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क्राउडफंडिंग से जुटाया पैसा? जान लें इसको लेकर क्या हैं टैक्स नियम, नहीं तो घर आ सकता है IT नोटिस

समय के साथ क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे जुटाने का तरीका काफी लोकप्रिय हो रहा है, और अब कई लोग अपनी जरूरतों के लिए अनजान डोनर्स से सहायता करने की अपील करते हैं

Last Updated- December 02, 2025 | 4:39 PM IST
crowdfunding
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

देश-दुनिया में हो रहे अलग-अलग बदलाव के साथ आजकल आर्थिक मदद जुटाने का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। कभी लोग मदद के लिए घर-परिवार और दोस्तों तक ही सीमित रहते थे, लेकिन अब इलाज, पढ़ाई या किसी बड़े आइडिया को शुरू करने के लिए क्राउडफंडिंग नया सहारा बन चुका है। इंटरनेट पर कुछ क्लिक में लोग अपने सपनों और संघर्षों को दुनिया के सामने रखते हैं, और अनजान लोग भी भावनाओं से जुड़कर मदद के लिए हाथ बढ़ा देते हैं। यही वजह है कि Ketto, Milaap और ImpactGuru जैसे प्लेटफॉर्म पर ऐसे लाखों कैंपेन से भरे पड़े हैं। लेकिन इस बढ़ते ट्रेंड के साथ लगातार एक नया सवाल भी उठ रहा है कि क्या ऐसी मदद सच में मदद है या टैक्स विभाग की नजर में ‘इनकम’?

जब ITR फाइलिंग 2025 के दौरान सैकड़ों लोगों को नोटिस मिला, तो इसकी चर्चा और तेज हो गई। आखिर क्राउडफंडिंग से मिली रकम दान है, गिफ्ट है या टैक्सेबल इनकम? और एक ही क्लिक से मिली राहत कहीं टैक्स का बोझ बनकर वापस तो नहीं आती? यही उलझन आज क्राउडफंडिंग से पैसे जुटाने वाले हर व्यक्ति के सामने खड़ी है।

इनकम टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में यह पैसा टैक्सेबल माना जाता है। टैक्स और फाइनेंशियल एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, “इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 56(2)(x) के तहत, अगर किसी व्यक्ति को इसमें अनजान लोगों से मदद के रूप में 50,000 रुपये से ज्यादा पैसा मिलता है तो यह ‘गिफ्ट’ के रूप इनकम गिना जाता है। फिर उन्हें स्लैब रेट्स पर टैक्स चुकाना पड़ सकता है।”

न्यूज वेबसाइट लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल क्राउडफंडिंग के मामले में समस्या सबसे ज्यादा सामने आ रही है। उदाहरण के तौर पर, कैंसर ट्रीटमेंट के लिए जुटाए गए फंड्स पर टैक्स नोटिस आने के कई केस सामने आए हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिना प्रूफ के ये अमाउंट ‘गिफ्ट’ नहीं माना जाता।

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व्यक्तिगत क्राउडफंडिंग: टैक्स का बोझ कैसे पड़ता है?

व्यक्तिगत स्तर पर क्राउडफंडिंग करने वालों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। मान लीजिए, आप अपनी फैमिली मेंबर के इलाज के लिए ऑनलाइन कैंपेन चलाते हैं और 2 लाख रुपये जुट जाते हैं। अगर ये पैसे सीधे रिश्तेदारों से आए हैं, तो कोई टैक्स नहीं। लेकिन अनजान डोनर्स से आए अमाउंट पर सेक्शन 56(2)(x) लागू हो जात है। इसमें 50,000 रुपये से ऊपर का हिस्सा टैक्सेबल हो जाता है।

बता दें कि साल 2025 के ITR फाइलिंग सीजन में टैक्स नियम और सख्त कर दिए गए हैं। टैक्स डिपार्टमेंट अब मेडिकल बिल, रिश्तेदारी का प्रूफ या ट्रस्ट के द्वारा की गई फंडिंग का रिकॉर्ड सबूत के तौर पर मांग रहा है। अगर सबूत न दें, तो पूरा पैसे को इनकम में जोड़ दिया जाता है। न्यूज वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक फैमिली को 1.5 लाख के क्राउडफंडेड अमाउंट पर 30% टैक्स नोटिस मिला, क्योंकि डोनर्स में से ज्यादातर अनजान थे। इसपर एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि कैंपेन शुरू करने से पहले ही टैक्स इंप्लिकेशंस चेक कर लें। वरना, रिफंड क्लेम करने का झंझट अलग से हो सकता है।

NGO और चैरिटी के लिए राहत: टैक्स-फ्री फंडिंग का रास्ता

अगर बात NGO या नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशंस की हो, तो कहानी बिल्कुल उलट है। रजिस्टर्ड चैरिटेबल ट्रस्ट्स क्राउडफंडिंग से जुटाए फंड्स पर बिल्कुल टैक्स-फ्री हैं। इनकम टैक्स एक्ट के तहत यह भी छूट है, चाहे अमाउंट कितना भी हो।

डोनर्स के लिए अच्छी खबर यह है कि सेक्शन 80G के तहत डोनेशन पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। मसलन, अगर आप किसी रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म पर चैरिटी कैंपेन में 10,000 रुपये डोनेट करते हैं, तो 50% या 100% डिडक्शन मिल सकता है, ये ट्रस्ट की सर्टिफिकेशन पर डिपेंड करता है।

न्यूज वेबसाइट लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्राउडफंडिंग साइट्स अब डोनर्स को 80G एलिजिबिलिटी की डिटेल्स दे रही हैं। टैक्स पोर्टल पर भी वेरिफाई कर सकते हैं। लेकिन व्यक्तिगत कैंपेन को ट्रस्ट के थ्रू रूट करने से टैक्स बच सकता है। कई फैमिली अब ये ट्रिक अपना रही हैं कि फंड्स पहले ट्रस्ट में जाएं, फिर पेशेंट को। इससे टैक्स का बोझ हट सकता है।

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डोनर्स डोनेट करते वक्त कुछ बातों का रखें ध्यान

डोनेट करने वाले भी स्मार्ट तरीके से काम कर टैक्स बचा सकते हैं। अगर आप क्राउडफंडिंग में पैसा डाल रहे हैं, तो टैक्स सेविंग का फायदा उठा सकते हैं। 80G रजिस्टर्ड इंस्टीट्यूशंस को डोनेशन पर डिडक्शन मिलता है। लेकिन हर प्लेटफॉर्म ये कन्फर्म नहीं करता। इसलिए, डोनेट करने से पहले चेक करें कि कैंपेन 80G एलिजिबल है या नहीं।

2025 में इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन पुराने नियम ही सख्ती से लागू हो रहे हैं। डोनर्स को वित्त वर्ष के हिसाब से प्लान करना चाहिए, ताकि इनकम लेवल के साथ टैक्स का फायदा ज्यादा से ज्यादा मिले। उदाहरण के तौर पर, आप जिस साल ज्यादा कमाई हो उस साल आप अधिक डोनेट कर सकते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अनरजिस्टर्ड कैंपेन में डोनेट करने से डिडक्शन का चांस कम हो जाता है। इसके अलावा साथ ही डोनर्स को डोनेशन की रसीद जरूर रखनी चाहिए, नहीं तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

First Published - December 2, 2025 | 4:39 PM IST

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