आजकल लोन लेकर घर, कार या पर्सनल खर्चे चलाने वाले लाखों लोग EMI की किस्तें चुकाने में जुटे रहते हैं। लेकिन अगर कभी पैसे की तंगी आ जाए और एक किस्त छूट जाए, तो ये छोटी सी चूक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। CRIF की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में बढ़ते महंगाई के बीच कई लोग लोन की किस्तें मिस कर रहे हैं। इसके चलते उनका क्रेडिट स्कोर तेजी से गिर रहा है। क्रेडिट ब्यूरो जैसे सिबिल और एक्सपीरियन की ताजा रिपोर्ट्स बता रही हैं कि एक छोटी देरी भी सालों तक पीछा करती रहती है। आइए समझते हैं, ये सब कैसे होता है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
सोचिए, आपने बस एक महीने की किस्त देरी से चुकाई, लेकिन आपका क्रेडिट स्कोर 50 से 70 पॉइंट्स तक लुढ़क जाता है। अगर देरी 30 दिनों से ज्यादा हो गई, तो नुकसान 90 से 100 पॉइंट्स तक पहुंच सकता है। ये आंकड़े क्रेडिट ब्यूरो की 2025 की लेटेस्ट स्टडी से लिए गए हैं, जहां दिखाया गया कि पर्सनल लोन की एक मिस्ड EMI भी आपकी पेमेंट हिस्ट्री को खराब कर देती है।
सिबिल, CRIF हाई मार्क, एक्सपीरियन और इक्विफैक्स जैसी एजेंसियां हर देरी को रिकॉर्ड कर लेती हैं, जो आपकी फाइनेंशियल क्रेडिबिलिटी पर सीधा असर डालती है। मतलब, अगली बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करेंगे, तो बैंक वाले सवालों के घेरे में ले लेंगे।
एक बार स्कोर गिरा, तो ये आसानी से नहीं मिटता। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्ड पेमेंट का रेकॉर्ड कई सालों तक क्रेडिट रिपोर्ट में रहता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, इसके चलते आपको अधिक ब्याज पर लोन मिलेगा, या फिर पैसा कम हो सकता है। साथ ही आपको लोन के लिए रिजेक्शन भी झेलना पड़ सकता है।
अगर EMI देने में 90 दिनों से ज्यादा देरी हो गई, तो लोन नॉन-पर्फॉर्मिंग एसेट (NPA) बन जाता है। इसके बाद बैंक रिकवरी प्रोसेस शुरू कर देते हैं। आपको बैंक से फोन कॉल्स, मैसेजेस, यहां तक कि लीगल नोटिस भी आ सकते हैं।
2025 की एक स्टडी में पाया गया कि लेट पेमेंट्स क्रेडिट कार्ड्स या मल्टीपल लोन्स से ज्यादा स्कोर को नीचे ले जाते हैं। ऊपर से, लेट फीस लग सकती है जो ओवरड्यू EMI पर 1 से 2 फीसदी तक हो सकती है।
अब सवाल यह कि अगर गलती हो चुकी है, तो क्या करें? एक्सपर्ट के मुताबिक, ऐसी स्थिति में सबसे पहले बैंक से बात करें। अपनी परेशानी खुलकर बताएं और रिस्ट्रक्चरिंग या छोटे मोरेटोरियम का ऑप्शन मांगें। कई बैंक 7 से 30 दिनों की ग्रेस पीरियड देते हैं, खासकर RBI की नई 2025 गाइडलाइंस के तहत, जहां इमीडिएट क्रेडिट रिपोर्टिंग नहीं होती।
अगला स्टेप, ऑटो-डेबिट सेटअप करें ताकि भविष्य में ऐसी भूल न हो। इमरजेंसी फंड बनाएं, जो कम से कम तीन EMI कवर करने लायक हो। क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहें और कोई गलती हो तो ब्यूरो से ठीक करवाएं। आउटस्टैंडिंग अमाउंट जल्दी क्लियर करें, समय पर पेमेंट करने की आदत डालें और क्रेडिट कार्ड यूज 30 फीसदी से नीचे रखें। इसके अलावा फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें अगर डेट का बोझ ज्यादा लगे।