वित्त मंत्रालय ने आज आगाह किया कि अगर अल नीनो पर अमेरिका की सरकारी मौसम एजेंसी का अनुमान सही साबित हुआ तो कृषि पैदावार घटने और मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा हो सकता है। यह पहला मौका है जब किसी सरकारी विभाग ने 2023 में अल नीनो के संभावित प्रभाव पर चिंता जताई है। अल नीनो सक्रिय होने से मॉनसून के दौरान बारिश सामान्य से कम रह सकती है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रकोष्ठ ने मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा, ‘मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली कुछ एजेंसियों ने इस साल भारत में अल नीनो सक्रिय होने का अनुमान जताया है। अगर ये अनुमान सही होते हैं तो मॉनसून के दौरान बारिश कम रह सकती है, जिससे पैदावार कम होने और कीमतें बढ़ने की आशंका पैदा हो जाएगी।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने संभावना जताई कि वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6 से 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान कृषि क्षेत्र में 3 से 3.5 फीसदी वृद्धि के अनुमान पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसा है तो मॉनसून को इस साल भी सामान्य रहना पड़ेगा। लेकिन अल नीनो सक्रिय होने का अनुमान अच्छी खबर नहीं है क्योंकि इससे कृषि उत्पादन प्रभावित होगा, जिसका असर उपज पर ही नहीं बल्कि मुद्रास्फीति पर भी दिख सकता है। इससे कृषि आय में भी कमी आएगी और ग्रामीण इलाकों में खर्च प्रभावित होगा।’
सबनवीस ने कहा कि फरवरी-मार्च में बढ़ते पारे से गेहूं की फसल को नुकसान होने का खतरा है। उन्होंने कहा, ‘उत्पादन में 10 लाख टन कमी आने का भी मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसलिए अल नीनो चिंता का सबब हो सकता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से बेहतर पैदावार के कारण हमें थोड़ी राहत मिली थी।’
कृषि मंत्रालय ने 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 11.22 करोड़ टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के प्रबंध निदेशक अशोक केके मीणा ने आज कहा कि बढ़ते पारे के बावजूद मार्च मध्य से शुरू होने वाली गेहूं की खरीद इस साल सामान्य रहेगी और कुल सरकारी खरीद 3 से 4 करोड़ टन रह सकती है।
भारतीय मौसम विभाग ने फिर कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले 5 दिनों तक पारा सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रह सकता है।
नुवामा रिसर्च के अवनीश राय, ऋषभ बछावत और जैनम गोसर ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है, ‘पिछली बार 2018 में अल नीनो का प्रभाव देखा गया था, जिसके कारण भारत में सामान्य से कम बारिश हुई थी। इसके बाद से लगातार चार साल मॉनसून सामान्य रहा। इस बार फिर अल नीनो आने का खतरा है, जिसकी तस्वीर अप्रैल-मई तक साफ होगी।’
हालांकि मासिक आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष में देश के आर्थिक प्रदर्शन पर आशावादी रुख जताया गया है।