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लेखक : ए के भट्टाचार्य

आज का अखबार, लेख

भाजपा का चुनावी घोषणापत्र…वादों को हकीकत में बदलने का हो प्रयास

भारतीय जनता पार्टी के चुनाव घोषणापत्र (BJP Manifesto) में आर्थिक नीति से जुड़े कई मुद्दे उठाए गए हैं। कई आर्थिक विषय ऐसे हैं जिनके लिए ज्यादा समग्र दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। बता रहे हैं ए के भट्‌टाचार्य आम चुनाव के पहले घोषित किए जाने वाले चुनाव घोषणापत्र राजनीतिक दलों की आकांक्षाओं, वादों और […]

आज का अखबार, लेख

चुनाव के दौरान नीति निर्माण और इससे उपजे कुछ प्रश्न

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों को इन गर्मियों में कुछ अस्वाभाविक अनुभव करना पड़ रहा है। लोक सभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है। निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है। इसके बावजूद वरिष्ठ अफसरशाह जो अक्सर आम चुनाव से कुछ सप्ताह पहले अपने रोजमर्रा के काम से आराम पाते हैं, […]

आज का अखबार, लेख

राज्यों के बजट आंकड़ों का सही आकलन जरूरी

अब तक कई राज्य 2024-25 का अपना बजट पेश कर चुके हैं। उनमें से कई ने गुलाबी तस्वीर पेश की है और ऊंचे-ऊंचे वादे किए हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि ये घोषणाएं हकीकत में बदलेंगी या नहीं। इसके लिए वादे निभाने होंगे या फिर नीतियों पर कारगर तरीके से अमल करना होगा। लेकिन […]

आज का अखबार, लेख

आर्थिक सुधारों के लिए राज्य सरकारों की पहल का इंतजार

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले हफ्ते आश्वासन देते हुए टिप्पणी की थी कि राज्यों को लंबित आर्थिक नीति एजेंडे पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे भारत को टिकाऊ आधार पर 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिलेगी। उस अधिकारी ने कुछ ऐसे क्षेत्र भी बताए जिनमें […]

आज का अखबार, लेख

मोदी सरकार vs मनमोहन सरकार: सरकारी उपक्रमों में निवेश का तुलनात्मक विश्लेषण

हर वर्ष आम बजट के माध्यम से केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा किए गए निवेश तथा जुटाए गए संसाधनों के आंकड़े जारी करती है। उदाहरण के लिए इस माह के अंतरिम बजट में दिखाया गया कि चालू वर्ष में भारतीय रेल समेत 169 सरकारी उपक्रमों में 8.4 लाख करोड़ रुपये का पूंजी का […]

आज का अखबार, लेख

सिर्फ ऊपरी बदलाव से नहीं बनेगी बात

गत सप्ताह प्रस्तुत अंतरिम बजट में कई दिलचस्प वर्गीकरण किए गए जिन पर कई लोगों ने शायद ध्यान भी न दिया हो। मिसाल के तौर पर विनिवेश को बजट दस्तावेज में प्राप्तियों में नहीं दिखाया गया। पहले विनिवेश को विविध पूंजीगत प्राप्तियों में अलग प्रविष्टि के रूप में दर्शाया जाता था। बहरहाल, 2024-25 के अंतरिम […]

आज का अखबार, लेख

Budget 2024: अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने निकाला बीच का रास्ता

स्वतंत्र भारत में अब तक 15 अंतरिम बजट प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से आठ आम चुनावों के बाद नई चुनी सरकारों ने पेश किए। उन अवसरों पर अंतरिम बजट पेश करना जरूरी था क्योंकि वित्त मंत्री के पास पूरे वर्ष का बजट पेश करने और उसे समय रहते संसद से मंजूरी दिलाने का समय […]

आज का अखबार, लेख

GST संग्रह में सुधार जारी, नीतिगत अनिवार्यताओं की आवश्यकता

विगत कुछ वर्षों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। 2018-19 में यानी जुलाई 2017 में इसकी शुरुआत के एक वर्ष बाद जीएसटी संग्रह के भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.22 फीसदी के बराबर रहने का अनुमान जताया गया था। जीएसटी संग्रह को दोबार राजनीति से प्रेरित […]

आज का अखबार, लेख

चुनावी साल में बजट की प्राथमिकताएं और चुनौतियां…

सीमित राजकोषीय गुंजाइश के साथ आवश्यकता यह है कि बजट में सत्ताधारी दल की हालिया चुनावी जीतों का लाभ लिया जाए। इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाल रहे हैं ए के भट्टाचार्य वर्ष 2024-24 के अंतरिम बजट की प्रस्तुति की तैयारियों के बीच दो अहम मसले जांच के दायरे में हैं। एक का संबंध […]

आज का अखबार, लेख

तेल क्षेत्र की बेहतर तस्वीर से सुधार की गुंजाइश

वर्ष 2023 अब विदा ले रहा है और वर्ष के अंत में पूरे साल का लेखा-जोखा करने की रवायत को बरकरार रखते हुए हम गुजरे साल से सबक लेने की कोशिश करते हैं ताकि हमें वर्ष 2024 की चुनौतियों से निपटने में मदद मिले। वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन किया […]

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