नियामक संस्थाओं पर काबिज होते पूर्व नौकरशाह, विविध प्रतिभाओं के लिए खुले नियामकीय नेतृत्व
एक पुराना अवलोकन एक बार फिर उभर आया है। देश के प्रमुख वित्तीय नियामकों मसलन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) आदि सभी के मौजूदा नियामक भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अफसरशाह हैं। अक्सर इस तथ्य के साथ एक कथानक यह जोड़ दिया […]
जेन स्ट्रीट मामला भारत के वित्तीय बाजार सुधारों के लिए एक चेतावनी
आर्बिट्राज का अर्थ होता है एक ही समय में किसी परिसंपत्ति को अलग-अलग बाजारों में खरीदना और बेचना ताकि कीमतों में अंतर का लाभ उठाया जा सके। आर्बिट्राज अलग-अलग बाजारों में एक ही परिसंपत्ति की कीमतों को करीब लाने में मदद करता है जिससे वित्तीय बाजारों को अधिक कुशल बनाने में मदद मिलती है। दूसरी […]
बेहतर हवाई सुरक्षा के लिए DGCA की संरचना में व्यापक सुधार आवश्यक
हमें हाल ही में हुई त्रासद हवाई दुर्घटना के बाद सामूहिक राष्ट्रीय शोक की घड़ी में देश की हवाई सुरक्षा क्षमताओं को लेकर आत्मावलोकन करने की भी आवश्यकता है। सैद्धांतिक तौर पर हम जानते हैं कि बाजार के स्तर पर होने वाली विफलताएं सरकारों को हस्तक्षेप के लिए प्रेरित करती हैं। कुछ ही विमानन कंपनियों […]
क्या विशेषज्ञ समिति मायने रखती है?
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी वेबसाइट पर एक दस्तावेज अपलोड किया जिसका शीर्षक था, ‘नियमन निर्माण के लिए फ्रेमवर्क।’ मोटे तौर पर इस पर ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि नियमन के क्षेत्र में इसे अत्यधिक महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। राज्य का सार दरअसल हिंसा और बलपूर्वक शक्ति के इस्तेमाल के […]
कंपनी से जुड़ी नियामकीय एजेंसियों में हो सुधार
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में नियामकीय सुधारों की भी घोषणा हुई थी किंतु इसमें वित्तीय क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया था। यद्यपि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय क्षेत्र से जुड़े नियमन को इसमें शामिल नहीं करने के पीछे कारण का उल्लेख तो नहीं किया किंतु इससे सीधे तौर पर यह संदेश मिला […]
इक्कीसवीं सदी का वित्त मंत्रालय
बीस साल से भी पहले तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसने एक रिपोर्ट ‘इक्कीसवीं सदी का वित्त मंत्रालय’ पेश की। अच्छा वित्त मंत्रालय बनाने का विचार आज भी उसी रिपोर्ट से शुरू होता है। वित्त अर्थव्यवस्था का दिमाग होता है और वित्त मंत्रालय केंद्र सरकार […]
कारगर बनें बजट के सुधार उपाय
पिछले लगभग एक दशक से भारत में नियम-कायदों से जुड़े झमेले और झंझट बहुत बढ़ गए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन्हें दूर करने के लिए कुछ दिलचस्प उपायों की घोषणा की। वित्तीय क्षेत्र के लिए वित्तीय स्थायित्व एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) के अंतर्गत एक प्रक्रिया शुरू करने […]
भारत के वित्तीय बाजार के शिल्पकार मनमोहन
दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह को भारत में बुनियादी बदलाव करने वाले योगदान के लिए सराहा जाता है। उन्होंने संसाधनों को असली अर्थव्यस्था में लाने में आधुनिक प्रतिभूति बाजार अहम भूमिका समझ ली थी, जिसके बाद उन्होंने इस बाजार का खाका तैयार किया और इसकी नींव डाली। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का […]
आरबीआई की कामयाबी के लिए सरकार का एजेंडा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए गवर्नर को मुझ जैसे तमाम स्तंभकार उन अहम सवालों के बारे में सलाह दे रहे हैं, जो उनके सामने हैं। मगर इस समय की खास बात यह है कि गवर्नर की सफलता की जिम्मेदारी सरकार पर है। अधिकतर केंद्रीय बैंकों का काम मौद्रिक नीति पर ध्यान देना ही होता […]
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच बढ़ता असंतुलन
सांविधिक नियामकीय प्राधिकारों द्वारा विधायी शक्तियों का इस्तेमाल संघवाद को सीमित करता है और इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। बता रहे हैं के पी कृष्णन भारतीय संविधान राज्य के काम को चार हिस्सों में विभाजित करता है: (क) केंद्रीय सूची, (ख) राज्य सूची, (ग) समवर्ती सूची जो केंद्र और राज्यों की साझा जिम्मेदारी है […]