भारत से पैसेंजर व्हीकल्स का निर्यात इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में 18 प्रतिशत बढ़कर 4,45,884 इकाइयों तक पहुँच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 3,76,679 इकाइयों था। इस क्षेत्र में मारुति सुजुकी सबसे आगे रही, जिसने 2 लाख से अधिक वाहनों का निर्यात किया।
पैसेंजर कारों का निर्यात इस अवधि में 2,29,281 इकाइयों तक बढ़ा, जो पिछले साल की 2,05,091 इकाइयों के मुकाबले 12 प्रतिशत की वृद्धि है।
उपयोगिता वाहन (यूवी) का निर्यात भी तेज हुआ और यह 2,11,373 इकाइयों तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक है।
इसके अलावा वैन का निर्यात भी बढ़कर 5,230 इकाइयों तक पहुँच गया, जो पिछले साल की समान अवधि से 36.5 प्रतिशत अधिक है।
एसियाम (SIAM) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय ऑटो उद्योग का निर्यात लगातार मजबूती की ओर बढ़ रहा है और वैश्विक बाजारों में भारतीय वाहनों की मांग बढ़ती जा रही है।
मारुति सुजुकी ने इस दौरान 2,05,763 यूनिट्स का निर्यात किया, जो पिछले साल की 1,47,063 यूनिट्स के मुकाबले 40% की बढ़त है। ह्युंडई मोटर इंडिया ने 99,540 यूनिट्स निर्यात किए, जो सालाना आधार पर 17% अधिक हैं, जबकि निसान मोटर इंडिया ने 37,605 यूनिट्स का निर्यात किया, जो पिछले साल के 33,059 यूनिट्स से बढ़ा है।
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अन्य कंपनियों में वॉल्क्सवैगन इंडिया ने 28,011 यूनिट्स, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने 18,880 यूनिट्स, किआ इंडिया ने 13,666 यूनिट्स और होंडा कार्स इंडिया ने 13,243 यूनिट्स का निर्यात किया। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने बताया कि इस बढ़त का मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में स्थिर मांग है, खासकर मिडिल ईस्ट और लैटिन अमेरिका में मजबूत प्रदर्शन।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कार निर्माता अपने निर्यात बाजारों का विविधीकरण कर रहे हैं। पहले छह महीनों में 24 देशों में निर्यात बढ़ा, जबकि अमेरिका में उच्च टैरिफ के कारण निर्यात में कमी आई।
ये 24 देश हैं: कोरिया, यूएई, जर्मनी, टोगो, मिस्र, वियतनाम, इराक, मेक्सिको, रूस, केन्या, नाइजीरिया, कनाडा, पोलैंड, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, बांग्लादेश, ब्राजील, बेल्जियम, इटली और तंज़ानिया।