विश्लेषकों ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और वाल्ट डिज्नी कं. (डिज्नी) के प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम (JV) पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई है। मुकेश अंबानी के नियंत्रण वाली कंपनी का शेयर गुरुवार को करीब 1.5 प्रतिशत चढ़कर 2,952 रुपये पर पहुंच गया जबकि सेंसेक्स में कमजोरी बनी रही और यह दिन के कारोबार में 0.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72,172 पर आ गया था। हालांकि आखिर में बढ़त के साथ बंद हुआ।
एमके ग्लोबल के विश्लेषकों का कहना है कि यह संयुक्त उपक्रम मीडिया एवं एंटरटेनमेंट उद्योग में बदलाव ला सकता है। कारण कि 40-45 प्रतिशत विज्ञापन बाजार हिस्सेदारी के साथ प्रसारण और डिजिटल क्षेत्र में अकेली सबसे बड़े कंपनी की स्थापना होगी। अपने बड़े आकार की वजह से यह संयुक्त उपक्रम कंटेंट बनाने वालों और विज्ञापनदाताओं के साथ मोलभाव करने में भी ज्यादा सक्षम होगा।
विश्लेषकों का कहना है कि यह घटनाक्रम जी जैसी दूसरी कंपनियों के लिए नकारात्मक होगा क्योंकि उन्हें अब काफी बड़ी कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। यूबीएस के विश्लेषकों का कहना है कि 25-30 प्रतिशत भागीदारी वाला संयुक्त उपक्रम ज़ी + सोनी संयुक्त उपक्रम डिज्नी+रिलायंस जेवी का एक मजबूत प्रतिस्पर्धी होता। लेकिन विलय टूट जाने के कारण ज़ी और सोनी दोनों को अकेले ही एक प्रमुख प्रतियोगी का प्रभाव महसूस करना पड़ेगा।
यूबीएस के आदित्य चंद्रशेखर, नवीन किल्ला और अमित रुस्तगी ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘हमने ज़ी पर तटस्थ रेटिंग दी है, भले ही जी के लिए 260 रुपये के हमारे कीमत लक्ष्य में विलय भी शामिल रहा है, लेकिन विलय टूट जाने की स्थिति में प्रति शेयर वैल्यू 190 रुपये है।’
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कार्यकारी निदेशक एवं शोध प्रमुख अबनीश रॉय का मानना है कि रिलायंस-डिज्नी जेवी से हॉटस्टार को 2.5 करोड़ ग्राहकों का नुकसान होने का अनुमान है।
रॉय ने कहा, ‘डिज्नी-हॉटस्टार खेल व्यवसाय में बड़ी पूंजी लगा रहा था। कुछ साल पहले स्टार को डिज्नी की वजह से स्वामित्व बदलाव से गुजरना पड़ा। अपनी मजबूत कनेक्टिविटी के साथ जियो स्पष्ट तौर पर भारत में विज्ञापन एवं एवं सबस्क्रिप्शन परिदृश्य में बदलाव लाने की अपनी क्षमता मजबूत बनाएगी। आरआईएल बड़ी तादाद में केबल टीवी ग्राहकों से भी जुड़ी हुई है जो विलय वाली इकाई के लिए फायदे की बात है।’
जेफरीज के अनुसार डिज्नी के भारतीय व्यवसाय की वैल्यू 25,900 करोड़ रुपये है जबकि आरआईएल के वायाकॉम18 के लिए यह आंकड़ा 33,000 करोड़ रुपये है। विलय वाली इकाई में आरआईएल की प्रत्यक्ष रूप से 16.34 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी जबकि वायाकॉम18 की हिस्सेदारी 46.82 प्रतिशत और डिज्नी की 36.84 प्रतिशत रहेगी।
नुवामा के रॉय का मानना है कि उपभोक्ताओं के लिए रियायत समाप्त होने वाली है क्योंकि डिजिटल और लीनियर टेलीविजन दोनों में दरें बढ़ने की संभावना है। उनका मानना है कि रिलायंस-डिज्नी की इकाई ग्राहक एआरपीयू और विज्ञापन दरें बढ़ाकर धीरे धीरे मुनाफा सुधारने में सक्षम होगी।
आरआईएल के लिए अन्य सकारात्मक बात यह है कि कंपनी दूरसंचार खंड में अपने व्यापक उपयोगकर्ता आधार का भी इस्तेमाल कर सकेगी। विश्लेषकों का कहना है कि इस संयुक्त उपक्रम को स्पोर्ट्स अधिकार, खासकर क्रिकेट भी हासिल होंगे।