SEBI New Mutual Fund Rule: बाजार नियामक सेबी ने हाल ही में म्युचुअल फंड रेगुलेशन्स 1996 के रिव्यू के लिए एक कंसल्टिंग पेपर जारी किया है। इसमें सेबी ने एग्जिट लोड (Exit Load) में बदलाव, टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) में सुधार, ब्रोकरेज चार्ज कम करने और निवेशकों के लिए पारदर्शिता बढ़ाने समेत कई अन्य बदलावों का प्रस्ताव रखा है। इन प्रस्तावित बदलावों का सीधा असर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) और निवेशकों पर देखने को मिल सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि म्युचुअल फंड फीस फ्रेमवर्क में सुधार के प्रस्ताव से निवेशकों की लागत घटने और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के मुनाफे के मार्जिन पर दबाव बढ़ने की उम्मीद है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 17 नवंबर 2025 तक सुझाव मांगे हैं।
सेबी के टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) घटाने के प्रस्ताव को म्युचुअल फंड उद्योग के लिए सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे निवेश की लागत कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, इससे निवेशकों के नेट रिटर्न में सुधार होगा और लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के प्रति भरोसा मजबूत होने की उम्मीद है।
स्वस्तिका इनवेस्टमार्ट की हेड ऑफ वेल्थ शिवानी न्याती ने कहा, “सेबी के कंसल्टेशन पेपर में टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) में कटौती का प्रस्ताव मुख्य रूप से म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए पॉजिटिव बदलाव साबित होगा, क्योंकि इससे निवेश की लागत कम होगी और फीस स्ट्रक्चर में पारदर्शिता बढ़ेगी।”
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के डायरेक्टर पुनीत सिंघानिया ने कहा, “सेबी द्वारा TER घटाने का हालिया निर्णय निवेशक मूल्य बढ़ाने और म्युचुअल फंड इंडस्ट्री में लागत दक्षता (cost efficiency) को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। कम खर्चे सीधे तौर पर निवेशकों के नेट रिटर्न में सुधार करेंगे, जिससे म्युचुअल फंड प्रोडक्ट्स में लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के इंस्ट्रूमेंट के रूप में निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा।”
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म्युचुअल फंड उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि सेबी के इस प्रस्ताव का असर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) पर एक जैसा नहीं होगा। बड़े फंड हाउस को उनके ज्यादा एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) के कारण मुनाफे में अधिक गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
न्याती का मानना है कि सेबी के प्रस्ताव का असर एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) की कमाई पर नेगेटिव होगा। उन्हें निवेशकों से ली जाने वाली फीस घटानी होगी, जिससे लाभ में कमी आएगी। यह असर बड़े फंड हाउस पर छोटी या नई कंपनियों की तुलना में ज्यादा होगा।”
बड़ी एएमसी, जो इंडस्ट्री की ज्यादातर एसेट (AUM) को मैनेज करती हैं और बड़े पैमाने पर काम कर (economies of scale) सबसे ज्यादा लाभ उठाती है, को कम TER सीमा और अतिरिक्त 5 बेसिस पॉइंट (bps) शुल्क हटाए जाने से रेवेन्यू में सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
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सेबी ने छोटे AUM स्लैब के लिए TER में 5 bps की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है, लेकिन इसका फायदा मुख्य रूप से छोटी योजनाओं को मिलेगा। बड़ी कंपनियों को इससे बहुत कम राहत मिलेगी, क्योंकि उनका अधिकांश निवेश कम शुल्क वाले हाई स्लैब में आता है।
साथ ही, ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन कॉस्ट में बड़ी कटौती से पूरे उद्योग में मार्जिन घटेंगे और एएमसी को अपने खर्चे कम करने होंगे।
सिंघानिया का मानना है कि छोटी और नई एएमसी को डिस्ट्रीब्यूटर पेआउट्स और मार्केटिंग गतिविधियों को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद, यह सुधार म्युचुअल फंड उद्योग को ग्लोबल मानकों के अनुरूप बनाता है। साथ ही, यह इसे निवेशक-केंद्रित और अधिक प्रतिस्पर्धी दिशा में आगे बढ़ाता है।