चक्रवाती तूफान मिगजॉम के कारण लगातार बारिश होने से आज चेन्नई और उसके आसपास के जिले पानी-पानी हो गए। इससे दो लोगों की मौत हो गई और सड़क, हवाई तथा रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। मौसम बिगड़ने के कारण कई कारखानों में भी कामकाज ठप करना पड़ा।
दक्षिण एशिया के सबसे बड़े, लघु एवं मझोले उद्योगों वाले औद्योगिक क्षेत्र अंबत्तूर में धातुओं के टकराने की आवाज, वेल्डिंग के दौरान दिखने वाली चिंगारी और रसायनों की महक के साथ ही सामान्य दिन की शुरुआत हो गई है। लेकिन यहां पानी निकालने वाली मोटरों की घरघराहट ज्यादा सुनाई पड़ रही है और कीचड़ तथा गंदे पानी की दुर्गंध से मुश्किलें बढ़ गई हैं।
बाढ़ से इस क्षेत्र के 300,000 से अधिक श्रमिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। यहां के कारखानों के अधिकांश मालिक अपने नुकसान का आकलन करने और अपनी इकाइयों की सफाई करने में व्यस्त दिखे।
अंबत्तूर में राहत और बचाव अभियान के प्रभारी स्कूली शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी के अनुसार इस क्षेत्र को तूफान की वजह से आई बाढ़ से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। अंबत्तूर औद्योगिक एस्टेट का उत्तरी हिस्सा पूरी तरह से जलमग्न हो गया जहां करीब 1,500 सूक्ष्म, लघु एवं मझोले स्तर के उद्यम (एमएसएमई) हैं।
अंबत्तूर औद्योगिक एस्टेट की स्थापना 1964 में की गई थी और इसकी अधिकांश विनिर्माण इकाइयां, चेन्नई और अन्य जगहों पर मौजूद कई बड़े उद्योगों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने वाली और कलपुर्जे बनाने वाली सहायक वाहन इकाइयां हैं।
जब बिज़नेस स्टैंडर्ड ने उदयम इंडस्ट्रीज के मालिक सत्य नारायणन से बाढ़ के पानी से भरे उनके कारखाने के सामने मुलाकात की। नारायणन ने कहा, ‘पिछले दो दिनों से करीब चार फुट की ऊंचाई तक पानी भरा था। हमारे सभी उपकरण पानी में डूब गए थे।’
उदयम इंडस्ट्रीज ने 2000 के दशक की शुरुआत में अपना काम शुरू किया था और उस वक्त से ही इसके प्रमुख खरीदार में टीवीएस कंपनी का नाम शामिल रहा है। नारायणन ने कहा, ‘हमने टीवीएस को अपने नुकसान की जानकारी दी है और नुकसान बहुत बड़ा है। अभी काम शुरू होने में कम से कम दो दिन लग सकते हैं।’
उनके लिए एक बड़ी चिंता लगभग 40 लाख रुपये का ऋण है और इसीलिए वह चाहते हैं कि कम से कम एक महीने के लिए मासिक किस्त में राहत देने के लिए सरकार हस्तक्षेप करे। इस औद्योगिक केंद्र के प्रमुख ग्राहकों में टीवीएस मोटर, अशोक लीलैंड और ह्युंडै मोटर इंडिया जैसी वाहन कंपनियां हैं। उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि उन्हें आपूर्ति से जुड़ी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि इन बड़ी कंपनियों के लिए एक वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला भी है।
वाहन के कलपुर्जे बनाने वाली चेन्नई की कंपनी, डेल्टा कंट्रोल सिस्टम की शुरुआत 1989 में हुई थी और इसके मुख्य कार्याधिकारी बालचंद्रन मुत्तैया हैं। उस वक्त से ही उन्होंने वर्ष 2015 में आई भयंकर बाढ़ और जलजमाव के कारण बनी छोटी बाढ़ की स्थिति का सामना भी किया है। हालांकि, पहली बार इस औद्योगिक केंद्र के कई क्षेत्रों में पानी, चार फुट से अधिक के स्तर तक बढ़ गया। हालात और बुरे इस वजह से हुए क्योंकि यहां चार दशकों में सबसे अधिक बारिश भी हो गई।
बालचंद्रन के अनुसार, अंबत्तूर झील में अंबत्तूर, आवडी और पड़ोसी क्षेत्रों से दो से तीन गुना अधिक पानी आया जिसके कारण झील के पानी का प्रवाह बढ़ गया और क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बन गई।
नारायणन के कारखाने के करीब आधा किलोमीटर दूर, कई श्रमिकआईईपीएल (अयप्पन इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज) नाम की कंपनी से पानी निकालने में व्यस्त थे। आईईपीएल के प्रबंधक वसंत कुमार ने कहा, ‘जलजमाव होने से हमारी कई मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं। इससे नुकसान बढ़ गया और यह लगभग 70 श्रमिकों की आजीविका के लिहाज से बेहद गंभीर बात है।’
अंबत्तूर में ही औद्योगिक राहत कार्यों के प्रभारी और चेन्नई ऑटो एंसिलरी इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन कंपनी (सीएएआईआईयूसी) के प्रमुख वी विजयकुमारन कहते हैं, ‘जलजमाव अब कम होने लगा है। इस क्षेत्र के तूफानी पानी की क्षमता लगभग 200 क्यूसेक है और लगभग 500 क्यूसेक पानी क्षेत्र में आया, जिसके चलते बाढ़ आई। कई कारखानों में पानी में चार फुट तक भरा था। लगभग 1,000 कारखाने सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं इनमें से 90 प्रतिशत वाहन क्षेत्र से हैं।’ दुर्भाग्य की बात है कि केवल 50 फीसदी कारखानों का ही बीमा है।