सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में उसका आदेश केवल वोडाफोन आइडिया पर ही लागू होगा, किसी अन्य दूरसंचार कंपनी पर नहीं। शीर्ष न्यायालय ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2016-17 तक के कंपनी के कुल एजीआर बकाये का नए सिरे से आकलन करने की अनुमति दी है।
आज अपलोड किए गए लिखित आदेश की प्रति में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन के पीठ ने कहा है कि 27 अक्टूबर को पारित आदेश केवल इस हद तक बदलेगा कि केंद्र सरकार को केवल अतिरिक्त मांग के बजाय वित्त वर्ष 2016-17 तक के वोडाफोन आइडिया के पूरे एजीआर बकाये का नए सिरे से आकलन करने की अनुमति दी जाएगी। उसमें कहा गया है, ‘आदेश का बाकी हिस्सा बरकरार रहेगा।’
दो न्यायाधीशों के पीठ ने 27 अक्टूबर को कहा था कि केंद्र सरकार दूरसंचार विभाग द्वारा की गई 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग को खारिज करने के लिए वोडाफोन आइडिया की याचिका पर नए सिरे से विचार करने के लिए स्वतंत्र है। मगर 3 नवंबर को शीर्ष न्यायालय ने मौखिक रूप से अपने 27 अक्टूबर के आदेश में संशोधन किया। उसने केंद्र को उस वित्त वर्ष के लिए केवल अतिरिक्त मांग के बजाय 2016-17 तक वोडाफोन आइडिया के कुल एजीआर बकाये का नए सिरे से आकलन करने की अनुमति दी।
मगर यह स्पष्ट नहीं था कि एजीआर बकाये का नए सिरे से आकलन करने की अनुमति देने वाला आदेश केवल वोडाफोन आइडिया पर लागू होगा या वह अन्य दूरसंचार कंपनियों पर भी लागू हो सकता है।
यह मामला दूरसंचार विभाग की 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त एजीआर मांग के खिलाफ वोडाफोन आइडिया द्वारा दी गई चुनौती से संबंधित है। कुल 9,450 करोड़ रुपये के बकाये में से 5,606 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2016-17 से संबंधित हैं।
वोडाफोन आइडिया ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में एजीआर बकाये का व्यापक पुनर्मूल्यांकन करने और देनदारी की गणना नए सिरे से करने की मांग की थी। इसके अलावा उसने ब्याज एवं जुर्माने में छूट देने की भी गुहार लगाई थी। उसका कहना था कि बकाये के कई घटक अंतिम रूप से तय नहीं किए गए थे।
दूरसंचार विभाग की यह छोटी मांग उस व्यापक एजीआर मुद्दे का हिस्सा है जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने 2020 में फैसला सुनाया था। करीब 5 साल पहले के फैसले में शीर्ष अदालत ने वोडाफोन आइडिया के 2016-17 तक के एजीआर बकाये की दूरसंचार विभाग द्वारा की गई गणना को बरकरार रखा था। साथ ही उसमें आगे किसी भी पुनर्गणना को खारिज कर दिया गया था। उस समय वोडाफोन आइडिया की देनदारी 58,254 करोड़ रुपये आंकी गई थी जो बढ़कर 83,400 करोड़ रुपये हो चुकी है।
भारती एयरटेल अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाए के संबंध में सरकार से संपर्क करेगी। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने यह जानकारी दी। विट्टल ने कहा, ‘हमें खुशी है कि सर्वोच्च न्यायालय ने एजीआर बकाये के नए सिरे से आकलन करने की अनुमति दे दी है। अब हम एक-एक कदम आगे बढ़ाएंगे।
इसलिए पहले हम सरकार से संपर्क करना चाहते हैं। कंपनी आने वाले दिनों में सरकार से संपर्क करेगी और उसके बाद हम आगे बढ़ेंगे।’ दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी ने स्पष्ट त्रुटियों के कारण एजीआर की गणना की समीक्षा की मांग की थी, लेकिन उसकी पिछली याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं।
विट्टल ने कहा, ‘हमने हमेशा कहा है कि एजीआर पर 2019 का फैसला उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था। यह तथ्य और भी निराशाजनक था कि गणना संबंधी त्रुटियों पर भी ध्यान नहीं दिया गया। हम सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश का स्वागत करते हैं। सरकार को वित्त वर्ष 2016-17 तक के ब्याज और जुर्माने सहित एजीआर नियमों का व्यापक मूल्यांकन, नए सिरे से आकलन और समाधान करने की अनुमति मिली है। यह आदेश वोडाफोन आइडिया की याचिका पर दिया गया है। अब हम सरकार के समक्ष अपना मामला उठाने की योजना बना रहे हैं।’