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लेखक : के पी कृष्णन

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख

जटिलताओं से भरा दवा क्षेत्र का नियमन

कई उपभोक्ता सामान की सूचनाओं में अक्सर विषमता की समस्या होती है। यह उम्मीद करना अनुचित है कि उपभोक्ता हर बार किसी उत्पाद, खासकर खाद्य पदार्थों और दवाओं की शुद्धता और गुणवत्ता की जांच स्वयं करेगा। उदाहरण के तौर पर, 13 मार्च को दिल्ली में एक बड़े नकली दवा कारोबार का पर्दाफाश हुआ। सरकार का […]

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बैंकिंग क्षेत्र के कानून और नियामकीय बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) को तत्काल प्रभाव से नए ग्राहकों को जोड़ने से रोक दिया। मौजूदा ग्राहकों को अपने सभी खातों से शेष राशि निकालने या इसका उपयोग करने की अनुमति दी गई , लेकिन अतिरिक्त जमा या ऋण लेनदेन की अनुमति नहीं। […]

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Opinion: केंद्रीय नियोजन में उलझे हुए शहर और जमीनी हकीकत

कल्पना कीजिए कि एक नया शहर बनाया जा रहा है। कल्पना कीजिए कि कॉलोनियों के विकास या ले-आउट पर वैसा कोई सांविधिक एकाधिकार नहीं है जैसा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण अथवा बेंगलूर विकास प्राधिकरण को मिलता है। कल्पना कीजिए कि निजी क्षेत्र बिना किसी समन्वय के जमीन पर निर्माण कर रहा है और केवल अपने […]

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कम जन्म दर के बीच गोद लेने में बढ़ती जटिलताएं

कई दशकों से हमें यह बात बताई गई है कि भारत में जनसंख्या की अधिक समस्या है। हालांकि, हाल के दिनों में चीजें बहुत बदल गई हैं। चीन और यूरोप में हमें कम जन्म दर और प्रजनन दर में तेज गिरावट के प्रतिकूल परिणाम देखने को मिले हैं। हालांकि भारत में 2011 के बाद से […]

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हवा की गुणवत्ता का नियंत्रण आखिर किसकी जिम्मेदारी?

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए ऐसी बातचीत की जरूरत है जो एक खास क्षेत्र के एयरशेड का ध्यान रखती हो, क्योंकि हवा गतिमान है और वह कृत्रिम कानूनी दायरों से परे है। बता रहे हैं के पी कृष्णन अब सभी यह समझते हैं कि उत्तर भारत में हवा की गुणवत्ता हमारे समय में […]

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GSTAT के गठन में पिछले अनुभवों से सबक लेने की जरूरत

वित्त विधेयक 2023 के जरिये जीएसटी कानून में संशोधन और जीएसटी परिषद की जून 2023 की बैठकों के बाद बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर अपील पंचाट (जीएसटीएटी) शीघ्र ही परिचालन आरंभ कर सकता है। यह सही समय है जब हम उच्च गुणवत्ता वाली पंचाट के गठन के बारे में विचार करें। एक उदार लोकतांत्रिक देश […]

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शेयर बाजार: रफ्तार से ज्यादा जरूरी है क्वालिटी

एक निश्चित सीमा के बाद लेनदेन का समय घटने से जरूरी नहीं कि इक्विटी बाजार की गुणवत्ता में इजाफा हो। इसके विपरीत इससे भागीदारी और विविधता घट सकती है। बता रहे हैं केपी कृष्णन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) शेयर बाजारों के निपटान समय में भारी कटौती की संभावना टटोल रहा है। सौदों के […]

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Opinion: प्रस्तावित डीपीबी और नियामकीय परिदृश्य

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 हाल ही में प्रभाव में आया है। यह एक ऐसा अधिनियम है जो डिजिटल व्यक्तिगत डेटा को इस प्रकार रखने की व्यवस्था करता है कि आम लोगों के पास अपने निजी डेटा को सुरक्षित रखने का भी अधिकार हो और कानूनी उद्देश्यों से ऐसे निजी डेटा का इस्तेमाल […]

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Opinion: चीन में नियामकीय संरचना में बदलाव से सीख

चीन ने हाल में अपनी वित्तीय नियामकीय संरचना में बदलाव किए हैं जिनमें स्पष्ट कर दिया गया है कि किस एजेंसी का क्या कार्य होगा। भारत को भी अब इस ओर ध्यान देना चाहिए। बता रहे हैं के पी कृष्णन वित्तीय नियामकीय संरचना का प्रश्न मूल रूप से इस बात से संबंधित है कि कौन […]

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एजेंसियों के लिए स्वतंत्र निदेशक मंडल अनिवार्य

निजी कंपनियों की तरह सरकारी एजेंसियों और नियामक प्राधिकरणों के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत होना महत्त्वपूर्ण है। बता रहे हैं के पी कृष्णन किसी भी संगठन के बारे में भारतीय सोच किसी प्रमुख जिम्मेदार व्यक्ति के सिद्धांत पर आधारित है। इसके मुताबिक सही व्यक्ति के प्रभारी होने पर कोई संस्था या कंपनी […]

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