facebookmetapixel
ट्रंप प्रशासन की कड़ी जांच के बीच गूगल कर्मचारियों को मिली यात्रा चेतावनीभारत और EU पर अमेरिका की नाराजगी, 2026 तक लटक सकता है ट्रेड डील का मामलाIndiGo यात्रियों को देगा मुआवजा, 26 दिसंबर से शुरू होगा भुगतानटेस्ला के सीईओ Elon Musk की करोड़ों की जीत, डेलावेयर कोर्ट ने बहाल किया 55 बिलियन डॉलर का पैकेजत्योहारी सीजन में दोपहिया वाहनों की बिक्री चमकी, ग्रामीण बाजार ने बढ़ाई रफ्तारGlobalLogic का एआई प्रयोग सफल, 50% पीओसी सीधे उत्पादन मेंसर्ट-इन ने चेताया: iOS और iPadOS में फंसी खतरनाक बग, डेटा और प्राइवेसी जोखिम मेंश्रम कानूनों के पालन में मदद के लिए सरकार लाएगी गाइडबुकभारत-ओमान CEPA में सामाजिक सुरक्षा प्रावधान पर होगी अहम बातचीतईयू के लंबित मुद्दों पर बातचीत के लिए बेल्जियम जाएंगे पीयूष गोयल

भारत और EU पर अमेरिका की नाराजगी, 2026 तक लटक सकता है ट्रेड डील का मामला

अमेरिका ने भारत और यूरोपीय संघ की नीतियों पर नाराज़गी जताते हुए संकेत दिया है कि व्यापार समझौते की बातचीत 2026 तक लंबी खिंच सकती है।

Last Updated- December 20, 2025 | 2:23 PM IST
India USA
Representative Image

अमेरिका के शीर्ष व्यापार अधिकारी ने भारत और यूरोपीय संघ (EU) की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी की है। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि इन दोनों के साथ चल रही व्यापार वार्ताएं 2026 तक भी पूरी नहीं हो सकती हैं।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर (Jamieson Greer) ने कहा कि उन्होंने EU के साथ अमेरिकी टेक कंपनियों पर लगाए जा रहे नियमों को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि EU की नीतियां अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं।

ग्रीर ने यह भी कहा कि भारत के साथ इस साल शुरू हुई व्यापार बातचीत अब तक किसी समझौते तक नहीं पहुंच सकी है। उन्होंने बताया कि इसी दौरान अमेरिका ने मलेशिया, स्विट्जरलैंड समेत कई अन्य देशों के साथ व्यापार समझौते कर लिए हैं।

ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में ग्रीर ने कहा कि उन्हें पहले से अंदाजा था कि EU और भारत के साथ बातचीत ज्यादा मुश्किल होगी। EU के मामले में उन्होंने गैर-टैरिफ बाधाओं का जिक्र किया, जो अमेरिकी कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए मुश्किलें पैदा करती हैं।

अमेरिकी व्यापार कार्यालय ने हाल ही में सोशल मीडिया पर संकेत दिया कि अगर EU अमेरिकी टेक कंपनियों पर टैक्स लगाने की कोशिश करता है, तो जवाबी कार्रवाई हो सकती है। इसके तहत कुछ यूरोपीय कंपनियों पर नए शुल्क या प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

विवाद का मुख्य कारण EU की डिजिटल नीतियां हैं, जिनके तहत गूगल, मेटा और Amazon जैसी बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियों को नियंत्रित किया जा रहा है। अमेरिका का आरोप है कि ये नियम नवाचार को धीमा करते हैं और खास तौर पर अमेरिकी कंपनियों को निशाना बनाते हैं।

EU ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि वह अपनी तकनीकी संप्रभुता की रक्षा कर रहा है और नियम सभी पर समान रूप से लागू होते हैं।

भारत के संदर्भ में, ग्रीर की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब हाल ही में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत हुई थी। अगस्त में अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 50% तक टैरिफ लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच यह चौथी बातचीत थी।

हालांकि दोनों देश रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन महीनों की बातचीत के बावजूद व्यापार समझौते पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो पाई है। इस हफ्ते नई दिल्ली में हुई वार्ता भी बिना नतीजे के खत्म हुई।

First Published - December 20, 2025 | 2:23 PM IST

संबंधित पोस्ट