वाहन क्षेत्र साल 2025 को शानदार बिक्री के साथ अलविदा करने के लिए तैयार है। साल की शुरुआत में बिक्री में सुस्ती से उबरते हुए 31 दिसंबर तक कुल बिक्री 2.8 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है।
वाहन पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, रविवार तक वाहनों की कुल बिक्री 2.79 करोड़ तक पहुंच गई थी। मौजूदा दैनिक औसत बिक्री 77,000 से अधिक वाहनों के साथ उद्योग इस साल 2.82 करोड़ से अधिक बिक्री की ओर अग्रसर है। यह जबरदस्त इजाफा है। महामारी से पहले 2018 में 2.54 करोड़ वाहनों की बिक्री के बाद 2024 में ही उससे अधिक बिक्री हो पाई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार, आयकर स्लैब में बदलाव और नीतिगत दर में चार कटौतियों के कारण संभव हुई है।
वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ वाहन डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) के उपाध्यक्ष साई गिरिधर ने कहा, ‘जीएसटी सुधार लागू होने यानी 22 सितंबर तक उद्योग के लिए यह एक सुस्त वर्ष था जहां वृद्धि दर एक अंक में थी।’
फाडा के उपाध्यक्ष साई गिरिधर ने कहा, ‘मगर जीएसटी सुधार के साथ ही स्थिति बदलने लगी और दर कटौतियों के कारण कम ब्याज दरों पर रकम की उपलब्धता सुनिश्चित हुई। आयकर स्लैब में बदलाव से मध्यवर्ग को काफी राहत मिली। इन सब उपायों के कारण ग्राहकों के पास अतिरिक्त रकम आई और लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी। इस प्रकार यह वाहन क्षेत्र के लिए सबसे अच्छा वर्ष रहा।’
उद्योग ने अक्टूबर में 40 लाख वाहनों की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की और उसके बाद नवंबर में 33 लाख वाहनों की बिक्री हुई। दिसंबर में रविवार तक 17.9 लाख वाहनों की बिक्री हो चुकी थी। फाडा के आंकड़ों के अनुसार, दोपहिया, तिपहिया, यात्री एवं वाणिज्यिक वाहन सहित उद्योग की कुल बिक्री अगस्त तक 1.05 करोड़ वाहनों की रही जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले महज 2.9 फीसदी अधिक है। फरवरी और मार्च जैसे महीनों में बिक्री नकारात्मक रही। खबरों से संकेत मिलता है कि जीएसटी 2.0 सुधार के कारण सभी श्रेणियों की कीमतों में 5 से 13 फीसदी की कटौती हुई।
गिरिधर ने कहा, ‘मैंने अपने करियर के पिछले तीन दशक के दौरान कीमतों में इतनी भारी कटौती नहीं देखी। मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) भी मांग में वृद्धि के बावजूद छूट को अगस्त तक जारी रखे रहे। इससे ग्राहकों की दिलचस्पी को बढ़ावा मिला।’
उन्होंने कहा कि यात्री वाहन श्रेणी में प्रवेश स्तर के मॉडल अब एसयूवी से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और वे अब पिछले कुछ वर्षों के रुझान को तोड़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण मांग भी बढ़ने लगी है। उद्योग ने यह भी बताया है कि मॉनसून और फसलों की अच्छी कीमतों से भी बिक्री को पटरी पर लौटने में मदद मिली।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) श्रीकुमार कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘त्योहारी सीजन ने दमदार खपत आधार को मजबूत किया और उसे अच्छे मॉनसून, फसलों की अच्छी कीमत के कारण अनुकूल ग्रामीण धारणा, जीएसटी सुधार के सकारात्मक प्रभाव और ब्याज दर में कटौती का समर्थन मिला।’
कृष्णमूर्ति ने कहा कि स्थिर आर्थिक गतिविधि के बीच आगामी वर्ष में मांग स्थिर रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित बाधाएं, वैश्विक मांग में नरमी और अमेरिकी टैरिफ जैसे कारकों पर नजर रखने की जरूरत होगी।’