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भारत को भरोसा, H-1बी वीजा शुल्क पर अमेरिका देगा ढील: विदेश मंत्रालय

H-1B Visa: भारत ने अमेरिका के एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ोतरी पर भरोसा जताया है कि अमेरिका इस पर कुछ नरमी दिखाएगा और बातचीत जारी रहेगी।

Last Updated- September 27, 2025 | 11:25 AM IST
H-1B visa
Representative Image

एच-1बी वीजा पर मुद्दे पर भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उद्योग के साथ बातचीत जारी रखेगा तथा इससे जुड़े सभी पक्षों को यह भी समझाएगा कि कुशल प्रतिभाओं की आवाजाही और आदान-प्रदान से दोनों देशों को मदद मिल रही है। केंद्र सरकार को भरोसा है कि अमेरिका द्वारा एच1बी वीजा शुल्क में की गई भारी भरकम वृद्धि अभी एक उभरती स्थिति है और अमेरिका इसमें कुछ ढील जरूर देगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने प्रस्तावित नियमन के संबंध में अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग का नोटिस देखा है। मैं समझता हूं कि उद्योग सहित सभी हितधारकों के पास इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए महीने भर का वक्त है।’

विदेश मंत्रालय और वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास एच-1बी वीजा और बीते हफ्ते जारी प्रतिबंधों के मसले पर अमेरिकी सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नए उपायों के बाद अमेरिकी सरकार ने स्पष्टीकरण और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) भी जारी किया था, जिससे पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन और उद्योग के साथ उसकी बातचीत के नतीजे आने लगे हैं।

जायसवाल ने कहा, ‘यह अब भी एक उभरती हुई स्थिति है और हम विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कुशल प्रतिभाओं के आदान-प्रदान ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक वृद्धि, प्रतिस्पर्धा और धन सृजन में बड़ा योगदान दिया है।’ हर साल एच-1बी वीजा पाने वालों में दो तिहाई भारतीय होते हैं और ट्रंप सरकार द्वारा कुशल श्रमिकों के लिए नए एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 1 लाख डॉलर का भारी भरकम शुल्क लगाने से भारत के 280 अरब डॉलर के प्रौद्योगिकी सेवा उद्योग को नुकसान पहुंच सकता है और हजारों नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ हुई बैठक के बारे में पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा कि बैठक में मुख्य रूप से व्यापार और शुल्क से जुड़े मसलों पर ही चर्चा की गई। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमिसन ग्रीर भी इस बैठक में मौजूद थे। जायसवाल ने कहा कि बैठक में भारत और अमेरिका के संबंधों के अन्य पहलुओं पर भी चर्चा की गई।

साथ ही, जायसवाल ने नाटो महासचिव मार्क रूटे की इस टिप्पणी को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन को फोन किया और भारत पर अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के मद्देनजर यूक्रेन पर रूस की रणनीति के बारे में पूछा। जायसवाल ने कहा कि ऐसी अटकलें या लापरवाही भरी टिप्पणियां, जो प्रधानमंत्री मोदी को किसी भी तरह से गलत तरीके से पेश करती हैं या ऐसी बातचीत होने का दावा करती हैं, जो कभी हुई ही नहीं अस्वीकार्य हैं।

जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी सुझाए गए तरीके से राष्ट्रपति पुतिन से बात नहीं की ऐसी कोई बातचीत हुई ही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम नाटो जैसे महत्त्वपूर्ण संगठन के नेतृत्व से सार्वजनिक बयानों में अधिक जिम्मेदारी और सटीकता बरतने की उम्मीद करते हैं। ऐसी अटकलें या लापरवाही भरी टिप्पणियां, जो प्रधानमंत्री मोदी को किसी भी तरह से गलत तरीके से पेश करती हैं या ऐसी बातचीत होने का दावा करती हैं, जो कभी हुई ही नहीं अस्वीकार्य हैं।’

रूटे ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान सीएनएन को बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए शुल्क का रूस पर ‘बड़ा प्रभाव’ पड़ रहा है और भारत के प्रधानमंत्री ने पुतिन से फोन पर बात कर रही है। उन्होंने दावा किया, ‘और मोदी उनसे यूक्रेन पर अपनी रणनीति बताने के लिए कह रहे हैं क्योंकि भारत पर शुल्क का असर पड़ रहा है।’

रूस से कच्चे तेल के आयात पर पूछे जाने पर जायसवाल ने कहा कि भारत का तेल आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अनुमानित और किफायती ऊर्जा लागत सुनिश्चित करने के लिए है। उन्होंने कहा, ‘भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की हिफाजत के लिए सभी आवश्यक उपाय करना जारी रखेगा।’

First Published - September 27, 2025 | 11:25 AM IST

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