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लेखक : ए के भट्टाचार्य

आज का अखबार, लेख

निर्यात के वास्तविक लक्ष्य और विदेश व्यापार नीति

केंद्र सरकार की पिछले माह घो​षित नई विदेश व्यापार नीति पर विशेषज्ञों और निर्यात समुदाय ने अलग-अलग टिप्प​णियां की हैं। बहरहाल, इस नई नीति का एक अहम पहलू जिस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया वह है सरकार की यह मान्यता कि नई नीति से निर्यातकों को आने वाले वर्षों में लाभ होगा। नई नीति […]

आज का अखबार, लेख

कैसे सुनि​श्चित होगी संसदीय छान-बीन?

गत माह 2023-24 के केंद्रीय बजट को संसद में जिस प्रकार बिना किसी चर्चा के पारित करना पड़ा उस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नाखुशी जाहिर की है। लोकसभा ने 23 मार्च को बजट को मंजूरी प्रदान की जिसमें सालाना 45 लाख करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया। इसे पारित करने के […]

आज का अखबार, लेख

सुधार के जोखिम का आवश्यक है प्रबंधन

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया जिस पर लोगों का ध्यान नहीं गया। उसने राज्य के श्रम कानूनों में संशोधन किया जिसके बाद वहां के उद्योग काम के घंटों को मौजूदा 9 से बढ़ाकर 12 घंटे प्रति दिन कर सकते हैं। इसके साथ ही ओवरटाइम की अवधि भी महीने के 75 […]

आज का अखबार, लेख

रूस से बढ़ी तेल आपूर्ति के बीच बेहतर हों नीति

बीते कुछ महीनों में रूस के कच्चे तेल का आयात तेजी से बढ़ने के साथ ही देश की तेल अर्थव्यवस्था में भी महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है। हालांकि ऐसा लगता नहीं कि इन बदलावों ने ऐसी किसी बहस को जन्म दिया हो कि सरकार तथा तेल कंपनियों को कीमतों के निर्धारण की वर्तमान व्यवस्थाओं और प्रणालियों […]

अंतरराष्ट्रीय, अर्थव्यवस्था, आज का अखबार, भारत, विशेष

One year of Russia Ukraine war: संकट का प्रबंधन

करीब एक साल पहले यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद डर जताया जा रहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कम से कम तीन खास क्षेत्रों में बड़ी चुनौतियां होंगी। ऊंची मुद्रास्फीति के खतरे उन लोगों के सामने नई चुनौतियां खड़ी करेंगे, जिन पर भारत की मौद्रिक नीति संभालने का जिम्मा है। जिंस खास […]

आज का अखबार, लेख

मनमोहन सिंह की बुनियाद पर खड़ी मोदी की योजनाएं

करीब तीन महीने में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दसवें वर्ष में प्रवेश करेंगे। मई 2024 के अंत में प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह के बराबर हो जाएगा जिन्होंने 2004 से 2014 तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का नेतृत्व किया था। ऐसे में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच तुलना […]

आज का अखबार, लेख

सार्वजनिक क्षेत्र में कमजोरी के संकेत 

राजनीतिक अर्थव्यवस्था के नजरिये से केंद्रीय बजट यह समझने के लिए एक अहम दस्तावेज है कि राज्यों के साथ केंद्र सरकार के वित्तीय रिश्ते किस प्रकार विकसित हुए हैं। यह देखना भी महत्त्वपूर्ण है कि बजट सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के उपक्रमों के साथ केंद्र की वित्तीय संबद्धता को किस प्रकार सामने रखता है। ध्यान […]

आज का अखबार, बजट, संपादकीय

राजकोषीय और चुनावी दोनों नजरियों से बेहतर है बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पांचवें बजट में एक आंकड़ा जिस पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना दिया जाना चाहिए था वह है 2023-24 के लिए प्रस्तुत राजस्व घाटे का आंकड़ा। राजस्व घाटे को वर्ष 2021-22 के जीडीपी के 4.4 फीसदी से कम करके 2022-23 में 4.1 फीसदी पर लाने के बाद अब उन्होंने […]

आज का अखबार, लेख

राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर

करीब 10 वर्ष पहले तक केंद्र सरकार के बजट का आकार सभी राज्यों के संयुक्त व्यय से अधिक होता था। यह परिदृश्य 2012-13 में बदल गया। उस वर्ष राज्यों का बजट बढ़कर 14.55 लाख करोड़ रुपये हो गया जो पहली बार केंद्र सरकार के 14.1 लाख करोड़ रुपये के बजट से अधिक था। तब से […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

जीडीपी वृद्धि के अनुमानों के आंकड़ों की क्या हैं खामियां

तीन वर्षों में जीडीपी वृद्धि से जुड़े कई अनुमानित आंकड़े जारी करने की प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। इसका बजट बनाने से भी फायदा होगा। बता रहे हैं ए के भट्टाचार्य राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) किसी भी एक वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वार्षिक आकार का अनुमान निकालने की प्रक्रिया छह बार […]

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