भारत में लागू होने वाले नए वेज कोड से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव होने वाला है। इस बदलाव के बाद कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी यानी हर महीने हाथ में आने वाली रकम घट सकती है, लेकिन उनकी लंबी अवधि की रिटायरमेंट बचत पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव कर्मचारियों के लिए शुरुआत में भले भारी लगे, लेकिन भविष्य में उनकी आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा।
1 Finance के टैक्स हेड CA पराग जैन के अनुसार, नए वेज कोड में वेतन का स्ट्रक्चर काफी सख्त कर दिया गया है। अब किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए + रिटेनिंग अलाउंस मिलाकर CTC का कम से कम 50% होना जरूरी है। पहले कंपनियां बेसिक सिर्फ 30–35% रखती थीं और बाकी पैसा HRA, LTA और दूसरे अलाउंस में डाल देती थीं, ताकि कर्मचारी के हाथ में ज्यादा पैसा आए। लेकिन अब यह तरीका नहीं चलेगा। अगर अलाउंस 50% से ज्यादा होंगे, तो एक्स्ट्रा हिस्सा बेसिक में जोड़ दिया जाएगा।
इस बदलाव का सीधा असर यह होगा कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर दोबारा तैयार करना पड़ेगा। बेसिक वेतन बढ़ने से PF, ग्रेच्युटी और अन्य कानूनी कटौतियां बढ़ेंगी। इससे कंपनियों का खर्च बढ़ेगा और कर्मचारियों की हाथ में आने वाली सैलरी थोड़ा कम हो जाएगी।
CA पराग जैन बताते हैं कि नए वेज कोड के आने से PF और NPS की गणना बदल जाएगी, क्योंकि इन दोनों की गिनती बेसिक वेतन पर होती है। जैसे ही बेसिक सैलरी बढ़ेगी, PF और NPS में कर्मचारी और कंपनी, दोनों का पैसा अपने आप ज्यादा कटने लगेगा। इसका मतलब है कि कर्मचारी के हाथ में आने वाली सैलरी (टेक-होम) थोड़ी कम होगी, लेकिन PF और NPS में जमा होने वाली बचत काफी तेजी से बढ़ेगी।
इसी तरह ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट जैसी लंबी अवधि वाली रकम भी बढ़ जाएगी, क्योंकि ये सब बेसिक पर ही निर्भर होती हैं। कंपनियों को अपने हिसाब-किताब (financial statements) में इन बढ़ते खर्चों को शामिल करना पड़ेगा। साथ ही, सैलरी बढ़ने की दर, कर्मचारी कब नौकरी छोड़ते हैं, रिटायरमेंट की उम्र। इन सभी गणनाओं को भी नए वेज कोड के हिसाब से बदलना होगा।
CA पराग जैन के अनुसार, यह नया वेज कोड पूरे देश में एक जैसा लागू होगा, चाहे कंपनी किसी भी राज्य में हो या किसी भी तरह की हो। इससे PF, ग्रेच्युटी, बोनस और ESIC जैसी सभी गणनाएं पूरे देश में एक जैसी हो जाएंगी।
टैक्स विशेषज्ञ CA पराग जैन बताते हैं कि नए टैक्स रेजीम में वैसे भी HRA और कई तरह के अलाउंस पर मिलने वाली टैक्स छूट खत्म कर दी गई है। ऐसे में जब नया वेज कोड लागू होगा और सैलरी का स्ट्रक्चर बदलेगा, तो इसका सबसे ज्यादा असर पुराना टैक्स रेजीम चुनने वाले लोगों पर पड़ेगा। क्योंकि पुराने रेजीम में HRA और अलाउंस पर टैक्स छूट मिलती है, और अब अलाउंस कम होने से यह फायदा काफी घट जाएगा।
कंपनियों के लिए भी यह बदलाव आसान नहीं होगा। उन्हें अपने पेरोल, टैक्स कटौती और अलाउंस से जुड़े खर्चों की फिर से गणना करनी पड़ेगी। यानी नए ढांचे के कारण कंपनियों को अपने टैक्स और सैलरी सिस्टम को दोबारा तैयार करना होगा।
TaxBuddy.com के फाउंडर सुजीत बंगार कहते हैं कि नया वेज कोड आने से भले ही कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी यानी हाथ में आने वाला पैसा कम हो जाए, लेकिन लंबे समय में यह कर्मचारियों के लिए बहुत बड़ा फायदा देगा। उन्होंने एक आसान उदाहरण देकर समझाया कि अगर किसी कर्मचारी की सालाना सैलरी ₹12 लाख है और उसकी उम्र 30 साल है, तो नए वेज कोड से PF और NPS में बहुत ज़्यादा पैसा जमा होने लगेगा।
सुजीत बंगार बताते हैं कि पहले PF में कर्मचारी और कंपनी मिलाकर करीब ₹7,200 प्रतिमाह जमा करते थे। लेकिन नए नियम के बाद यह बढ़कर ₹12,000 प्रतिमाह हो जाएगा। यानी हर महीने ₹4,800 ज्यादा PF जमा होगा। इसी तरह NPS की रकम भी बेसिक बढ़ने के साथ अपने-आप बढ़ जाएगी।
उनके अनुसार, सिर्फ PF में ही 30 साल में करीब ₹1.24 करोड़ ज्यादा जमा हो सकता है। वहीं NPS में लगभग ₹1.07 करोड़ अतिरिक्त बनेंगे। दोनों को मिलाकर कर्मचारी का रिटायरमेंट फंड ₹3.46 करोड़ से बढ़कर लगभग ₹5.77 करोड़ तक पहुंच सकता है। यानी करीब ₹2.3 करोड़ की अतिरिक्त बचत, वह भी बिना कोई extra मेहनत किए। सिर्फ इसलिए क्योंकि PF–NPS अपने-आप ज्यादा कटने लगेंगे।
सुजीत बंगार कहते हैं कि PF और NPS जैसी ‘जबर्दस्ती वाली बचत’ योजनाएं लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। उनका कहना है कि कई बार लोग SIP बीच में बंद कर देते हैं, या फिर FD समय से पहले तोड़ देते हैं, क्योंकि बचत करने में अनुशासन हमेशा नहीं रहता। लेकिन PF और NPS की कटौती हर महीने अपने-आप होती रहती है, इसलिए लोग इसे रोक नहीं पाते। इसी वजह से ये योजनाएं धीरे-धीरे करके जीवनभर की बड़ी बचत तैयार कर देती हैं।
सुजीत बंगार के अनुसार नया वेज कोड इस मजबूरन बचत को और मजबूत कर देगा। भले ही कर्मचारियों को अभी हाथ में थोड़े कम पैसे मिलेंगे, लेकिन रिटायरमेंट के समय उनके पास एक बड़ा और सुरक्षित फंड जमा हो जाएगा, जो भविष्य में बहुत काम आएगा।