सोचिए आपने वक्त रहते ITR फाइल तो कर दी, लेकिन बाद में पता चला कि फॉर्म ही गलत भर दिया। अब क्या? रिफंड आएगा या अटक जाएगा? क्या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आएगा? घबराइए नहीं! ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं। हर साल लाखों टैक्सपेयर्स से यह गलती होती है। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अलग-अलग इनकम और सोर्स के लिए अलग-अलग ITR फॉर्म बना रखे हैं। लेकिन अक्सर लोग जल्दबाजी या अधूरी जानकारी में गलत फॉर्म भर बैठते हैं।
अच्छी बात यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको यह गलती सुधारने का पूरा मौका देता है। टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, रिवाइज्ड रिटर्न (Revised Return) के जरिए आप अपनी गलती सुधार सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(5) के तहत आप इस साल 31 दिसंबर 2025 तक अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं, चाहे फॉर्म गलत भरा हो या किसी इनकम की एंट्री रह गई हो। प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और इसके लिए कोई अतिरिक्त फीस नहीं देनी होती।
जैन कहते हैं, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्स डिपार्टमेंट ने अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग फॉर्म निर्धारित किए हैं, जैसे कि ITR-1 (सहज), ITR-2, ITR-3, और ITR-4 (सुगम) आदि। सभी फॉर्म अलग इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। उदाहरण के लिए, ITR-1 उन लोगों के लिए है जिनकी इनकम सैलरी, एक मकान की संपत्ति या दूसरे सोर्स (जैसे सेविंग अकाउंट से मिलने वाला ब्याज) से है और उनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है। लेकिन अगर आपने शेयर बाजार से 1.25 लाख रुपये से ज्यादा का पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) कमाया है, तो आपको ITR-2 भरना होगा।
अगर आपने गलती से कैपिटल गेन्स होने पर भी ITR-1 भरा तो आपकी रिटर्न रिजेक्ट हो सकती है। ऐसी स्थिति में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस जारी कर सकता है, जिसमें आपको 15 दिन के भीतर गलती सुधारने का मौका दिया जाता है। अगर समय पर सुधार नहीं किया गया, तो रिटर्न को फाइल नहीं माना जा सकता है, जिससे रिफंड में देरी या फाइन लग सकता है।
अगर आपने गलत फॉर्म भरा है या रिटर्न में कोई दूसरी गलती की है, जैसे कि इनकम का कोई सोर्स छूट गया, बैंक अकाउंट का गलत डिटेल दे दिया या गलत कटौती का दावा किया, तो आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। यह प्रक्रिया इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(5) के तहत संभव है। रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया आसान और ऑनलाइन है। सबसे पहले, आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आधिकारिक ई-फाइलिंग पोर्टल (incometax.gov.in) पर जाना होगा। वहां लॉगिन करने के बाद ‘ई-फाइल’ टैब में ‘इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें’ का ऑप्शन चुनें। इसके बाद आपको असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 और ‘रिवाइज्ड रिटर्न’ ऑप्शन चुनना करना होगा। इस दौरान मूल रिटर्न का एकनॉलेजमेंट नंबर देना जरूरी है।
जैन के मुताबिक, रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करते समय आपको सही फॉर्म चुनना होगा और सभी गलतियों को ठीक करना होगा। उदाहरण के लिए, अगर आपने पहले ITR-1 भरा था, लेकिन आपको ITR-2 भरना चाहिए था, तो नए फॉर्म में सारी जानकारी सही-सही भरें। रिटर्न फाइल करने के बाद इसे 30 दिनों के भीतर ई-वेरिफिकेशन करना जरूरी है। इसके लिए आप आधार OTP, नेट बैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन वेरिफिकेशन नहीं कर सकते, तो ITR-V की साइन्ड कॉपी CPC, बेंगलुरु को भेज सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न की कोई सीमा नहीं है, यानी आप बार-बार चेंज कर सकते हैं, बशर्ते यह 31 दिसंबर 2025 तक या मूल रिटर्न के आकलन के पूरा होने से पहले हो।
जैन कहते हैं, “रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख असेसमेंट ईयर के अंत से तीन महीने पहले या मूल रिटर्न के आकलन के पूरा होने से पहले, जो भी पहले हो, होती है। AY 2025-26 के लिए यह तारीख 31 दिसंबर 2025 है। यह वही तारीख है जब तक आप देर से रिटर्न (बिलेटेड रिटर्न) फाइल कर सकते हैं, जिसमें 5,000 रुपये तक का फाइन देना पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के लिए कोई एक्स्ट्रा चार्ज या फाइन नहीं देना पड़ता। आप चाहे जितनी बार रिवाइज करें, कोई चार्ज नहीं लगता। इसके अलावा, अगर आपकी मूल रिटर्न पर रिफंड प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, तब भी आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं।”
वे आगे कहते हैं, “अगर आप 31 दिसंबर तक रिवाइज नहीं कर पाते, तो आपके पास अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) फाइल करने का ऑप्शन है। यह सुविधा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(8A) के तहत दी गई है और 2023 के बजट में शुरू की गई थी। हाल ही में फाइनेंस एक्ट 2025-26 ने अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की समय सीमा को 24 महीने से बढ़ाकर 48 महीने कर दिया है। यानी, AY 2025-26 के लिए आप 31 मार्च 2030 तक अपडेटेड रिटर्न फाइल कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए आपको अतिरिक्त टैक्स और फाइन देना पड़ सकता है, खासकर अगर आपने कोई इनकम छुपाई है, जैसे कि विदेशी बैंक अकाउंट या मल्टीनेशनल कंपनियों से मिले ESOP की इनकम। 2024 के बजट में किए गए संशोधन के अनुसार, 20 लाख रुपये से कम की विदेशी संपत्ति की गैर-घोषणा पर फाइन नहीं लगेगा, लेकिन इससे ज्यादा की राशि पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई हो सकती है।”