही हैं। मुझे खुशी है कि फोनपे का मुख्यालय भारत में है और इसका आईपीओ यहीं से आएगा। लेकिन समय का फैसला कंपनी के निदेशक मंडल को करना है।
मैंने कहा कि हमें ऐसा करने का भरोसा है मगर उसके लिए काफी कुछ करना है। हमने अपनी टीम को प्रेरित करने के लिए और भारत में लोगों को यह बताने के लिए लक्ष्य तय किया कि अपना कारोबार बढ़ाने के लिए हम वाकई गंभीर हैं। अब श्रेणियों की बढ़ी संख्या और राजमार्ग, गहरे जल के बंदरगाह आदि से इसे हासिल करना आसान है मगर काफी काम करना है।
सरकार ऐसे कई काम कर रही है, जो उद्यमियों और विनिर्माताओं के लिए मददगार हैं। बुनियादी ढांचे में निवेश उनमें सबसे अहम है। अब हमें ज्यादा से ज्यादा विनिर्माताओं तक पहुंचकर उन्हें साथ जोड़ना है। इसके लिए हमने ट्राइडेंट और वेलस्पन जैसी अपनी बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनियों को अमेरिका ले जाकर अपनी योजना पर उनसे बात की है। इस साल हम यहां दूसरे देशों जैसा कार्यक्रम भी करना चाहते हैं, जिसमें हमें नए आपूर्तिकर्ता मिल सकें।
हम जिन देशों में काम करते हैं, वहां रिटेल के नियम अलग-अलग हैं। हम निष्पक्षता, पारदर्शिता, प्रक्रिया में भागीदारी और टिकाऊ नीतियां चाहते हैं।
काम अच्छी तरह से बढ़ रहा है। पिछले कुछ साल में पूरी दुनिया में ई-कॉमर्स छा गया और हमारा भी हर देश में ई-कॉमर्स कारोबार है। उनमें से कई देशों में फ्लिपकार्ट की तरह हमारे मार्केटप्लेस हैं। इसलिए ई-कॉमर्स, फ्लिपकार्ट और फोनपे कारोबार से हम खुश हैं। हमारा ध्यान निवेश और स्थानीय टीमों की मदद करने पर है। स्थानीय टीम फैसले लेती है और हम उसकी मदद करते हैं।
हम फ्लिपकार्ट और फोनपे से खुश हैं और हमारा ध्यान उन्हीं पर है।
जितना जरूरी होगा हम निवेश करेंगे। फ्लिपकार्ट और फोनपे में शुरुआती निवेश 16 अरब डॉलर था और उसके बाद भी कई बार काफी निवेश किया गया। हमने कहा है कि अंत में आईपीओ आएगा और उस समय कई और निवेशक भी हिस्सेदारी कर पाएंगे। हम यहां लंबे समय के लिए हैं और फ्लिपकार्ट तथा फोनपे को बड़ी तादाद में निवेशकों का साथ दिलाना चाहते हैं। कारोबार को ऊपर ले जाने में छोटे निवेशकों की भी भागीदारी होनी चाहिए।
सौदा बहुत अच्छा रहा और यहां निवेश करके हम बहुत खुश हैं। हां, निवेश चक्र के कारण शुरुआत में वॉलमार्ट के निवेशकों के मन में सवाल थे। साल बीतने के साथ ही वॉलमार्ट समुदाय को समझ आ गया है कि ये कारोबार शानदार हैं और हमने सही समय पर पुख्ता योजना के साथ निवेश किया था। उन्हें भारत के बाहर भी फ्लिपकार्ट और फोनपे के फायदे दिख रहे हैं। फ्लिपकार्ट दक्षिण अफ्रीका में ई-कॉमर्स कारोबार शुरू करने में मदद कर रही है और फोनपे से धोखाधड़ी पहचानने की सेवा में मदद मिल रही है। हम 20 देशों में काम कर रहे हैं और जानकारी के आदान-प्रदान में फ्लिपकार्ट तथा फोनपे हमारी मदद कर रही हैं।
भारत बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रहा है मगर यहां अलग तरह का कारोबार है। यहां बिकने वाले सामान के कुल मूल्य के आंकड़े आते हैं मगर चीन में असली कमाई के आंकड़े होते हैं। इसलिए दोनों की तुलना नहीं हो सकती। बहरहाल भारत में कारोबार के लिहाज से ही नहीं बल्कि लोगों की नियुक्ति और उत्पादों की आपूर्ति में भी बहुत संभावनाएं हैं।
इस हफ्ते मैं सबसे यही कहूंगा कि हम अच्छे साझेदार बनाना चाहते हैं, हम सबकी मदद करते हुए कारोबार करना चाहते हैं।