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Viasat देगी सैटेलाइट कम्युनिकेशन को नया आकार! भारत में स्टार्टअप के साथ मिनी जियोसैटेलाइट बनाने के लिए कर रही बातचीत

कंपनी का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह सेवा प्रदाताओं की तुलना में कम कीमत पर ब्रॉडबैंड बैंडविड्थ खरीदने में सक्षम बनाना है।

Last Updated- September 28, 2025 | 11:19 PM IST
satellite communication

कैलिफोर्निया की सैटेलाइट दिग्गज वायसैट इंक भारत में लघु भूस्थिर उपग्रहों या जियो सैटेलाइट के संयुक्त निर्माण के लिए भारतीय स्टार्टअप के साथ बातचीत कर रही है। इससे सैटेलाइट सेवाओं में कीमतों की होड़ शुरू हो सकती है। कंपनी का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह सेवा प्रदाताओं की तुलना में कम कीमत पर ब्रॉडबैंड बैंडविड्थ खरीदने में सक्षम बनाना है।

वैश्विक स्तर पर स्टारलिंक, यूटेलसैट, वनवेब और टेलीसैट जैसी कंपनियां लो अर्थ ऑर्बिट पर अपनी सेवाएं देती हैं। जियो सैटेलाइट भूमध्यरेखा से 35,786 किलोमीटर से अधिक ऊपर परिक्रमा करते हैं जबकिलो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह पृथ्वी की सतह से 500 किलोमीटर और 2,000 किलोमीटर के बीच परिक्रमा करते हैं।

छोटे जियो सैटेलाइट का मुख्य लाभ उनका लक्षित कवरेज है। वायसैट इंडिया के प्रबंध निदेशक गौतम शर्मा कहते हैं, ‘आज अगर मैं प्रति मेगाहर्ट्ज प्रति माह क्षमता खरीदता हूं तो इसकी कीमत डॉलर में तीन अंक में होती है। हमारा लक्ष्य न केवल सामान्य जियो सैटेलाइट की कीमतों की तुलना में सस्ता होना है, बल्कि लो अर्थ ऑर्बिट ऑपरेटरों के मुकाबले भी सस्ता होना है। हम कीमत को डॉलर में दो अंक में लाने की कोशिश कर
रहे हैं।’

वायसैट इंडिया के प्रबंध निदेशक गौतम शर्मा का कहना है कि इन लघु उपग्रहों में 175 गीगाबिट प्रति सेकंड की पेलोड क्षमता होगी जिसका उपयोग पूर्वोत्तर भारत तथा जम्मू कश्मीर जैसे इलाकों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘भारत में एक अरब लोगों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी है लेकिन 40 करोड़ लोग अभी भी ऑफलाइन हैं। यह एक बहुत बड़ा बाजार है।’

साझेदारी मॉडल पर शर्मा ने कहा कि वायसैट अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए उपग्रह पेलोड की आपूर्ति करेगा। कुछ उप-प्रणालियों का निर्माण भारत में किया जा सकता है। संभावित संरचना संयुक्त उपक्रम होगी। वायसैट इन लघु उपग्रहों को डिजाइन करने के अंतिम चरण में है जिसका जीवनकाल 15 साल होगा।

शर्मा ने कहा, ‘हर देश को अपना उपग्रह चाहिए और वह विदेशी उपग्रहों पर निर्भर रहना पसंद नहीं करता है। इससे हमारे लिए बहुत बड़ा बाजार है। हमें लघु जियो उपग्रह के लिए अफ्रीका के कई देशों सहित 20 से अधिक देशों से अनुरोध मिले हैं। इससे भारत से निर्यात की संभावना भी है।’
वायसैट पहले से ही भारत संचार निगम (बीएसएनएल) के साथ साझेदारी में गाजियाबाद में अपने गेटवे के माध्यम से 100 से अधिक बिजनेस जेट के लिए भारत में इन-फ्लाइट संचार सेवाएं प्रदान करता है। शर्मा ने कहा कि एयर इंडिया के साथ बातचीत चल रही है।

कंपनी उभरते डायरेक्ट-टु-डिवाइस (डी2डी) सेवा क्षेत्र में बीएसएनएल के साथ अपनी साझेदारी बढ़ा रही है। डी2डी तकनीक सैटेलाइट के माध्यम से सीधे मोबाइल फोन पर संचार की सुविधा होती है।

शर्मा कहते हैं, ‘हमने इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक डी2डी योजना का पहला चरण शुरू करने के लिए व्यावसायिक लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है, जो शुरू में इमरजेंसी मैसेजिंग सेवाएं प्रदान करेगा।’

यह तकनीक पिछले साल के इंडियन मोबाइल कांग्रेस में प्रदर्शित की गई थी। अधिक से अधिक फोन एल-बैंड स्पेक्ट्रम (बीएसएनएल के पास इसका लाइसेंस है) का उपयोग कर सकते हैं। उपयोगकर्ता 2,000 से 3,000 रुपये में आने वाले एक छोटे प्लग-इन डिवाइस के माध्यम से भी कनेक्ट हो सकते हैं।

वायसैट बीएसएनएल के साथ मिलकर काम करेगा लेकिन अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ साझेदारी का विकल्प भी खुला है। दूसरे चरण में वायसैट ने वैश्विक स्तर पर डी2डी सेवाएं प्रदान करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की स्पेसटेक कंपनी स्पेस42 के साथ समझौते की घोषणा की है।

First Published - September 28, 2025 | 11:19 PM IST

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