Census 2027: केंद्रीय कैबिनेट ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है और इसकी समयसीमा भी घोषित कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। साल 2027 में होने वाली जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी और इसमें जाति आधारित गणना को शामिल किया जाएगा।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ‘जनगणना 2027’ दो चरणों में आयोजित की जाएगी, जिसके तहत अप्रैल और सितंबर 2026 के बीच घरों की सूची तैयार की जाएगी और फरवरी 2027 में जनगणना की जाएगी। लगभग 30 लाख फील्ड कर्मचारी यह काम करेंगे। हालांकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के बर्फ से ढके क्षेत्रो में जनगणना सितंबर 2026 में आयोजित की जाएगी।
वैष्णव ने कहा, “पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 की जनगणना COVID-19 महामारी के कारण नहीं हो सकी, और अगली जनगणना 2027 में होनी है… यह एक बहुत बड़ी प्रक्रिया है, और इसे डिजिटल टेक्नोलॉजी के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के साथ, अच्छी तरह से प्लान करके करने की पूरी तैयारी कर ली गई है।”
डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और मॉनिटरिंग के लिए केंद्रीय पोर्टल होगा। जिससे डेटा की गुणवत्ता को बेहतर होगी। डेटा प्रसार भी बेहतर और यूजर फ्रेंडली होगा। ताकि नीतिगत फैसलों के लिए जरूरी सभी आंकड़े एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकें। Census-as-a-Service (CaaS) मंत्रालयों को स्वच्छ, मशीन-लर्निंग और उपयोगी फॉर्मेट में डेटा उपलब्ध कराएगा।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, भारत की जनगणना 2027 देश की पूरी जनसंख्या को कवर करेगी। जनगणना प्रक्रिया में हर घर में जाना और हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना और जनसंख्या गणना के लिए अलग-अलग प्रश्नावली तैयार करना शामिल है। गिनती करने वाले अधिकारी (एन्यूमरेटर्स), जो आमतौर पर सरकारी शिक्षक होते हैं और जिन्हें राज्य सरकारें नियुक्त करती हैं, अपनी नियमित जिम्मेदारियों के साथ यह फील्ड कार्य करेंगे। उप-जिला, जिला और राज्य स्तर पर भी अन्य जनगणना अधिकारी राज्य/जिला प्रशासन की ओर से नियुक्त किए जाएंगे।
कैबिनेट फैसले में कहा गया है कि आगामी जनगणना डेटा को पूरे देश में सबसे कम समय में उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाएगा। जनगणना परिणामों को अधिक कस्टमाइज्ड विज़ुअलाइज़ेशन टूल्स के साथ प्रसारित करने के प्रयास भी किए जाएंगे। डेटा शेयरिंग को सबसे छोटे प्रशासनिक इकाई यानी गांव/वार्ड स्तर तक उपलब्ध कराया जाएगा।
जनगणना 2027 के सफल संचालन से जुड़े विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर लगभग 18,600 तकनीकी कर्मियों को 550 दिनों की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा। दूसरे शब्दों में, लगभग 1.02 करोड़ मानव-दिवस रोजगार उत्पन्न होगा। इसके अलावा, चार्ज/जिला/राज्य स्तर पर तकनीकी कर्मियों की व्यवस्था से क्षमता निर्माण भी होगी, क्योंकि काम का स्वरूप डिजिटल डेटा हैंडलिंग, मॉनिटरिंग और कोऑर्डिनेशन से जुड़ा होगा। इसका इन कर्मियों के भविष्य के रोजगार अवसरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जनगणना 2027 देश की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना होगी। जनगणना गांव, कस्बा और वार्ड स्तर पर उपलब्ध प्राथमिक डेटा का सबसे बड़ा स्रोत है। यह विभिन्न मापदंडों पर माइक्रो लेवल का डेटा उपलब्ध कराती है। इनमें आवास की स्थिति, सुविधाएं और संपत्तियां, जनसांख्यिकी, धर्म, अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST), भाषा, साक्षरता एवं शिक्षा, आर्थिक गतिविधियां, प्रवासन और प्रजनन शामिल है। जनगणना कराने के लिए जनगणना अधिनियम, 1948 और जनगणना नियम, 1990 कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं।