केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि भारत डेटा सेंटर्स के लिए दुनिया की पसंदीदा जगहों में से एक है। इसकी वजह ये है कि यहां बिजली की कोई कमी नहीं है और देश का 500 गीगावाट का नेशनल ग्रिड अचानक बढ़ने वाली मांग को आसानी से संभाल सकता है।
ऊर्जा क्षेत्र पर हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गोयल ने बताया कि पहले वो बिजली और नई व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में बिजली उत्पादन की क्षमता पूरी तरह पर्याप्त है। 500 गीगावाट का ग्रिड दुनिया के सबसे बड़े ग्रिड्स में से एक है।
गोयल ने आगे कहा, “यूरोप में कोई नेशनल ग्रिड नहीं है। अमेरिका में भी नहीं है। लेकिन भारत के पास है। इसलिए हम डेटा सेंटर्स के लिए बेहतरीन जगह हैं। आने वाले सालों में इनकी संख्या बढ़ेगी, लेकिन हमारे पास इतनी बिजली होगी कि लोगों, किसानों, उद्योगों और व्यावसायिक जगहों की जरूरतें पूरी होंगी। डेटा सेंटर्स और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) की मांग भी आसानी से पूरी कर लेंगे।”
इसी बीच बड़ी टेक कंपनियां भारत में भारी निवेश कर रही हैं। अक्टूबर में गूगल ने घोषणा की कि वो आंध्र प्रदेश में अदाणी ग्रुप के साथ मिलकर गीगावाट स्केल का डेटा सेंटर बनाएगा। इसके लिए कंपनी 15 अरब डॉलर खर्च करेगी। ये एआई इंफ्रास्ट्रक्चर हब होगा।
पिछले हफ्ते अमेजन वेब सर्विसेज (AWS) ने तेलंगाना में डेटा सेंटर्स बढ़ाने के लिए 7 अरब डॉलर का निवेश प्लान बताया। ये पैसा 14 सालों में लगेगा।
इस महीने की शुरुआत में माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वो भारत में AI की मजबूत नींव बनाने के लिए 17.5 अरब डॉलर निवेश करेगी। इससे देश की AI आधारित भविष्य की तैयारी होगी।
राज्यसभा में बिजली राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लिखित जवाब में बताया कि फिलहाल देश में डेटा सेंटर्स की बिजली जरूरत करीब 1 गीगावाट है। आने वाले डेटा सेंटर्स की वजह से ये 2031-32 तक बढ़कर 13.56 गीगावाट हो जाएगी।
गोयल ने कोयला आधारित बिजली उत्पादन बढ़ाने के प्लान पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कोयले की नई क्षमता लोगों की जरूरत पूरी करने के लिए जोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम लोगों को बिजली से वंचित नहीं रख सकते। कोयला उत्पादन बढ़ने से आयात कम होगा। हम पहले ही आयात घटा चुके हैं। कोयले को सिंथेटिक गैस में बदलने जैसे विकल्प भी देख रहे हैं। हम विकासशील देश हैं, हमें बदलाव के लिए समय चाहिए और सस्ती ऊर्जा भी। बड़ी आबादी और उद्योगों की जरूरतें पूरी करनी हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा की कीमत कम रखते हुए साफ ऊर्जा की दिशा में काम करेगा। 2035 तक थर्मल पावर की जरूरत 307 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।
बिजली कंपनियों की माली हालत पर गोयल ने बताया कि चार साल पहले इनका कर्ज 1.4 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर सिर्फ 6,500 करोड़ रह गया है। विकसित भारत@2047 की ओर बढ़ते हुए ऊर्जा क्षेत्र स्केल, स्पीड और सस्टेनेबिलिटी को साथ लेकर चलने का दुनिया के लिए उदाहरण बनेगा।
(PTI के इनपुट के साथ)