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Editorial: नए नियमों की कमी

वित्त अधिनियम 2023 द्वारा ऐंजल टैक्स की अवधि में विस्तार करने के प्रस्ताव के बाद यह भ्रम और गहरा हो गया।

Last Updated- October 27, 2023 | 8:19 PM IST
Investors and startups welcome the proposal to change the angle tax rules

सरकार ने गत 25 सितंबर से प्रभावी होने वाले जो नए ऐंजल टैक्स नियम (New Angel Tax Rules) अधिूसूचित किए हैं, ऐसा लगता नहीं है कि उनके लागू होने से गैर सूचीबद्ध कंपनियों (मुख्यत: स्टार्टअप) में विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए मूल्यांकन के तरीकों को लेकर उत्पन्न होने वाले संभावित विवाद हल हो सकेंगे।

वित्त अधिनियम 2023 द्वारा ऐंजल टैक्स की अवधि में विस्तार करने के प्रस्ताव के बाद यह भ्रम और गहरा हो गया। यह कर निवासी निवेशक के लिए जारी किए गए शेयर की कीमत और अनिवासी निवेशक के लिए उसके उचित बाजार मूल्य के बीच के अंतर पर लगाया गया।

इस कदम की जमकर आलोचना की गई और कहा गया कि इसने भारतीय स्टार्टअप के लिए विदेशी फंडिंग के अहम स्रोत को प्रभावित किया। भारतीय स्टार्टअप ने विश्व स्तर पर फंडिंग जुटाकर सफलता की अहम कहानियां पेश की हैं।

निश्चित तौर पर सार्वजनिक चर्चा के बाद पारित अंतिम अधिसूचित नियमों ने अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता वाले शेयरों (सीसीपी) को शेयरों के बराबर सुरक्षित सीमा में लाकर एक अहम चिंता हल की गई।

आयकर अधिनियम के प्रासंगिक नियम 11यूए में किए गए इस संशोधन में कहा गया है कि स्टार्टअप और अन्य गैर सूचीबद्ध कंपनियां अब इक्विटी और सीसीपी दोनों से फंड जुटा सकते हैं। यह उनके शेयरों के उचित बाजार मूल्य से 10 फीसदी अंतर वाला हो सकता है। इस सीमा तक उन्हें 30.6 फीसदी ऐंजल टैक्स नहीं चुकाना होगा। इस बदलाव से कुछ हद तक विवादों में कमी आएगी।

विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव, बोली प्रक्रिया में अंतर आदि के कारण जो थोड़ा बहुत फर्क आता था उससे संबंधित विवाद कम होंगे। उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक सीसीपी के माध्यम से औसतन 20 अरब डॉलर का निवेश आता है। उचित बाजार मूल्य के निर्धारण के लिए विशुद्ध परिसंपत्ति मूल्य और रियायती प्रवाह के तरीके के अलावा 11यूए के संशोधित नियम में पांच और तरीके बताए गए हैं जिनके माध्यम से गैर सूचीबद्ध शेयरों अथवा अनिवासी निवेशकों को जारी सीसीपी का उचित मूल्य निर्धारित किया जा सकता है।

नियम मूल्यों का मिलान करने की व्यवस्था को भी शिथिल करते हैं, ताकि एक अधिसूचित निवेशक (ऐंजल टैक्स नियमों से छूट प्राप्त निवेशक) को पिछली फंडिंग के दौर से 90 दिवस के भीतर पिछले दौर के समाान उचित मूल्य पर शेयर निवेश की अनुमति प्राप्त होती है।

इस बदलाव के बाद एक स्पष्टता आई क्योंकि निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय रूप से मान्य तरीकों की पेशकश की गई। इस प्रकार गैर सूचीबद्ध कंपनियों को विदेशों में धन जुटाने के मार्ग में आने वाली एक प्रमुख बाधा कम हुई। परंतु भारत के कर विभाग के अधिकारियों की जो गतिविधि है उसे देखते हुए मूल्यांकन विकल्पों की बहुलता कानूनी मामलों के जोखिम को भी बढ़ाने वाली है। एक प्रश्न इस बात पर भी उठा है कि आखिर मूल्यांकन के पांच नए तरीके केवल अनिवासी निवेशकों तक क्यों सीमित हैं?

जैसा कि कर विशेषज्ञों ने इशारा किया है विभिन्न प्रविधियों के इस्तेमाल से निवासी निवेशकों के विरुद्ध मूल्यांकन और भेदभाव की व्यावहारिक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। शेयर जारी होने की कीमत समान होने पर भी ऐसा हो सकता है। इसके अलावा हालांकि नियम 25 सितंबर से लागू हैं लेकिन सवाल इस बात पर भी उठ सकते हैं कि क्या ये संशोधन 1 अप्रैल से 24 सितंबर के बीच जारी हुए शेयरों पर भी लागू होंगे।

इन तमाम बातों के बीच नए ऐंजल टैक्स नियम भले ही निवेशकों को केंद्र में रखकर बनाए गए हैं लेकिन ये उस शासन की कमी को दूर नहीं करते हैं जो धन शोधन के मामलों की जांच के क्रम में स्टार्टअप को दंडित करता है। मई में कई उपायों को अनिवार्य बनाने के बाद मसलन सरकार के साथ पंजीकृत संस्थाओं या 21 विदेशों में पंजीकृत संस्थाओं के लिए, प्रतिरक्षा तैयार करके सरकार ने अपवादों का एक बड़ा क्षेत्र तैयार कर दिया है। यह कुछ निवेशकों को व्यवस्था से खिलवाड़ करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

First Published - September 27, 2023 | 9:04 PM IST

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