मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट कहती है कि भारत का डिफेंस सेक्टर इन दिनों बहुत मजबूत होता जा रहा है। सरकार इस सेक्टर को पूरा समर्थन दे रही है, देश में सेना की जरूरतें भी बढ़ रही हैं, और दूसरे देशों से भी नए ऑर्डर मिलने के मौके बढ़ रहे हैं। सरकार ने हाल ही में कई नए हथियार और मशीनें खरीदने की मंजूरी दी है, इमरजेंसी में सामान खरीदने की प्रक्रिया भी तेज हुई है, और बजट में डिफेंस पर ज्यादा खर्च होने की उम्मीद है। इन सब वजहों से डिफेंस कंपनियों को आगे भी लगातार ज्यादा काम और बड़े ऑर्डर मिलते रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि डिफेंस प्रोडक्शन तेजी से भारत में शिफ्ट हो रहा है। पहले लगभग आधा सामान ही देश में बनता था, लेकिन अब घरेलू उत्पादन की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 75 प्रतिशत हो चुकी है। FY25 में तो 92 प्रतिशत ऑर्डर भारत की कंपनियों को मिले। इससे कंपनियों की बिक्री बढ़ी है, मुनाफा बेहतर हुआ है और वे विदेशी आयात पर कम निर्भर हो गई हैं। यह बदलाव भारतीय उद्योग के लिए बड़ा फायदा साबित हो रहा है।
मोतीलाल ओसवाल के अनुसार आने वाले सालों में रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, मिसाइलें, गोला बारूद, लड़ाकू विमान और नौसेना के जहाज जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मांग बनी रहेगी। भारत में नए लड़ाकू विमान बनाए जा रहे हैं, नई मिसाइलें तैयार हो रही हैं और नौसेना के लिए बड़े जहाज बनाने का काम भी बढ़ रहा है। इन सब प्रोजेक्ट्स से डिफेंस कंपनियों को कई सालों तक लगातार काम मिलता रहेगा।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत अब मिसाइल, रॉकेट, तोप, हेलिकॉप्टर, जहाज के हिस्से और सुडिफेंस उपकरण जैसे कई प्रोडक्ट दूसरे देशों को भेज रहा है। कई देशों ने अपना डिफेंस बजट बढ़ाया है, जिससे भारत को नए ग्राहक मिल रहे हैं। सरकारी और निजी दोनों कंपनियां विदेशों में तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं, जिससे भारत की छवि एक उभरती हुई डिफेंस निर्यातक देश के रूप में मजबूत हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार डिफेंस क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने का काम पूरे जोर पर है। विमान बनाने वाली कंपनियां नई असेंबली लाइन तैयार कर रही हैं, मिसाइल कंपनियां नई तकनीक और मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम पर निवेश कर रही हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां अपनी सुविधाओं को अपग्रेड कर रही हैं। शिपयार्ड भी बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहे हैं, ताकि आने वाले वर्षों में नौसेना के बड़े प्रोजेक्ट आसानी से पूरे किए जा सकें। यह सारी तैयारी इसलिए की जा रही है ताकि कंपनियां आने वाले कई सालों तक लगातार सामान बनाती रहें और मिलने वाले बड़े-बड़े ऑर्डरों को आसानी से पूरा कर सकें।
ड्रोन, एंटी ड्रोन सिस्टम, सुडिफेंस उपकरण, वाहन, एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल जैसे उत्पादों की इमरजेंसी खरीद ने कंपनियों को जल्दी और बड़े ऑर्डर दिलाए हैं। इससे पूरे सेक्टर में एक नई ऊर्जा आई है और कंपनियों की बुक तेजी से मजबूत हुई है।
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टारगेट प्राइस 500 रुपये
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक BEL भारत की सबसे मजबूत डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है और लगातार अच्छा काम कर रही है। दूसरी तिमाही में कंपनी के नतीजे उम्मीद से ज्यादा अच्छे आए, क्योंकि BEL ने खर्च पर अच्छा नियंत्रण रखा और प्रोजेक्ट समय पर पूरे किए। कंपनी के पास लगभग 74,600 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर है और इस साल उसे मिले नए ऑर्डर पिछले साल की तुलना में करीब दोगुने बढ़ गए हैं। कंपनी आने वाले समय में अपना निर्यात बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है। BEL को सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर से जुड़ा काम लगातार मिल रहा है। रिपोर्ट बताती है कि FY25 से FY28 के बीच कंपनी की बिक्री और मुनाफा हर साल 17 से 18 प्रतिशत बढ़ सकता है।
टारगेट प्राइस 2,000 रुपये
BDL के पास लगभग 23,500 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर बुक है, जिससे आने वाले कई सालों तक कंपनी को लगातार काम मिलता रहेगा। कंपनी मिसाइल और अंडरवॉटर हथियारों के बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और हाल की तिमाही में सप्लाई चेन सुधरने के बाद कंपनी की आय और मुनाफे में बड़ी तेजी देखने को मिली। हालांकि कुछ प्रोजेक्टों में मार्जिन थोड़ा कम रहा, लेकिन कुल प्रदर्शन मजबूत बना रहा। कंपनी आने वाले वर्षों में निर्यात को बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक ले जाने की योजना बना रही है, जिससे उसकी कमाई और मजबूत होगी। रिपोर्ट के अनुसार FY25 से FY28 के बीच BDL की बिक्री 35 प्रतिशत, EBITDA 64 प्रतिशत और मुनाफा 51 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ सकता है।
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक में खरीदारी की सलाह ब्रोकरेज ने दी है। बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधित फैसले करने से पहले अपने एक्सपर्ट से परामर्श कर लें।)