facebookmetapixel
बिहार विधानसभा चुनाव का असर: श्रमिकों की कमी से ठिठका उद्योग-जगत का पहियाडीएलएफ की बिक्री में उछाल, लेकिन नई लॉंचिंग से ही कायम रह पाएगी रफ्तारसुप्रीम कोर्ट ने कहा– AGR मामले का आदेश सिर्फ वोडाफोन आइडिया पर ही होगा लागूSBI का मुनाफा 10% बढ़कर ₹20,160 करोड़, येस बैंक में हिस्सेदारी बिक्री से हुआ फायदाEditorial: इन्वेंटरी आधारित ईकॉमर्स में एफडीआई को मिले इजाजतकिसकी नैया पार लगाएंगे मल्लाह! राजग और महागठबंधन दोनों धड़े कर रहे हर मुमकिन कोशिशविचारों से उद्योग तक: रिसर्च लैब्स कैसे दे सकती हैं भारत की ‘ग्रीन फ्रंटियर’ को गतिअसंगठित उपक्रमों का जाल: औपचारिक नौकरियों की बढ़ोतरी में क्या है रुकावट?मेटा-व्हाट्सऐप मामले में सीसीआई का आदेश खारिजदिग्गज कारोबारी गोपीचंद हिंदुजा का 85 वर्ष की आयु में निधन, उद्योग जगत ने दी श्रद्धांजलि

मेटा-व्हाट्सऐप मामले में सीसीआई का आदेश खारिज

यह विवाद जनवरी 2021 से शुरू हुआ है, जब व्हाट्सऐप ने अपनी अपडेटेड गोपनीयता नीति लागू की थी, जिसमें मेटा समूह की कंपनियों के साथ डेटा साझा करना अनिवार्य था।

Last Updated- November 04, 2025 | 10:35 PM IST
Meta

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (NCLAT) ने मंगलवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के उस निर्देश को रद्द कर दिया, जिसमें मेटा और व्हाट्सऐप को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए मेटा समूह की अन्य संस्थाओं के साथ यूजर डेटा साझा करने पर पांच साल तक रोक लगाई गई थी। हालांकि, पंचाट ने कंपनी पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना और सीसीआई द्वारा जारी अन्य निर्देश बरकरार रखे।

एनसीएलएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक भूषण और टेक्नीकल मेंबर अरुण बरोका के दो सदस्यीय पीठ ने सीसीआई के इस निष्कर्ष को भी खारिज कर दिया कि मेटा ने ऑनलाइन विज्ञापन में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए मैसेजिंग बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग किया था। इससे पहले, जनवरी 2025 में, उसने तकनीकी कंपनियों को पांच साल के डेटा-शेयरिंग प्रतिबंध पर रोक लगाकर अंतरिम राहत प्रदान की थी। यह राहत यह देखते हुए दी गई थी कि इस तरह के प्रतिबंध से व्हाट्सऐप के फ्री-टू-यूज बिजनेस मॉडल में बाधा आ सकती है।

यह विवाद जनवरी 2021 से शुरू हुआ है, जब व्हाट्सऐप ने अपनी अपडेटेड गोपनीयता नीति लागू की थी, जिसमें मेटा समूह की कंपनियों के साथ डेटा साझा करना अनिवार्य था। सीसीआई ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पाया कि इस नए बदलाव ने उपयोगकर्ताओं के पास डेटा साझा करने से बाहर निकलने का विकल्प प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया है। नियामक ने कहा कि ‘इसे स्वीकारें या छोड़ दें’ दृष्टिकोण ने उपयोगकर्ताओं की स्वायत्तता छीन ली और प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 का उल्लंघन किया।

First Published - November 4, 2025 | 10:20 PM IST

संबंधित पोस्ट