भारत और ओमान ने दो वर्षों की बातचीत के बाद गुरुवार को द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही खाड़ी क्षेत्र में भारत की रणनीतिक पैठ में विस्तार हुआ।
व्यापार समझौते पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के उनके समकक्ष कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने मस्कट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुल्तान हैथम बिन तारिक की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस समझौते को व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है। इसके तहत ओमान ने भारत को अपने 98 फीसदी टैरिफ लाइन पर शून्य शुल्क के साथ बाजार पहुंच की पेशकश की है। इसमें भारत से ओमान को होने वाले 99 फीसदी से अधिक निर्यात शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर कहा, ‘आज हम भारत-ओमान संबंधों में एक ऐतिहासिक कदम आगे बढ़ा रहे हैं जिसका सकारात्मक प्रभाव दशकों तक महसूस किया जाएगा। व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) 21वीं सदी में हमारे संबंधों को ऊर्जा देगा। यह व्यापार एवं निवेश को नई गति देगा और विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर की राह खोलेगा। इससे दोनों देशों के युवाओं को काफी फायदा होगा।’
वाणिज्य विभाग के आकलन के अनुसार, इस समझौते के साथ ही भारत से 3.64 अरब डॉलर के निर्यात पर ओमान में फिलहाल लगने वाला 5 फीसदी शुल्क शून्य हो जाएगा। इससे श्रम की अधिकता वाले सभी प्रमुख क्षेत्रों को शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा। इनमें रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधि, चिकित्सा उपकरण और वाहन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने ओमान को 4.06 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया। भारत ने अपनी 77.79 फीसदी टैरिफ लाइन पर शुल्क में उदारता की पेशकश की है। इसमें मूल्य के लिहाज से ओमान से भारत में लगभग 95 फीसदी आयात शामिल हैं। वित्त वर्ष 2025 में ओमान से 6.55 अरब डॉलर की वस्तुओं का आयात हुआ।
ओमान के लिए निर्यात हित वाले और भारत के लिए संवेदनशील उत्पादों के लिए टैरिफ रेट कोटा आधारित शुल्क का प्रस्ताव है।
खजूर जैसे खाद्य पदार्थों पर एक सीमा लगाई गई है। इसी प्रकार पॉलिथीन और पॉलिप्रोपिलीन के मामले में भारत टीआरक्यू पर सहमत हुआ है और चरणबद्ध तरीके से शुल्क में कमी की बात कही गई है। इनका उपयोग प्लास्टिक, चिकित्सा उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन कलपुर्जों के उत्पादन में होता है।
वाणिज्य विभाग ने एक बयान में कहा, ‘भारत ने अपने हित को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील उत्पादों को बिना किसी रियायत वाली श्रेणी में रखा है। इनमें डेरी, चाय, कॉफी, रबर एवं तंबाकू जैसे कृषि उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा सोना, चांदी, आभूषण, जूते एवं खेल के सामान और कई बेस मेटल के स्क्रैप शामिल हैं।’
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि दोनों देशों में सीमा शुल्क एवं प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताएं पूरी होने के साथ यह समझौता अगले तीन महीनों के भीतर लागू हो जाएगा।
जहां तक सेवाओं की बात है तो ओमान ने कानूनी, लेखा, कराधान, वास्तुशिल्प, इंजीनियरिंग, एकीकृत इंजीनियरिंग, शहरी नियोजन, चिकित्सा, नर्सिंग, ऑडियो-विजुअल सेवाएं, पर्यटन एवं यात्रा संबंधी सेवाएं आदि 127 उप-क्षेत्रों में व्यापक बाजार पहुंच देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। भारत को कंपनियों के बीच लेनदेन (आईसीटी), व्यापारिक यात्रा, स्वतंत्र पेशेवरों के लिए विस्तारित प्रवेश और रहने के अधिकार भी मिलेंगे। आईसीटी सीमा को 20 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है। इससे कंपनियों को प्रबंधकीय, कार्यकारी और विशेषज्ञ कर्मचारियों को तैनात करने में मदद मिलेगी।
भारत-ओमान एफटीए वार्ता की औपचारिक शुरुआत नवंबर 2023 में हुई थी। भारत और ओमान द्वारा अधिकतर मुद्दों पर बातचीत जनवरी तक पूरी हो गई थी और जून 2024 में लोक सभा चुनाव के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना थी। मगर ओमान से एक संशोधित प्रस्ताव और पॉलिथीन एवं पॉलिप्रोपिलीन जैसी वस्तुओं के लिए अधिक बाजार पहुंच जैसी मांग के कारण इसमें देरी हुई। इसके अलावा विदेशी श्रमिकों को बदलने संबंधी ओमान की नीति पर भारत के रुख से भी इस समझौते को अंतिम रूप देने में करीब एक साल की देरी हुई।
ओमान भारत का रणनीतिक भागीदार भी रहा है और उसके साथ आपसी व्यापारिक संबंध 5,000 साल पुराने हैं। मगर इस पश्चिम एशियाई देश के साथ भारत का व्यापार फिलहाल काफी कम है। ओमान भारत का 28वां सबसे बड़ा निर्यात भागीदार है। मगर छह सदस्यीय खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। जीसीसी के अन्य सदस्यों में बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं। जीसीसी देशों के साथ भारत का यह दूसरा ऐसा समझौता है। इससे पहले 2022 में यूएई के साथ एक सीईपीए पर हस्ताक्षर किए गए थे।
गोयल ने कहा, ‘भारत-ओमान सीईपीए दोनों देशों के ऐतिहासिक तौर पर मजबूत संबंधों को और प्रगाढ़ करता है। यह एक महत्वाकांक्षी और संतुलित आर्थिक ढांचे का प्रतीक है जो भारतीय निर्यातकों और पेशेवरों के लिए अवसरों के दरवाजे खोलेगा। यह ओमान के बाजार में भारतीय वस्तुओं के लिए लगभग शुल्क मुक्त पहुंच सुनिश्चित करता है। यह समझौता किसानों, कारीगरों, श्रमिकों, एमएसएमई को लाभान्वित करते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है और समावेशी विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।’
भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि ओमान की रणनीतिक स्थिति उसे खाड़ी और अफ्रीका का एक महत्त्वपूर्ण प्रवेश द्वार बनाती है। सीईपीए भारतीय निर्यातकों को क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं में प्रभावी तरीके से एकीकृत करने, बाजारों में विविधता लाने और भारत की निर्यात पहुंच का विस्तार करने में सक्षम बनाएगा।
सीआईआई महानिदेशक चंद्रजित बनर्जी ने कहा, ‘हम भारत-ओमान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते की घोषणा का खाड़ी में एक प्रमुख भागीदार के साथ भारत की आर्थिक सहभागिता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर स्वागत करते हैं। यह समझौता भारत की सक्रिय व्यापार रणनीति को दर्शाता है और उच्च-गुणवत्ता, पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी को नई गति और दिशा देता है जो निर्यात को रफ्तार देने, निवेश-आधारित विकास और भरोसेमंद आर्थिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है। भारतीय उद्योग के लिए यह समझौता बाजार पहुंच का दायरा बढ़ाता है। साथ ही यह सेवा, निवेश, तकनीकी सहयोग और पेशेवरों की आवाजाही के लिए एक बेहतर ढांचा तैयार करता है।’