भारत के सबसे वरिष्ठ और सम्मानित कम्युनिस्ट नेताओं में शुमार, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के संस्थापक सदस्य वी. एस. अच्युतानंदन का सोमवार को 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और एक महीने पहले हृदयाघात के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
माकपा के प्रदेश सचिव एम. वी. गोविंदन ने आज सुबह पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा, “यह केरल की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वीएस अच्युतानंदन न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक आंदोलन थे। उनका पूरा जीवन जनसंघर्षों को समर्पित रहा।”
वीएस अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को केरल के अलाप्पुझा जिले के पन्नियार में हुआ था। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही राजनीति में कदम रखा और संगठित मजदूर आंदोलनों में भाग लेना शुरू किया।
वीएस अच्युतानंदन का राजनीतिक जीवन सादगी, ईमानदारी और प्रतिबद्धता का उदाहरण रहा। वे भूमि सुधारों, गरीबों के अधिकार, सामाजिक न्याय, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों और जनहित याचिकाओं के लिए हमेशा आगे रहे।
उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल (2006–2011) के दौरान:
#CPIM Polit Bureau pays homage to Comrade V S Achuthanandan and dips its red banner in salutehttps://t.co/E9NMxFegYe pic.twitter.com/qZ5n6k0uVu
— CPI (M) (@cpimspeak) July 21, 2025
हालांकि वे माकपा के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक थे, लेकिन वे पार्टी लाइन से अलग राय रखने के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व की नीतियों पर सवाल उठाए, जिसकी वजह से वे पार्टी के राज्य सचिव पद से हटाए भी गए, लेकिन आम जनता के बीच उनकी छवि ईमानदार और जननायक की बनी रही।
वीएस अच्युतानंदन को लोग प्यार से “वीएस” बुलाते थे। वे केरल में उन गिने-चुने नेताओं में से थे जिन्हें शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में जनसमर्थन प्राप्त था। उनका जीवन एक सामान्य मजदूर से मुख्यमंत्री बनने की प्रेरणादायक यात्रा है। उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे केरल में शोक की लहर दौड़ गई। सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा: “वीएस अच्युतानंदन जी ने भारतीय राजनीति को एक नैतिक आधार प्रदान किया। वे हमेशा याद किए जाएंगे।”
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा: “वीएस का जाना व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों स्तरों पर एक गहरी क्षति है। उन्होंने केरल की राजनीति को नई दिशा दी।”
सरकार ने उनके निधन पर राजकीय शोक की घोषणा की है। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को जनता के दर्शनार्थ थिरुवनंतपुरम में पार्टी मुख्यालय पर रखा जाएगा।
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