बीमा कंपनियों ने लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के जरिये भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडाई) से बीमा-एएसबीए (ऐप्लीकेशन सपोर्टिड बाई ब्लाक्ड अमाउंट) लागू करने के लिए समय की मांग की है। यह जानकारी इस मामले के जानकार कई सूत्रों ने दी।
सूत्रों के मुताबिक अभी ज्यादातर बीमा कंपनियों को 1 मार्च की समयसीमा तक इस विशेषता को हासिल करना है। कंपनियों ने बीमा एएसबीए को शीघ्र लागू करने के लिए यूपीआई सुविधा प्रदाताओं से बातचीत की शुरुआत की है। सूत्रों के मुताबिक कंपनियां इन विशेषताओं को शीघ्र लागू करने के लिए कार्य कर रही हैं। उनके अनुसार कंपनियों के लिए 1 मार्च की समयसीमा बहुत जल्दी है और ज्यादातर बीमा कंपनियां इस समयसीमा को पूरा करने से दूर हैं।
हालांकि लाइफ इंश्योरेंस ने इरडाई को लिखे पत्र में निश्चित समयसीमा को चिह्नित नहीं किया है। बीमा कंपनियों को उम्मीद है कि नियामक इस सुविधा को लागू करने के लिए कुछ अतिरिक्त समय देगा। हालांकि बीमा कंपनियों को यह सुविधा उपलब्ध करानी है लेकिन यह उपभोक्ताओं के लिए वैकल्पिक है।
आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के यूपीआई से जुड़े एएसबीए के मॉडल के अनुसार ही बीमा में भी यह लागू होगा। बीमा-एएसबीए में बीमा कंपनियों आवेदन पर स्वास्थ्य, आय और अन्य मानदंडों का आकलन कर पॉलिसी जारी करने या निरस्त करने पर फैसला करती हैं, ऐसे में अंडरराइटिंग की प्रक्रिया पूरे होने तक प्रीमियम की राशि को ग्राहक के खाते में ब्लॉक कर दिया जाएगा। इरडाई ने फरवरी के मध्य में बीमा – एएसबीएकी की शुरुआत की थी और पॉलिसीधारकों को 1 मार्च तक यह सुविधा देने की पेशकश की थी।
इरडाई ने सितंबर, 2024 में पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया था। इसमें यह कहा गया था कि बीमा कंपनियों के पॉलिसी के आवेदन को स्वीकार या निरस्त करने की जानकारी दिए जाने के बाद ही प्रीमियम का भुगतान होना चाहिए। इरडाई ने इस नियम को लागू करने के लिए बीमा-एएसबीए की शुरुआत की थी। बीमा-एएसबीए में पॉलिसीधारक यूपीआई के वन टाइम मैनडेट (ओटीएम) का इस्तेमाल कर अपने बैंक खाते में चुनिंदा राशि (2 लाख रुपये तक) को ब्लॉक कर सकता है।