सरकार आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में बीमा कानूनों में बड़े बदलाव करने जा रही है। सबसे अहम प्रस्ताव ये है कि बीमा कंपनियों में विदेशी निवेश (FDI) की मौजूदा 74 फीसदी की सीमा को हटाकर 100 फीसदी कर दिया जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी साल के बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी और अब इसे कानूनी रूप देने की तैयारी है।
सत्र 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा, यानी कुल 15 कामकाजी दिन। लोकसभा के बुलेटिन में साफ लिखा है कि इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल 2025 को इसी सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल के जरिए सरकार बीमा क्षेत्र में गहराई तक पहुंच बनाने, डेवलपमेंट में तेजी लाने और कारोबार को आसान बनाने की दिशा में कदम उठाना चाहती है।
LIC के बोर्ड को और अधिकार मिलेंगे, जैसे खुद शाखाएं खोलना, स्टाफ भर्ती करना वगैरह। अभी ये सारे फैसले सरकार के पास रहते हैं।
अब तक बीमा क्षेत्र में करीब 82 हज़ार करोड़ रुपए का विदेशी निवेश खींच चुका है। सरकार का मानना है कि 100% FDI से और ज्यादा विदेशी कंपनियां आएंगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, प्रीमियम सस्ता होगा और बीमा पहुंच आम आदमी तक ज़्यादा होगी। लंबे समय का लक्ष्य है कि 2047 तक “हर व्यक्ति तक बीमा” पहुंच जाए।
वित्त मंत्रालय इसी सत्र में सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025 भी ला रहा है। इसके तहत सेबी एक्ट 1992, डिपॉजिटरी एक्ट 1996 और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट 1956 को मिलाकर एक ही नया कोड बनाया जाएगा। साथ ही 2025-26 के लिए पहली सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रांट्स भी पेश होगी, जिसमें बजट से बाहर अतिरिक्त खर्च के लिए संसद की मंज़ूरी ली जाएगी।
(PTI के इनपुट के साथ)