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Navratri Financial Tips: दशहरा पर जीत सिर्फ रावण पर नहीं, पैसों पर भी जरूरी; एक्सपर्ट के 9 मनी मैनेजमेंट मंत्र

नवरात्र और दशहरा हमें यह सीख देते हैं कि जैसे अनुशासन और सही फैसलों से जीवन में विजय मिलती है, वैसे ही समझदारी से किए गए वित्तीय कदम भी आर्थिक समृद्धि दिला सकते हैं।

Last Updated- September 27, 2025 | 3:15 PM IST
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Navratri 2025 Financial Tips: नवरात्रि का पावन पर्व अब समापन की ओर है और कुछ ही दिनों बाद विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। यह समय सिर्फ पूजा, उत्सव और रावण दहन तक सीमित नहीं है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि त्योहारों की खुशी तभी स्थायी होती है जब आर्थिक स्थिति मजबूत हो। त्योहारों का समय खुशियां और नए अवसर लेकर आता है, लेकिन इसी दौरान जेब पर सबसे ज्यादा बोझ भी पड़ता है। इस पर मनीफ्रंट के को-फाउंडर और सीईओ मोहित गांग का कहना है कि उत्सव के मौके पर खर्च बढ़ जाना स्वाभाविक है, लेकिन यह कई बार हमारी सबसे अनुशासित वित्तीय योजनाओं को भी चुनौती दे सकता है। ऑफर्स और छूट के लालच में जरूरत से ज्यादा खर्च करना बाद में परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए, इस अवधि में और भी ज्यादा समझदारी और संयम की जरूरत होती है।

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जैसे भगवान राम ने धैर्य, रणनीति और अनुशासन से रावण पर विजय पाई, वैसे ही हम भी अपने वित्तीय जीवन में जीत हासिल कर सकते हैं। नवरात्र के नौ दिनों की साधना और दशहरा की विजय हमें यह सिखाते हैं कि समझदारी और अनुशासन से उठाए गए कदम न सिर्फ त्योहारों की खुशी बढ़ाएंगे, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति भी सुनिश्चित करेंगे।

प्रतिपदा (शैलपुत्री)

नवरात्र के पहले दिन का संबंध नई शुरुआत और मजबूत नींव से है। वित्तीय जीवन में भी सबसे पहले आधार मजबूत करना जरूरी है। इसके लिए 6 से 12 महीने के खर्च के बराबर एक आपातकालीन फंड बनाना चाहिए। साथ ही, स्वास्थ्य, जीवन और वाहन का बीमा लेकर खुद और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। बिना इन मूलभूत कदमों के जटिल निवेशों में उतरना सही नहीं है।

द्वितीया (ब्रह्मचारिणी)

नवरात्र का दूसरा दिन अनुशासन और संयम का प्रतीक है। आर्थिक जीवन में अनुशासन का मतलब है कि आप अपनी आय और खर्च का वास्तविक बजट बनाएं और उस पर टिके रहें। बचत और निवेश को ऑटोमेट करने के लिए एसआईपी या आरडी जैसे विकल्प अपनाएं। आज थोड़ा कम खर्च करके भविष्य की स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है।

तृतीया(चंद्रघंटा)

तीसरा दिन सुरक्षा का संदेश देता है। इसका मतलब है कि आप अपने बीमा कवरेज की समय-समय पर समीक्षा करें और परिवार की सुरक्षा के लिए सही नॉमिनेशन और वसीयत तैयार करें। निवेश के मामले में इक्विटी, डेब्ट और गोल्ड का संतुलित पोर्टफोलियो बनाना जरूरी है, जिससे जोखिम और स्थिरता के बीच सही तालमेल बना रहे।

चतुर्थी (कूष्मांडा)

नवरात्र का चौथे दिन रचनात्मकता और विकास की प्रतीक हैं। इसी तरह वित्तीय जीवन में सोची-समझी रणनीति के साथ निवेश करना जरूरी है। लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड अच्छे विकल्प हो सकते हैं। यहां निरंतरता बेहद जरूरी है। हर महीने नियमित निवेश भविष्य के लिए प्रकाश का काम करता है।

पंचमी (स्कंदमाता)

इस दिन से देखभाल और धैर्य का संदेश मिलता है। निवेश भी एक पौधे की तरह है, जिसे समय-समय पर ध्यान की जरूरत होती है। पोर्टफोलियो की समीक्षा करें, लेकिन अल्पकालिक उतार-चढ़ाव में घबराकर बदलाव न करें। सालाना रीबैलेंसिंग से लक्ष्य पर बने रहा जा सकता है। धैर्यपूर्वक निवेश को समय देना ही असली संपत्ति बनाता है।

षष्ठी (कात्यायनी)

यह दिन साहस और दृढ़ता का प्रतीक हैं। वित्तीय रूप से इसका अर्थ है कि सही रिसर्च और जानकारी के आधार पर साहसी फैसले लें। सिर्फ सुरक्षित विकल्पों पर टिके रहने से बेहतर है कि कुछ ग्रोथ ओरिएंटेड विकल्पों जैसे इक्विटी में भी निवेश किया जाए। साथ ही स्मार्ट डाइवर्सिफिकेशन करके पोर्टफोलियो को मजबूत बनाया जा सकता है।

सप्तमी (कालरात्रि)

सातवें दिन से नकारात्मकता और डर को खत्म करने का संदेश मिलता है। वित्तीय जीवन में इसका मतलब है कि महंगे कर्ज, जैसे क्रेडिट कार्ड के बकाया, को जल्द से जल्द खत्म करें। बाजार की अस्थिरता से डरकर निवेश बंद न करें। लंबी अवधि में ‘टाइम इन द मार्केट’ ज्यादा मायने रखता है। साथ ही वित्तीय ज्ञान बढ़ाकर आत्मविश्वास से फैसले लेना चाहिए।

अष्टमी (महागौरी)

नवरात्र के आठवें दिन को सादगी और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। आर्थिक जीवन में यह हमें अनावश्यक बोझ से मुक्त होने की सीख देती हैं। बेवजह के बैंक खाते और कार्ड बंद करें, बिखरे हुए निवेशों को एक जगह समेकित करें और केवल भरोसेमंद, लंबे समय के विकल्पों पर फोकस करें। सरलता ही स्थिरता की कुंजी है।

नवमी (सिद्धिदात्री)

नवां दिन ज्ञान और पूर्णता का संदेश है। वित्तीय दृष्टि से यह दिन हमें अपने बड़े लक्ष्यों की योजना बनाने की प्रेरणा देता है। बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट और भविष्य की स्वतंत्रता के लिए योजनाबद्ध निवेश करें। असली मकसद आर्थिक स्वतंत्रता होना चाहिए, जहां आपके निवेश आपकी जरूरतें पूरी करें और धन तनाव नहीं बल्कि स्वतंत्रता का माध्यम बने।

विजयदशमी

दशहरा का दिन आर्थिक विजय का प्रतीक है। इस दिन कोई एक ठोस वित्तीय कदम उठाना बेहद शुभ माना जाता है। चाहे वह पुराना कर्ज खत्म करना हो, निवेश योजना शुरू करना हो या अपनी पूरी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना हो—यह कदम आर्थिक अव्यवस्था पर विजय और समृद्धि की ओर नया रास्ता बनाता है।

First Published - September 27, 2025 | 3:09 PM IST

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