वैश्विक संकेतकों और इंडेक्स की दिग्गज मसलन एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में खरीदारी के बीच बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी में शुक्रवार को 0.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। सेंसेक्स 481 अंक चढ़कर 65,721 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी में 135 अंकों की बढ़ोतरी हुई। एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में क्रमश: 1.5 फीसदी व 1 फीसदी का इजाफा हुआ और बेंचमार्क सूचकांकों की बढ़त में इनका योगदान आधे से ज्यादा का रहा।
सेंसेक्स व निफ्टी ने हालांकि लगातार दूसरा साप्ताहिक नुकसान दर्ज किया और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली के बीच इनमें 0.7-0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 मेंं हालांकि लगातार छठे हफ्ते साप्ताहिक इजाफा हुआ।
अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में इजाफा और फिच की तरफ से अमेरिकी की सॉवरिन रेटिंग में कमी से इस हफ्ते जोखिम वाली परिसंपत्तियों को लेकर निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हुआ। इस बीच, सुरक्षित संपत्तियों की मांग के बीच सोने की कीमतें उछली।
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मॉर्गन स्टैनली ने शुक्रवार को एक नोट में कहा था कि देसी बाजारों की प्रमुख आर्थिक प्रवृत्तियां बेहतर रहेंगी। इनमें आर्थिक स्थिरता, सकारात्मक भुगतान संतुलन, मजबूत व सापेक्षिक वृद्धि और जोखिम वाली पूंजी का भरोसेमंद देसी स्रोत शामिल है।
मॉर्गन स्टैनली के इक्विटी रणनीतिकारों रिधम देसाई, शीला राठी और नयंत पारेख ने थ्री रिजन्स टु ओन इंडियन स्टॉक्स शीर्षक से लिखे नोट में कहा है, हमारा मानना है कि हम मुनाफे वाले ऐसे चक्र में हैं, जो आधा निकल चुका है और जीडीपी में लाभ की हिस्सेदारी साल 2020 के निचले स्तर 2 फीसदी के मुकाबले बढ़कर अभी करीब 4 फीसदी हो गई है और आगामी चार से पांच वषों में यह 8 फीसदी पर पहुंच सकती है। यह आय में कुल मिलाकर करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है।
एक दिन पहले मॉर्गन स्टैनली ने भारत को अपने एशियाई (एक्स जापान) व उभरते बाजारों के आवंटन में भारत को अपग्रेड कर ओवरवेट कर दिया। अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म का एमएससीआई एशिया (जापान को छोड़कर) व एमएससीआई ईएम इंडिसेज के भारांक के मुकाबले भारत पर भारांक 75 आधार अंक है।
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मॉर्गन स्टैनली ने दिसंबर 2023 के लिए सेंसेक्स का 68,500 का लक्ष्य दिया है। यह मौजूदा स्तर से 5 फीसदी से भी कम बढ़ोतरी दर्शाता है। इसका मानना है कि सेंसेक्स अपनी 12 महीने आगे की आय के 24 गुने के समृद्ध मूल्यांकन पर ट्रेड करेगा जबकि 25 साल का औसत 20 गुना है।
मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, वैश्विक वृद्धि की धीमी रफ्तार, वैश्विक स्तर पर नकदी के सख्त हालात, मौसम की चाल, राज्यों की खराब हो रही राजकोषीय स्थिति, जिंसों की कीमतों में इजाफा और अपेक्षाकृत उच्च मूल्यांकन आदि अहम जोखिम हैं।
मार्च के निचले स्तर से सेंसेक्स और निफ्टी करीब 15 फीसदी चढ़ चुका है। विश्लेषकों ने कहा कि तेजी के बाद बाजार अब एकीकरण की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में एफपीआई की तरफ से बिकवाली बाजार को नियंत्रित किए हुए है। मार्च व जुलाई के बीच 1.6 लाख करोड़ रुपये झोंकने के बाद एफपीआई इस महीने करीब 1,300 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल बन चुके हैं।