प्रदूषण वाले दिनों के पहले भारत की हवा की गुणवत्ता चर्चा में है और केंद्र व राज्य सरकारें उत्तर भारत में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने की कवायद में जुटी हैं।
हवा की गुणवत्ता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक पूरा देश पूरे साल के दौरान वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर है।
केंद्र सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से मसौदा वायु प्रदूषण मानक तैयार कराया था, लेकिन अंतिम मानक अगले साल तक ही आने की संभावना है।
केंद्र, उसकी कुछ एजेंसियों और उत्तर भारत के 5 प्रमुख कृषि वाले राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान ने बड़े पैमाने पर पराली जलाए जाने को रोकने और आगामी महीनों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर जाने से रोकने के लिए कदम उठाए हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 5 राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ कुछ बैठकें की है, जिन्होंने पराली जलाए जाने को लेकर कार्ययोजना बनाई है। कमीशन फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) भी इस मसले पर राज्यों के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी करने की प्रक्रिया में है।
केंद्रीय कृषि और बिजली मंत्रालयों ने पराली के वैकल्पिक इस्तेमाल को लेकर भी कदम उठाए हैं। बिजली मंत्रालय ने सरकारी बिजली उत्पादक एनटीपीसी के साथ मिलकर कृषि पराली से 2 करोड़ टन बायो पैलेट बनाने की योजना बनाई है। करीब 14 ताप बिजली इकाइयों में इन पैलेट का इस्तेमाल कोयले के साथ ईंधन के रूप में होगा।
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कृषि मंत्रालय ने अगले 5 साल के लिए 400 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है और 5 राज्यों को अब तक 1,00,000 बायो कंपोजिशन मशीनें दी गई हैं। मंत्रालय ने पराली को जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कार्यबल का भी गठन किया है। गुजरात के कच्छ और राजस्थान के जैसलमेर इलाकों को चिह्नित किया गया है, जहां पशुओं के चारे के लिए पराली भेजी जा सकती है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इस साल जाड़े में हवा की गुणवत्ता तुलनात्मक रूप से बेहतर रहेगी क्योंकि पहले ही इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘जुलाई से सितंबर तक 6 एडवाइजरी और 40 दिशानिर्देश हवा की गुणवत्ता पर जारी किए गए हैं। दिल्ली में प्रदूषण की कुछ वजहों में वाहनों से उत्सर्जन, पराली, निर्माण आदि है। हम पराली जलाए जाने के मामले रोकने के लिए कड़ी निगरानी, वैकल्पिक तरीकों के इस्तेमाल जैसे सक्रिय कदम उठा रहे हैं।’
