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AI की एंट्री से IT इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव, मेगा आउटसोर्सिंग सौदों की जगह छोटे स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट

उद्यम बड़े पैमाने पर काम शुरू करने से पहले मूल्य और उत्पादकता लाभों का जायाज लेना पसंद कर रहे हैं

Last Updated- December 28, 2025 | 10:53 PM IST
artificial intelligence
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

आईटी उद्योग में बड़े आउटसोर्सिंग अनुबंधों के युग की शुरुआत अब नए सिरे से हो रही है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, सेवाएं देने और उनके अनुमान के तरीकों को नया आकार दे रही है। इस काऱण बड़े और लंबी अवधि के सौदे छोटे, तेज और एआई आधारित अनुबंधों में तब्दील हो रहे हैं। उद्यम बड़े पैमाने पर काम शुरू करने से पहले मूल्य और उत्पादकता लाभों का जायाज लेना पसंद कर रहे हैं।

एचएफएस रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार पारंपरिक बड़े और मेगा सौदे वे होते हैं जो 7.5 करोड़ डॉलर से अधिक के कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) की श्रेणी में रखे जाते हैं। सितंबर 2025 तक हस्ताक्षरित ऐसे कुल सौदों की संख्या घटकर 18 फीसदी रह गई है जबकि 2024 में यह 20 फीसदी और 2023 में 25 फीसदी के उच्च स्तर पर थे। इसका कारण यह है कि खरीदार मल्टी-टावर नवीनीकरण को मॉड्यूलर, एआई-सहायता प्राप्त चरणों और आधुनिकीकरण में विभाजित कर रहे हैं।

एचएफएस रिसर्च में अनुसंधान और सलाहकार विभाग के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा, 2025 वह वर्ष था जब उद्योग ने सौदों की संरचना में नवाचार शुरू किया और इसे कारगर बनाने के तरीकों का परीक्षण किया। 2026 न केवल तीव्र गति से विकास का बल्कि निर्णायक वर्ष भी साबित होगा। क्या ग्राहक अगले 2-3 वर्षों के लिए उसी विस्तार पर हस्ताक्षर करेंगे या उत्पादकता में सुधार की तलाश करेंगे।

भविष्य में सौदों के नवीनीकरण में एआई और जेनरेटिव एआई की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहने की उम्मीद है क्योंकि ग्राहक अपने परिचालनों में अधिक दक्षता लाने और लागत कम करने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार उद्यमों को लागत कम करनी होगी। लेकिन पहले के विपरीत वे इस बचत पर निर्भर नहीं कर रहे हैं। उन्हें एआई से संबंधित परिवर्तनकारी कार्यक्रमों की फंडिंग के लिए इन बचत की आवश्यकता है, जो वर्तमान सौदों को आकार दे रही हैं।

इसके विपरीत, इसी अवधि में 3 करोड़ डॉलर से कम वाले टीसीवी सौदों में मामूली इजाफा हुआ है जो पहले इसी अवधि में 45 फीसदी थी। इसका अर्थ यह है कि नए सौदे परिणाम के आश्वासन पर आधारित होंगे, न कि समय और कर्मचारियों की संख्या पर। यह दशकों पुरानी संरचना है जिसने पिछले तीन दशकों में भारतीय आईटी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर दिग्गज बनने में मदद की है।

फॉरेस्टर के प्रमुख विश्लेषक बिश्वजित महापात्र ने कहा, सौदों में कमी नहीं आएगी। लेकिन कीमतों पर करीब 30 से 40 फीसदी का दबाव रहेगा। आईटी कंपनियां एआई अपनाने और सेवा वितरण के लिए एआई-सक्षम प्लेटफॉर्म बनाने के बारे में खुलकर बात कर रही हैं। इसलिए ग्राहकों ने भी इस मॉडल को समझ लिया है और महसूस किया है कि इतने अधिक पूर्णकालिक समकक्ष (एफटीई) कर्मचारियों को रखने का तर्क अब पुराना हो गया है। वे एक अधिक कुशल और तेज मॉडल की तलाश में हैं जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा।

हालांकि, इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि बड़े सौदे खत्म हो जाएंगे। एचएफएस के आंकड़ों से पता चलता है कि आईटी और बीपीओ क्षेत्र में 20 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के 300 बड़े सौदे अगले दो वर्षों में नवीनीकरण के लिए उपलब्ध होंगे। लेकिन नवीनीकरण आसान नहीं होगा और ग्राहक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले सर्वोत्तम मूल्य की तलाश करेंगे।

इनमें से अधिकांश सौदों पर महामारी के दौरान हस्ताक्षर हुए थे। जहां उद्यमी विक्रेता समेकन की संभावना देखेंगे, वहीं अगर टीसीएस और इन्फोसिस जैसे सेवा प्रदाता उन्हें उत्पादकता में भारी वृद्धि दिखाने में सक्षम नहीं हुए तो वे प्रतिस्पर्धी बोलियों पर भी विचार कर सकते है।

एक अन्य विश्लेषक ने कहा, यह एआई आधारित सौदों की मांग है। इस साल 10 में से 2 से 3 सौदे एआई आधारित थे, लेकिन 2026 तक यह निश्चित रूप से 4 से 5 हो जाएंगे। बड़े ग्राहकों ने पारंपरिक ऑफशोरिंग, लागत लाभ और बचत के तरीके अपनाए हैं और नवीनीकरण इन सभी के लिए अच्छा परीक्षण क्षेत्र है।

First Published - December 28, 2025 | 10:53 PM IST

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