वित्त वर्ष 2024 में पूंजीगत व्यय करने में राज्य केंद्र से पीछे रहे हैं। इस वित्त वर्ष में केंद्र का पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के आंकड़ों का विश्लेषण कर बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने बताया कि केंद्र ने अप्रैल से नवंबर के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 58.5 प्रतिशत व्यय कर दिया है। दूसरी तरफ, 26 राज्यों ने समन्वित रूप से 7 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 45 प्रतिशत व्यय किया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, ‘इस साल केंद्र से पीछे राज्य हैं। इन राज्यों को बहुत बड़ी दूरी को पाटना है।’ यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र ने राज्यों को वित्त वर्ष 24 में पूंजीगत निवेश के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये ब्याज मुक्त आबंटन किया था। नवंबर तक 97,374 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए गए हैं और संबंधित राज्यों को 59,030 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
इस रिपोर्ट में राज्यों को पूंजीगत खर्च करने के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है। इन श्रेणियों में 50 प्रतिशत से अधिक खर्च करने वाले (सक्रिय राज्य), 40-50 प्रतिशत (पारंपरिक राज्य), 30 से 40 प्रतिशत (पूरी तरह से आश्वस्त नहीं राज्य) और 30 प्रतिशत से कम (पिछड़े राज्य) हैं। इस सूची में अव्वल पर तेलंगाना 78.3 प्रतिशत पूंजीगत व्यय के साथ है। वित्त वर्ष 24 के पहले आठ महीनों में 16.2 प्रतिशत खर्च करने के साथ सबसे पिछड़ा राज्य नगालैंड है।
अन्य सक्रिय राज्यों में हरियाणा (68.6 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (65.6 प्रतिशत), बिहार (60.5 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (58.2 प्रतिशत), केरल (57.1 प्रतिशत) और तमिलनाडु (50.3 प्रतिशत) हैं। रिपार्ट के मुताबिक इन राज्यों को लक्ष्य हासिल करने में कुछ कम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
पारंपरिक राज्यों में सिक्किम (49.8 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (49.7 प्रतिशत), मेघालय (48.7 प्रतिशत), राजस्थान (46.8 प्रतिशत), असम (46.5 प्रतिशत), ओडिशा (44 प्रतिशत), झारखंड (41.2 प्रतिशत) और पश्चिम बंगाल (41 प्रतिशत) हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन राज्यों के समक्ष कुछ चुनौतियां हैं और वे लक्ष्य के करीब पहुंच सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ऐसा इसलिए हैं क्योंकि ये राज्य अपने राजस्व प्राप्ति के अनुसार बाद के कुछ महीनों में खर्च करना चाहते हैं।
ऐसे में इनके पास परियोजनाएं होनी जरूरी हैं। ऐसे 8 राज्य थे और इनमें से पांच छोटे राज्य थे।’ पूरी तरह आश्वस्त नहीं राज्यों में गुजरात (39.6 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (37.8 प्रतिशत), उत्तराखंड (35.3 प्रतिशत), महाराष्ट्र (30.9 प्रतिशत) और कर्नाटक (30.8 प्रतिशत) हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह महत्त्वपूर्ण श्रेणी है। इन श्रेणी के चार राज्य पूंजी के सर्वाधिक खर्च करने वाले हैं।