भविष्य के लिए मुफ्त अनाज वितरण पर पुनर्विचार और PMGKAY में सुधार की आवश्यकता
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अपने रहवासियों द्वारा नि:शुल्क वितरित खाद्यान्न के इस्तेमाल को लेकर कुछ चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। ये आंकड़े कुछ समय पहले के एक सर्वेक्षण से लिए गए हैं और ये दिखाते हैं कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत दिल्ली के कुल […]
रेवेन्यू के रूप में टैरिफ: आयात शुल्क ढांचे में बदलाव से राज्यों की आमदनी बढ़ी
इन दिनों सभी शुल्कों की बात कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत को ‘ट्रैफिक किंग’ की संज्ञा दी है जिससे उनका आशय है कि यह काफी ऊंचे शुल्क लगा रहा है। ट्रंप ने भारत से आने वाली ज्यादातर वस्तुओं पर 50 फीसदी से अधिक शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। […]
एयर इंडिया विमान दुर्घटना: जानकारी लीक पर नहीं, संस्थागत सुधार पर दें जोर
गत 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण 260 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस हादसे का जहां लोगों को बहुत दुख है वहीं इसके बाद हो रही जांच की प्रक्रिया को लेकर भी बहुत अधिक असहजता का माहौल है। हालिया घटनाक्रम का […]
राष्ट्रीयकरण के तीन उदाहरण: SBI, LIC और Air India पर सरकार के रुख से मिले सबक
करीब सात दशक पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत सरकार ने तीन प्रमुख संस्थानों का राष्ट्रीयकरण किया था। उनमें से एक भारतीय स्टेट बैंक इस महीने अपने पुनर्जन्म यानी राष्ट्रीयकरण की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है और दूसरे भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के राष्ट्रीयकरण के 70 वर्ष 2026 में पूरे हो जाएंगे। […]
जैसे-जैसे घटीं PSU विनिवेश से आमदनी, वैसे-वैसे बढ़ा सरकार का पूंजीगत खर्च
देश के सार्वजनिक उपक्रमों यानी पीएसयू के साथ नरेंद्र मोदी सरकार के संबंध पिछले 10 साल में काफी बदल गए हैं। इसे लेकर कुछ स्पष्ट तो कुछ अस्पष्ट रुझान हैं। केंद्रीय पीएसयू में सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश से होने वाली प्राप्तियों में बढ़ोतरी और गिरावट ऐसा ही एक स्पष्ट रुझान है। यह वर्ष 2014-15 में […]
राजस्व के अधिक अनुमान के खतरे
क्या 2024-25 के केंद्रीय बजट के लिए हाल ही में जारी किए गए प्रारंभिक वास्तविक आंकड़ों में ‘देजा वू’ की भावना है? देजा वू एक ऐसी स्थिति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि वह किसी घटना को पहले भी अनुभव कर चुका है, भले ही वह पहली बार घटित […]
भारतीय कंपनियों के विदेशी निवेश से उठे सवाल
गत वित्त वर्ष में भारत में विशुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की आवक में 96 फीसदी की गिरावट क्यों आई? वर्ष 2024-25 में यह करीब 0.35 अरब डॉलर रहा जो इसके पिछले वर्ष 10.13 अरब डॉलर था। यह केवल एक साल में रिकार्ड गिरावट नहीं थी बल्कि विगत दो दशकों में देश में विशुद्ध एफडीआई […]
सीमा पर संघर्ष की कीमत और राजकोषीय मोर्चा
दो पड़ोसी देशों के बीच सैन्य संघर्ष हमेशा उनकी सरकारों की वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक असर डालता है। भारत की बात करें तो हमने ऐसा प्रभाव करीब ढाई दशक पहले महसूस किया था। करीब ढाई महीने तक चली करगिल की जंग ने तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के 1999-2000 के राजकोषीय आकलन को बुरी तरह […]
अफसरशाहों की नई पदस्थापना के संदेश
केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सचिव स्तर पर जो बड़ा फेरबदल किया उसे उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी दी जानी चाहिए थी। शुक्रवार को सरकार ने विभिन्न विभागों के प्रमुखों के रूप में 18 नए सचिव नियुक्त किए। आमतौर पर ऐसी नियुक्तियां रूटीन मानी जाती हैं जिन्हें जरूरत के मुताबिक किया जाता है। परंतु गत […]
संकट को अवसर में बदलना है, तो भारत को सुधारों की नई रूपरेखा चाहिए
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शुल्क के मोर्चे पर जो कदम उठाए, उनसे भारत के आर्थिक नीति विशेषज्ञों में इस बात की रुचि उत्पन्न हो गई है कि भारत को उभरती चुनौतियों के प्रति किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उनकी दिलचस्पी केवल यह देखने में नहीं है कि अमेरिका को आसान व्यापारिक शर्तों के […]