One year of Russia Ukraine war: संकट का प्रबंधन
करीब एक साल पहले यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद डर जताया जा रहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कम से कम तीन खास क्षेत्रों में बड़ी चुनौतियां होंगी। ऊंची मुद्रास्फीति के खतरे उन लोगों के सामने नई चुनौतियां खड़ी करेंगे, जिन पर भारत की मौद्रिक नीति संभालने का जिम्मा है। जिंस खास […]
मनमोहन सिंह की बुनियाद पर खड़ी मोदी की योजनाएं
करीब तीन महीने में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दसवें वर्ष में प्रवेश करेंगे। मई 2024 के अंत में प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह के बराबर हो जाएगा जिन्होंने 2004 से 2014 तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का नेतृत्व किया था। ऐसे में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच तुलना […]
सार्वजनिक क्षेत्र में कमजोरी के संकेत
राजनीतिक अर्थव्यवस्था के नजरिये से केंद्रीय बजट यह समझने के लिए एक अहम दस्तावेज है कि राज्यों के साथ केंद्र सरकार के वित्तीय रिश्ते किस प्रकार विकसित हुए हैं। यह देखना भी महत्त्वपूर्ण है कि बजट सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के उपक्रमों के साथ केंद्र की वित्तीय संबद्धता को किस प्रकार सामने रखता है। ध्यान […]
राजकोषीय और चुनावी दोनों नजरियों से बेहतर है बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पांचवें बजट में एक आंकड़ा जिस पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था वह है 2023-24 के लिए प्रस्तुत राजस्व घाटे का आंकड़ा। राजस्व घाटे को वर्ष 2021-22 के जीडीपी के 4.4 फीसदी से कम करके 2022-23 में 4.1 फीसदी पर लाने के बाद अब उन्होंने […]
राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर
करीब 10 वर्ष पहले तक केंद्र सरकार के बजट का आकार सभी राज्यों के संयुक्त व्यय से अधिक होता था। यह परिदृश्य 2012-13 में बदल गया। उस वर्ष राज्यों का बजट बढ़कर 14.55 लाख करोड़ रुपये हो गया जो पहली बार केंद्र सरकार के 14.1 लाख करोड़ रुपये के बजट से अधिक था। तब से […]
जीडीपी वृद्धि के अनुमानों के आंकड़ों की क्या हैं खामियां
तीन वर्षों में जीडीपी वृद्धि से जुड़े कई अनुमानित आंकड़े जारी करने की प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इसका बजट बनाने से भी फायदा होगा। बता रहे हैं ए के भट्टाचार्य राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) किसी भी एक वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वार्षिक आकार का अनुमान निकालने की प्रक्रिया छह बार […]
राजकोष पर भारी पड़ेगी मुफ्त खाद्यान्न योजना
केंद्र सरकार ने गत सप्ताह यह निर्णय लिया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मुफ्त खाद्यान्न आपूर्ति जारी रखेगी। उसके इस निर्णय पर उचित ही सवाल उठ रहे हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 81 करोड़ लोगों को आपूर्ति किए जाने वाले अनाज का केंद्रीय निर्गम मूल्य बढ़ाकर खाद्य सब्सिडी बिल कम […]
नगर निकायों के प्रति बेरुखी का निदान जरूरी
नगर निकाय चुनावों में मतदाताओं की अनिच्छा शासन संबंधी एक गंभीर खामी का नतीजा है जिसे दूर करने की आवश्यकता है। इस विषय में सुझाव दे रहे हैं ए के भट्टाचार्य