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मनरेगा की जगह नए ‘वीबी-जी राम जी’ पर विवाद, क्या कमजोर होगी ग्रामीण मजदूरों की ताकत?

सामाजिक नागरिक संगठनों का एक समूह आरोप लगा रहा है कि इससे असंगठित श्रमिकों की सौदेबाजी क्षमता पर असर पड़ेगा

Last Updated- December 19, 2025 | 10:43 PM IST
indian labour
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

तकरीबन 20 वर्ष पुराने मनरेगा का स्थान लेने जा रहे विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार ऐंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) विधेयक के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक यह है कि यह राज्यों को यह शक्ति प्रदान करता है कि वे बोआई और फसल कटाई के एकदम प्रमुख दिनों में अपनी पसंद से 60 दिनों तक योजना को स्थगित कर सके।

विधेयक के इस प्रावधान को लेकर कई आपत्तियां सामने आई हैं। सामाजिक नागरिक संगठनों का एक समूह आरोप लगा रहा है कि इससे असंगठित श्रमिकों की सौदेबाजी क्षमता पर असर पड़ेगा क्योंकि मनरेगा एक सुरक्षा कवच और उन दिनों में एक विकल्प के रूप में काम करता था जब उन्हें अच्छा मेहनताना न मिल रहा हो।

आंकड़े बताते हैं कि आमतौर पर जुलाई से नवंबर महीनों के दौरान मनरेगा के तहत काम की मांग में कमी आती है। यही वह समय होता है जब देश के अधिकांश हिस्सों में खरीफ और रबी की बोआई तथा कटाई का मौसम होता है।

इसके साथ ही यही वह समय था जब संभवतः खेतों में बोआई या कटाई के दौरान असंगठित मजदूरों को बेहतर मजदूरी दी जाती थी, या फिर मनरेगा की मजदूरी इतनी कम थी कि वह मजदूरों की पहली पसंद नहीं बन पाती थी और केवल संकट के समय एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करती थी। अब इस सुरक्षा कवच के न रहने पर सामाजिक नागरिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इससे श्रमिकों के शोषण का रास्ता खुलेगा।

सरकार का कहना है कि काम में दो महीने का स्थगन लगातार नहीं बल्कि समेकित रूप से लिया जाना चाहिए। इससे महत्त्वपूर्ण कृषि कार्यों के दौरान मजदूरों की कमी को रोका जा सकेगा और मजदूरों को सुनिश्चित मजदूरी वाले कार्यस्थलों की ओर भटकने से बचाया जा सकेगा।

इससे मजदूरी में वृद्धि को रोका जा सकेगा, क्योंकि चरम समय में सार्वजनिक कार्यों को रोकने से कृत्रिम मजदूरी वृद्धि नहीं होगी, जो खाद्य उत्पादन लागत को बढ़ा देती है। यह तर्क भी दिया जाता है कि आजकल देश भर में खेतों में मशीनों का व्यापक उपयोग हो रहा है, जिसके कारण कृषि गतिविधियों में दिहाड़ी मजदूरों का उपयोग दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है।

संसद ने गुरुवार की रात को वीबी- जी राम जी विधेयक को पारित कर दिया जो 20 साल पुराने मनरेगा का स्थान लेने वाला है और हर वर्ष 125 दिनों की ग्रामीण रोजगार गारंटी देता है। इस दौरान विपक्ष ने इसका तीव्र विरोध किया।

लोक सभा में पारित होने के कुछ घंटे बाद गुरुवार रात यह विधेयक राज्य सभा में ध्वनि मत से पारित हुआ। इस दौरान विपक्ष ने योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने का जोरदार विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यो पर वित्तीय बोझ डाल रही है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर जनवरी के दूसरे सप्ताह में विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाएगी।

इस बीच कई जाने माने अर्थशास्त्री मसलन थॉमस पिकेटी (प्रोफेसर, पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स और वर्ल्ड इनक्वैलिटी लैब तथा वर्ल्ड इनक्वैलिटी डेटाबेस के सह निदेशक), जोसेफ ई. स्टिगलिट्ज (कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता), डैरिक हैमिल्टन (हेनरी कोहेन प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स एंड अर्बन पॉलिसी, न्यू स्कूल फॉर सोशल रिसर्च) और मरियाना माज़ुकाटो (प्रोफेसर और संस्थापक निदेशक, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, इंस्टीट्यूट फॉर इनोवेशन एंड पब्लिक पर्पज) ने मनरेगा के समर्थन में आगे आए हैं और उन्होंने भारत सरकार को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि योजना को राज्यों को सौंपने की मौजूदा दिशा और उसके साथ पर्याप्त वित्तीय सहयोग न होने से मनरेगा के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। उन्होंने कहा है कि राज्यों के पास केंद्र जैसी वित्तीय क्षमता नहीं है और नया 60: 40 का फंडिंग प्रारूप ऐसे हालात निर्मित करता है जहां राज्यों को रोजगार मुहैया कराने की विधिक जवाबदेही वहन करनी होगी जबकि केंद्र की फंडिंग वापस ले ली जाएगी।

पत्र में कहा गया है, ‘पहले 25 फीसदी मटीरियल लागत का बोझ उठा रहे राज्यों को अब 40 फीसदी से 100 फीसदी तक लागत वहन करनी होगी। इससे गरीब राज्य परियोजना मंजूरी सीमित रखेंगे और काम की मांग प्रभावित होगी।’

लोक सभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने मनरेगा के 20 वर्षों को एक दिन में ध्वस्त कर दिया। उन्होंने नए वीबी- जी राम जी विधान को ग्राम विरोधी ठहराया।

गांधी ने कहा, ‘सरकार ने अधिकार आधारित, मांग से संचालित गारंटी को समाप्त करके उसे एक राशन वाली स्कीम में बदल दिया है जिस पर दिल्ली का नियंत्रण है। यह राज्य विरोधी और ग्राम विरोधी डिजाइन है।’ उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा ने ग्रामीण श्रमिकों को सौदेबाजी की ताकत दी थी।

(साथ में एजेंसियां)

First Published - December 19, 2025 | 10:43 PM IST

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