रिलायंस इंडस्ट्रीज चालू वित्त वर्ष के अंत तक अपनी कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए बैंकरों का चयन पूरा कर लेगी जो कंपनी की लिस्टिंग का कामकाज देखेंगे और इस संबंध में जरूरी परामर्श देंगे।
सूत्रों के अनुसार कई मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की जा सकती है और साल के अंत तक निर्गम के आकार पर भी फैसला हो सकता है। उम्मीद की जा रही है कि जियो के निर्गम का आकार देश में अभी तक आए सभी निर्गम में सबसे बड़ा होगा। विश्लेषकों का अनुमान है कि दूरसंचार कंपनी 6 अरब डॉलर का आईपीओ ला सकती है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि बाजार की स्थितियों के आधार पर साल के अंत तक इस बारे में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने संकेत दिया कि चुकता शेयर पूंजी का 2.5 से 5 फीसदी के बीच विनिवेश किया जा सकता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाल ही में एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत बड़ी आकार की कंपनियों को चुकता शेयर पूंजी के 2.5 फीसदी के साथ आईपीओ लाने की अनुमति होगी जबकि पहले यह सीमा 5 फीसदी थी। सूत्रों का मानना है कि आईपीओ में किसी रणनीतिक निवेशक के अपनी हिस्सेदारी बेचने की संभावना नहीं है।
आईपीओ का आकार लिस्टिंग के समय जियो प्लेटफॉर्म्स के मूल्यांकन पर निर्भर करेगा लेकिन अभी मूल्यांकन का दायरा 112 अरब डॉलर से लेकर 148 अरब
डॉलर तक है।
रोडशो के दौरान जियो ने कहा था कि वह 4जी से 5जी अपनाने की अपनी रफ्तार और बढ़ाएगा। कंपनी मोबाइल सेवाओं और ब्रॉडबैंड में ग्राहक जोड़ने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
दूरसंचार कंपनियां शुल्क बढ़ाने पर चर्चा कर रही हैं मगर सूत्रों ने कहा कि आईपीओ के दौरान शुल्क बढ़ाने पर जियो ने आंतरिक रूप से कोई फैसला नहीं लिया है। फिलहाल जियो के 4जी और 5जी ग्राहकों के शुल्क में कोई अंतर नहीं है। कंपनी ने किसी तरह के निर्गम लाने के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।