शेयर बाजार में इस हफ्ते काफी उथल-पुथल रह सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि थोक मूल्य सूचकांक यानी WPI इन्फ्लेशन के आंकड़े, विदेशी निवेशकों की खरीद-बिक्री और दुनिया भर के संकेत बाजार के रुझान तय करेंगे। इसके अलावा, रुपए की डॉलर के मुकाबले चाल और कच्चे तेल की कीमतों पर भी सबकी नजर टिकी रहेगी। पिछले हफ्ते बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया और आखिर में नुकसान के साथ बंद हुआ। BSE का मुख्य इंडेक्स 444.71 अंक या 0.51 फीसदी गिरकर खत्म हुआ।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में रिसर्च के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अजीत मिश्रा ने बताया कि इस हफ्ते घरेलू डेटा की बाढ़ है। भारत के WPI इन्फ्लेशन और व्यापार संतुलन के आंकड़े आने वाले हैं। साथ ही, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं पर भी ध्यान रहेगा। दुनिया में अमेरिकी बाजारों का प्रदर्शन और वहां के बड़े आर्थिक संकेत निकट भविष्य के मूड को प्रभावित करेंगे।
विदेशी निवेशकों ने इस महीने के पहले दो हफ्तों में भारतीय शेयरों से 17,955 करोड़ रुपये यानी करीब 2 अरब डॉलर निकाल लिए। पूरे 2025 में अब तक कुल निकासी 1.6 लाख करोड़ रुपये या 18.4 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। लगातार विदेशी फंडों की निकासी और रुपए की तेज गिरावट ने निवेशकों का मनोबल तोड़ दिया है।
एनरिच मनी के CEO पोन्मुदी आर का मानना है कि आने वाले हफ्ते में शेयर बाजार में भारी अस्थिरता बनी रहेगी। दुनिया भर से इन्फ्लेशन के आंकड़े आने हैं, जो निवेशकों का ध्यान मौद्रिक नीति की दिशा पर ले जाएंगे। प्रमुख देशों में 10 साल की बॉन्ड यील्ड पहले ही ऊपर चढ़ रही हैं। अमेरिका, यूरोप और दूसरे इलाकों से आने वाले इन्फ्लेशन के आंकड़ों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी, ताकि पता चले कि वैश्विक मौद्रिक ढील का चक्र खत्म होने की कगार पर है या नहीं।
खासतौर पर अमेरिका पर सबकी नजरें टिकी हैं। वहां उपभोक्ता मूल्य इन्फ्लेशन, खुदरा बिक्री और नॉन-फार्म पेरोल जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े आने हैं। ये आंकड़े अर्थव्यवस्था की मजबूती और इन्फ्लेशन की दिशा के बारे में गहरी जानकारी देंगे। मोटिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि कुल मिलाकर बाजार सीमित दायरे में रह सकता है, लेकिन बड़े इंडेक्स में अस्थिरता के दौर आएंगे। अगर भारत-अमेरिका समझौते पर कोई ठोस प्रगति हुई, तो बाजार में अच्छी तेजी आ सकती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, निवेशकों को इन सब बातों पर गौर करना चाहिए, क्योंकि ये फैक्टर बाजार की दिशा बदल सकते हैं। विदेशी फंडों की निकासी ने पहले ही दबाव बनाया हुआ है, और रुपए की कमजोरी ने हालात को और मुश्किल कर दिया। WPI इन्फ्लेशन के आंकड़े अगर ऊंचे आए, तो महंगाई की चिंता बढ़ सकती है। वहीं, कच्चे तेल की कीमतें अगर चढ़ीं, तो आयात बिल बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। अमेरिका से आने वाले डेटा अगर मजबूत निकले, तो वहां ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो सकती है, जो वैश्विक बाजारों को प्रभावित करेगा। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं में कोई सकारात्मक खबर बाजार को राहत दे सकती है। कुल मिलाकर, इस हफ्ते ट्रेडर्स को सतर्क रहना पड़ेगा, क्योंकि छोटी-छोटी खबरें भी बड़े उतार-चढ़ाव ला सकती हैं।
(PTI के इनपुट के साथ)