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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, लेख

प्रधानमंत्री मोदी ने दोबारा छेड़ी सुरक्षा की बहस

हमें प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने यह अवसर दिया है कि हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी बहस के सबसे पुराने प्रश्नों में से एक को उठाएं या खंगालें। वह यह कि आजाद भारत के इतिहास का सबसे खतरनाक दशक कौन था? पिछले दिनों संसद में अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: सतर्क ठहराव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की गुरुवार को हुई बैठक में सभी जरूरी कदम उठाए गए। जैसी कि व्यापक तौर पर उम्मीद भी थी, छह सदस्यीय समिति ने नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रहने दिया। ऐसा जुलाई और अगस्त महीनों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: न्यायिक सुधार पर ठोस सलाह

देश के हालिया संवैधानिक इतिहास में सरकार की तीनों शाखाओं के बीच एक असहज करने वाला रिश्ता नजर आया है। खासतौर पर कार्यपालिका और विधायिका ने अक्सर न्यायपालिका को सीमित करने का प्रयास किया है। ऐसे में उच्च न्यायपालिका के कुछ लोगों समेत पर्यवेक्षकों के लिए यह स्वाभाविक ही था कि वे विधायिका द्वारा देश […]

अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: बढ़ सकता है नीतिगत जो​खिम

भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस सप्ताह मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगी। यह समीक्षा तब की जा रही है जब अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर जुलाई में तय दायरे के ऊपरी स्तर को पार कर चुकी है। जून में यह दर 4.8 फीसदी थी। उपभोक्ता […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: स्वायत्तता पर असर

गत सप्ताह लोकसभा ने भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक 2023 को पारित कर दिया। इस विधेयक में कई महत्त्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है जो भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) की स्वायत्तता को सीमित करेंगे और इस दिशा में सरकार की नीति को पलटेंगे। मौजूदा कानून के मुताबिक संचालन मंडल आईआईएम के निदेशक का चयन […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: लाइसेंस राज की वापसी

यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सरकार को हमेशा सावधानीपूर्वक निर्णय लेने चाहिए। खासतौर पर तब जब ऐसे निर्णय बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रहे हों और उनका दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव भी हो। परंतु अफसरशाही अक्सर ऐसे मामलों में चूक जाती है। व्यापक सार्वजनिक आलोचना और चिंताओं के बाद विदेश व्यापार महानिदेशालय […]

आज का अखबार, लेख

जन विश्वास विधेयक में गंभीर चूक

संसद में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक पारित हो गया है। पत्र सूचना कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार विधेयक का उद्देश्य 19 मंत्रालयों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए 183 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव कर जीवन और व्यापार को सुगम बनाने को बढ़ावा देना है। […]

आज का अखबार, लेख

डेटा संरक्षण बिल: दूर हों चिंताएं

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 (Digital Personal Data Protection Bill) गुरुवार को लोकसभा में पेश किया गया। यह प्रस्तावित विधेयक की चौथी पुनरावृत्ति है। विधेयक का पहला मसौदा 2018 में तैयार किया गया था। यह विधेयक डेटा मालिकों की व्यक्तिगत जानकारी के संरक्षण का विधायी ढांचा मुहैया कराता है। यह विधेयक डेटा के प्रति […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: रेटिंग गिरावट से परे अन्य जोखिम

फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने अमेरिकी डेट की रेटिंग कम करने का जो निर्णय लिया उसका मंगलवार को बाजार पर ज्यादा असर नहीं देखने को मिला। चूंकि वित्तीय बाजारों में संभवत: किसी को अमेरिकी सरकार की डेट से निपटने की क्षमता पर संदेह नहीं है, इसलिए रेटिंग संबंधी कदमों को लेकर तीव्र प्रतिक्रिया हुई। उदाहरण […]

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Editorial: ब्रिक्स के विस्तार से जुड़ी चिंताएं

आगामी 22 अगस्त को ब्रिक्स देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द​क्षिण अफ्रीका के शासनाध्यक्षों की मुलाकात होनी निर्धारित है। बहरहाल, इस बैठक से पहले ही कई अहम सवाल उभरने लगे हैं। इन सवालों का ताल्लुक इस समूह के विस्तार से है। जानकारी के मुताबिक चीन इसमें नए सदस्यों को शामिल करने को लेकर […]

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