एल्गोरिदम और हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग के बढ़ते इस्तेमाल ने जहां बाजार में दक्षता (efficiency) बढ़ाई है, वहीं इसने रिस्क कंट्रोल, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और अनुपालन सुरक्षा उपायों (compliance safeguards) की आवश्यकता भी पहले से ज्यादा बढ़ा दी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने मंगलवार को मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस इंडिया 2025 में यह बात कही।
पांडेय ने कहा कि तेजी से बदलती तकनीक, आपस में जुड़े बाजारों (interconnectedness) और निवेशकों की बढ़ती अपेक्षाएं वित्तीय संस्थानों के लिए नई चुनौतियां पेश कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “आज के समय में फाइनेंशियल इंटरमीडियरीज ऐसे लैंडस्केप में काम कर रहे हैं जो तेज तकनीकी बदलाव, आपस में जुड़े बाजारों और बढ़ती हितधारक अपेक्षाओं से परिभाषित है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि तकनीक जहां गति और पहुंच को बेहतर बनाती है, वहीं यह जोखिमों को भी बढ़ा देती है।
पांडेय ने कहा, “कंपनियों को संवेदनशील ग्राहक डेटा (sensitive client data) और महत्वपूर्ण ढांचे (critical infrastructure) को एडवांस साइबर खतरों से सुरक्षित रखना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी वेंडर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स पर बढ़ती निर्भरता के कारण थर्ड-पार्टी और आउटसोर्सिंग जोखिम भी काफी बढ़ गए हैं।
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पांडेय ने कहा कि बिचौलियों को अस्थिरता और डिजिटल परिवर्तन के दौर में परिचालन लचीलापन (operational resilience) सुनिश्चित करना चाहिए और बिजनेस की निरंतरता बनाए रखनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि ग्राहकों को तेज और अधिक व्यक्तिगत सेवाएं देने की कोशिश मजबूत सिस्टम और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र (grievance redress mechanisms) की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) को तकनीकी गड़बड़ी के कारण चार घंटे तक ट्रेडिंग में देरी का सामना करना पड़ा था।
कार्यक्रम के बाद इस मुद्दे पर बात करते हुए सेबी चीफ ने कहा, “ऐसी समस्याओं का बार-बार होना अच्छा संकेत नहीं है। इस पर हम उचित विश्लेषण (proper analysis) के बाद ही टिप्पणी कर पाएंगे। इसके लिए रूट कॉज एनालिसिस (Root Cause Analysis) के अलग-अलग चरण होते हैं — एक रिपोर्ट 24 घंटे में और दूसरी 48 घंटे में जमा करनी होती है। हम मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार आगे बढ़ेंगे।”
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पांडेय ने कहा कि नियामक स्टॉक ब्रोकर रेगुलेशंस, 1992 की समीक्षा कर रहा है ताकि उन्हें और अधिक प्रासंगिक, सरल और सुव्यवस्थित बनाया जा सके। सेबी ने इस पर पहले ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था और इसका अप्रूवल दिसंबर तक मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि सेबी लगातार निवेशक सुरक्षा और बाजार की अखंडता (integrity) को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रहा है। इसके तहत कई उपाय शामिल हैं—
पांडेय ने कहा कि बाजार संस्थानों (market institutions) के लिए असली अंतर इस बात से तय होगा कि वे नियमों का पालन (compliance) कितनी तेजी से नहीं, बल्कि कितनी गहराई से और बेहतर तरीके से करते हैं।
उन्होंने कहा, “सबसे मजबूत और सम्मानित संस्थान वे होंगे जो कंप्लायंस को एक सीलिंग (सीमा) नहीं बल्कि एक फाउंडेशन (आधार) के रूप में देखते हैं — जिस पर ईमानदारी, लचीलापन और पारदर्शिता की संस्कृति बनाई जाती है, जो हर दिन निवेशकों का विश्वास जीतती है।”