
SEBI की 31वीं या 35वीं वर्षगांठ ?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कुछ दिनों पहले अपने 35वें स्थापना दिवस के अवसर पर नया प्रतीक चिह्न (लोगो) जारी किया था। SEBI अधिनियम 31 साल पहले 1992 में प्रभाव में आया था। SEBI की स्थापना के पीछे भी एक कहानी और लोक नीति को लेकर कुछ दिलचस्प बाते हैं। भारत में नीति […]

बैकिंग संकट एवं उनके समाधान
बैंकिंग संकट के समाधान के लिए अमेरिका सरकार के शीघ्र उठाए गए कदमों से भारत को सीख लेकर विफल वित्तीय कंपनियों के समाधान पर अधूरी नीतिगत पहल पूरी करनी चाहिए। बता रहे हैं के पी कृष्णन सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी) और कुछ अन्य बैंकों के धराशायी होने के बाद वित्तीय आर्थिक नीति में बेहतर विधियों […]

वैश्विक व्यापार और वित्तीय वैश्वीकरण का द्वंद्व
दुनिया अब तीन खेमों में बंट चुकी है। एक समूह ऐसे लोगों का है जो व्यापार और वित्तीय वैश्वीकरण दोनों का समर्थन करते हैं। दूसरा समूह ऐसे लोगों का जो राज्य का नियंत्रण चाहते हैं और दोनों तरह की स्वतंत्रता का विरोध करते हैं। तीसरा समूह उन लोगों का है जिनमें से कुछ सोचते हैं […]

G20 : वैश्वीकरण का गुरु बनकर राह दिखाए भारत
भारत को जी 20 समूह की अध्यक्षता का इस्तेमाल वैश्वीकरण के लिए दलील पेश करने तथा नियम आधारित वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बनाने में करना चाहिए। वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष बढ़ता संरक्षणवाद और औद्योगिक नीति नई समस्या बनकर उभरे हैं। भारत को वैश्वीकरण का काफी लाभ मिला है लेकिन इस मामले में नेतृत्व विकसित देशों के […]

मुद्रास्फीति और एजेंसी की जवाबदेही
वर्ष 2022 में आमतौर पर मुद्रास्फीति 6 फीसदी के स्तर के ऊपर ही रही है। यह मुद्रास्फीति के घोषित लक्ष्य की ऊपरी सीमा है। सरकार ने हाल ही में संसद में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें उसकी नाकामी की वजह बताई गई है। रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के […]