बाजार में गिरावट का सिलसिला आज भी जारी रहा और बेंचमार्क सूचकांक करीब 1 फीसदी नीचे बंद हुए। बीते दो साल में सूचकांकों के प्रदर्शन के लिहाज से यह सबसे खराब हफ्ता रहा। पश्चिम एशिया में संघर्ष गहराने से वैश्विक निवेशक जोखिम वाली संपत्तियां बेच रहे हैं और तेल के दाम में तेजी देखी जा रही है। इस बीच चीन में सरकारी प्रोत्साहन के दम पर बाजार चढ़ने से विदेशी निवेशकों का रुख उसकी ओर होने का खटका बढ़ गया है।
सेंसेक्स और निफ्टी इस हफ्ते करीब 4.5 फीसदी नुकसान पर बंद हुए, जो जून 2022 के बाद किसी सप्ताह बेंचमार्क सूचकांकों में सबसे बड़ी गिरावट है। आज भी सेंसेक्स 809 अंक या 0.9 फीसदी की गिरावट के साथ 81,689 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में लगातार पांचवें दिन गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी भी 236 अंक नुकसान के साथ 25,015 पर बंद हुआ।
कारोबार के दौरान दोनों सूचकांक चढ़ गए थे मगर आज के ऊंचे स्तर से करीब 2-2 फीसदी गिर गए। बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण आज 4.2 लाख करोड़ रुपये घटकर 461 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस हफ्ते बाजार पूंजीकरण में कुल 17 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
बाजार में उठापटक मापने वाला सूचकांक इंडिया वीआईएक्स 7.3 फीसदी बढ़कर 14.1 पर पहुंच गया। उधर इसी हफ्ते हॉन्ग कॉन्ग का हैंगसैंग 10.2 फीसदी और चीन का शांघाई कंपोजिट 8.1 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ।
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण निवेशकों को कच्चे तेल के दामों की चिंता हो रही है। भारत के आयात पर होने वाले कुल खर्च में कच्चे तेल की बड़ी हिस्सेदारी होती है। अगर जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने ईरान के तेल संयंत्रों पर हमला कर दिया तो बाजार में रोजाना 15 लाख बैरल कम तेल पहुंचेगा।
निवेशकों को डर है कि ऐसा हुआ तो ईरान होर्मुज स्ट्रेट में रास्ता रोक सकता है। दुनिया को मिलने वाला करीब एक तिहाई तेल इसी रास्ते से होकर गुजरता है। तनाव बढ़ने के साथ पिछले छह दिन में कच्चा तेल 11.6 फीसदी बढ़कर 79.1 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर 2,387 शेयर गिरकर और 1,563 चढ़कर बंद हुए। एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.5-1.5 फीसदी गिरावट आई और सेंसेक्स की गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ इन्हीं दोनों का रहा। रिलायंस का शेयर पिछले एक हफ्ते में 9 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है।