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Stock Market : बाजार में गिरावट का सिलसिला थमा; नहीं बढ़ा ईरान-इजरायल तनाव, चीनी मार्केट की तेजी पड़ी फीकी

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 5,730 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और देसी संस्थागत निवेशकों ने 7,000 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की।

Last Updated- October 08, 2024 | 10:17 PM IST
BSE में लिस्टेड कंपनियों का MCap रिकॉर्ड 445.43 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा, MCap record of companies listed in BSE reached the level of Rs 445.43 lakh crore

शेयर बाजार में 6 दिन से चल रहा गिरावट का सिलसिला आज थम गया। चीन में नए प्रोत्साहन उपायों की घोषणा का ज्यादा उत्साह नहीं दिखा। देसी बाजार में भी 6 कारोबारी सत्रों में करीब 5 फीसदी की गिरावट देखने के बाद निवेशकों ने लिवाली शुरू कर दी, जिससे बेंचमार्क सूचकांकों में तेजी देखी गई।

ईरान-इजरायल के बीच तनाव और नहीं बढ़ा, जिससे कच्चे तेल के दाम में नरमी आई और निवेशकों का हौसला बढ़ गया। सेंसेक्स 585 अंक या 0.7 फीसदी चढ़कर 81,635 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 217 अंक या 0.8 फीसदी के लाभ के साथ 25,013 पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप और निफ्टी स्मॉलकैप में भी 2-2 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखी गई।

विदेशी पोर्टफोलियो ​निवेशकों ने इस महीने तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये की बिकवाली कर दी थी, जिससे पिछले 6 कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 5.6 फीसदी और निफ्टी 5.4 फीसदी नीचे आ गया था। चीन के बाजार में हाल में आई 30 फीसदी उछाल और प​श्चिम ए​शिया में बढ़ते तनाव ने बिकवाली को हवा दी थी।

सैमको सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक टी मनीष ने कहा, ‘बाजारों में जब भी लगातार गिरावट आई है तब आगे रिटर्न बढ़ा है। कुछ समय की उठापटक के बाद आम तौर पर बाजार तेजी की राह पकड़ लेता है। हालिया गिरावट विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण आई थी मगर देसी संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों की नकदी से बाजार मजबूत बना हुआ है। गिरावट के समय ये बाजार में निवेश कर सकते हैं।’

मनीष ने कहा कि हालिया गिरावट ने कम मूल्यांकन पर अच्छे शेयर खरीदने और रिटर्न बढ़ाने की संभावना का फायदा उठाने का मौका दिया है।

इस बीच चीन की शीर्ष इकनॉमिक प्लानिंग एजेंसी ने अधिक बड़े प्रोत्साहन उपायों की घोषणा नहीं की, जिससे चीन में शेयर बाजार की तेजी फीकी पड़ गई। हैंग सैंग में 9.4 फीसदी गिरावट देखी गई जबकि शांघाई कंपोजिट 4.6 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी फंडों की रकम चीन के बाजार में जाने से भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है मगर यह कुछ समय के लिए ही होगा क्योंकि भारत की विकास गाथा अब भी आकर्षक है। अगर मूल्यांकन और कम होता है तो विदेशी निवेशक बाजार में लौट सकते हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 5,730 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और देसी संस्थागत निवेशकों ने 7,000 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की।

येस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा, ‘वर्ष 2020 से ही देखा जा रहा है कि चीन के बाजार में तेजी औसतन दो महीने रहती है और फिर बाजार लुढ़क जाता है।’ बाजार की आगे की चाल भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के निर्णय और इस हफ्ते से शुरू होने वाले तिमाही नतीजों पर निर्भर करेगी। निवेशकों की नजर बुधवार को जारी होने वाले फेडरल रिजर्व बैठक के ब्योरे, और अमेरिका में रोजगार तथा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी होगी।

रेलिगेयर ब्रोकिंग में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘निफ्टी को 25,150 से 25,300 के बीच प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है और 25,500 पर भी प्रतिरोध बना रहेगा। ट्रेडरों को बाजार में आई उछाल का इस्तेमाल अपनी पोजिशन कम करने तथा लंबी अव​धि के लिए चुनिंदा खरीदारी के लिए करना चाहिए। हमारा दांव आईटी और फार्मा शेयर पर होगा। अन्य क्षेत्रों में चुनिंदा रुख अपनाने की हमारी सलाह है।’

बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 3,024 शेयर चढ़कर और 923 गिरावट पर बंद हुए।

 

First Published - October 8, 2024 | 10:17 PM IST

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