कम जन्म दर के बीच गोद लेने में बढ़ती जटिलताएं
कई दशकों से हमें यह बात बताई गई है कि भारत में जनसंख्या की अधिक समस्या है। हालांकि, हाल के दिनों में चीजें बहुत बदल गई हैं। चीन और यूरोप में हमें कम जन्म दर और प्रजनन दर में तेज गिरावट के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिले हैं। हालांकि भारत में 2011 के बाद से […]
हवा की गुणवत्ता का नियंत्रण आखिर किसकी जिम्मेदारी?
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए ऐसी बातचीत की जरूरत है जो एक खास क्षेत्र के एयरशेड का ध्यान रखती हो, क्योंकि हवा गतिमान है और वह कृत्रिम कानूनी दायरों से परे है। बता रहे हैं के पी कृष्णन अब सभी यह समझते हैं कि उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता हमारे समय में […]
GSTAT के गठन में पिछले अनुभवों से सबक लेने की जरूरत
वित्त विधेयक 2023 के जरिये जीएसटी कानून में संशोधन और जीएसटी परिषद की जून 2023 की बैठकों के बाद बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर अपील पंचाट (जीएसटीएटी) शीघ्र ही परिचालन आरंभ कर सकता है। यह सही समय है जब हम उच्च गुणवत्ता वाली पंचाट के गठन के बारे में विचार करें। एक उदार लोकतांत्रिक देश […]
शेयर बाजार: रफ्तार से ज्यादा जरूरी है क्वालिटी
एक निश्चित सीमा के बाद लेनदेन का समय घटने से जरूरी नहीं कि इक्विटी बाजार की गुणवत्ता में इजाफा हो। इसके विपरीत इससे भागीदारी और विविधता घट सकती है। बता रहे हैं केपी कृष्णन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) शेयर बाजारों के निपटान समय में भारी कटौती की संभावना टटोल रहा है। सौदों के […]
Opinion: प्रस्तावित डीपीबी और नियामकीय परिदृश्य
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 हाल ही में प्रभाव में आया है। यह एक ऐसा अधिनियम है जो डिजिटल व्यक्तिगत डेटा को इस प्रकार रखने की व्यवस्था करता है कि आम लोगों के पास अपने निजी डेटा को सुरक्षित रखने का भी अधिकार हो और कानूनी उद्देश्यों से ऐसे निजी डेटा का इस्तेमाल […]
Opinion: चीन में नियामकीय संरचना में बदलाव से सीख
चीन ने हाल में अपनी वित्तीय नियामकीय संरचना में बदलाव किए हैं जिनमें स्पष्ट कर दिया गया है कि किस एजेंसी का क्या कार्य होगा। भारत को भी अब इस ओर ध्यान देना चाहिए। बता रहे हैं के पी कृष्णन वित्तीय नियामकीय संरचना का प्रश्न मूल रूप से इस बात से संबंधित है कि कौन […]
एजेंसियों के लिए स्वतंत्र निदेशक मंडल अनिवार्य
निजी कंपनियों की तरह सरकारी एजेंसियों और नियामक प्राधिकरणों के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत होना महत्त्वपूर्ण है। बता रहे हैं के पी कृष्णन किसी भी संगठन के बारे में भारतीय सोच किसी प्रमुख जिम्मेदार व्यक्ति के सिद्धांत पर आधारित है। इसके मुताबिक सही व्यक्ति के प्रभारी होने पर कोई संस्था या कंपनी […]
नियामक और सरकार के निर्देश के बीच नियमन
हाल में बिजली मंत्रालय द्वारा केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग को जारी निर्देश नियामकीय स्वायत्तता या इस क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास दोनों के लिए ठीक नहीं है। बता रहे हैं के पी कृष्णन बिजली मंत्रालय ने 8 मई को लिखे एक पत्र में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) को एक असामान्य वैधानिक निर्देश दिया। पत्र में […]
SEBI की 31वीं या 35वीं वर्षगांठ ?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कुछ दिनों पहले अपने 35वें स्थापना दिवस के अवसर पर नया प्रतीक चिह्न (लोगो) जारी किया था। SEBI अधिनियम 31 साल पहले 1992 में प्रभाव में आया था। SEBI की स्थापना के पीछे भी एक कहानी और लोक नीति को लेकर कुछ दिलचस्प बाते हैं। भारत में नीति […]
बैकिंग संकट एवं उनके समाधान
बैंकिंग संकट के समाधान के लिए अमेरिका सरकार के शीघ्र उठाए गए कदमों से भारत को सीख लेकर विफल वित्तीय कंपनियों के समाधान पर अधूरी नीतिगत पहल पूरी करनी चाहिए। बता रहे हैं के पी कृष्णन सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी) और कुछ अन्य बैंकों के धराशायी होने के बाद वित्तीय आर्थिक नीति में बेहतर विधियों […]