Editorial: अमीर देशों में कामगारों की मांग
विकसित देशों में श्रमिकों की भारी कमी के बीच खेती, निर्माण और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करने के वास्ते भारतीय कामगारों को विदेश भेजने के लिए विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने का भारत सरकार का इरादा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड में मंगलवार को छपी खबर में भी बताया गया कि यूनान ने भारत […]
Editorial: प्रभावित होतीं आर्थिक संभावनाएं
हाल के दिनों में, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के बाद से असमानता के मुद्दे पर गंभीर चर्चा हो रही है। अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों की आम राय यह है कि महामारी के बाद दिख रहे सुधार का संबंध, मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों को मिलने वाले मुनाफे से है और वेतन पर निर्भर रहने वाले लोग, […]
Editorial: रेटिंग की बाधाएं
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य अर्थशास्त्री वी अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में वहां के अर्थशास्त्रियों ने गत सप्ताह एक निबंध संग्रह जारी किया। नागेश्वरन और उनकी टीम की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने एक ऐसा संग्रह पेश किया जो जरूरी अंत:दृष्टि प्रदान करता है तथा असमानता, देश की अंतरराष्ट्रीय कारोबारी […]
भारत एक चमकता सितारा बन गया
कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है। साल 2023 में जिस तेजी से जीएसटी और कर संग्रह बढ़ा है वह अच्छी अर्थव्यवस्था का सूचक है। दीपावली की रोशनी ने निर्यात व घरेलू बाजार में रौनक ला दी। सभी पर्यटक स्थल पूरे साल पैक रहे। होटल, रियल एस्टेट, सोना चांदी, वाहन, कपड़ा, सॉफ्टवेयर, […]
Editorial: ‘असंतोष’ और भारत की स्थिति
अब जबकि हम नई सदी के शुरुआती ढाई दशकों के समापन की ओर बढ़ रहे हैं तो एक बात स्पष्ट है कि वैश्वीकरण की दोपहर बीत चुकी है। अमेरिका और यूरोप की राजनीति बहुत बुरी तरह अप्रवासी विरोधी भावनाओं से संचालित है और इसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का घालमेल है (इटली की प्रधानमंत्री यूरोप में इस्लामिक […]
Opinion: खुले खनन से बेहतर है भूमिगत कोयला खनन
भारत के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित बनाने की दृष्टि से देखें तो भूमिगत विधि से कोयला खनन पर्यावरण की दृष्टि से एक बेहतर विकल्प है। बता रहे हैं पीएम प्रसाद और बी. वीरा रेड्डी भारत के ऊर्जा परिदृश्य में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है। हम तेजी से सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय […]
Editorial: भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का पॉजिटिव दृष्टिकोण
भारत को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की नवीनतम तथाकथित आर्टिकल चार मशविरा रिपोर्ट जो व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता पर आधारित है, वह काफी हद तक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल हालात के बावजूद जिसमें वैश्विक वृद्धि में धीमापन और बढ़ता भूराजनीतिक विभाजन शामिल है, भारत ने बीते वर्ष के […]
संसद: उल्लंघन और अतिक्रमण
संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र इतिहास में एक असाधारण बैठक के रूप में याद किया जाएगा। इस सत्र में रिकॉर्ड संख्या में सदस्यों को निलंबित किया गया। बीते कुछ दिनों में दोनों सदनों से कुल 143 सदस्यों को निलंबित किया गया। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। बीते वर्षों में संसदीय बहस का स्तर लगातार गिरा है […]
Editorial: नए जमाने का कानून
एक सदी से भी अधिक पुराने हो चुके टेलीग्राफ कानून की जगह लोकसभा में दूरसंचार विधेयक 2023 का प्रस्तुत किया जाना इस क्षेत्र के लिए एक स्वागत योग्य घटना है। यह क्षेत्र वित्तीय संकट और दो कंपनियों का दबदबा होने की आशंका से जूझ रहा है और ऐसे में माना जा रहा है कि प्रस्तावित […]
Editorial: मौद्रिक नीति को लेकर अलग दृष्टिकोण
गत सप्ताह पश्चिमी दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने संकेत दिया कि मौद्रिक नीति को लेकर वे अलग-अलग रास्ते पर हैं। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व, यूरोपीय केंद्रीय बैंक और बैंक ऑफ इंगलैंड में से किसी ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया। परंतु अपने-अपने कदमों और अर्थव्यवस्था को लेकर उनके नजरिये में काफी […]









