Cloud Seeding Delhi: दिल्ली में प्रदूषण की मार पड़ रही है। इससे राहत दिलाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) की तैयारी चल रही है। इस बारिश के लिए आज दो ट्रायल किए गए और दोनों सफल रहे। तीसरा ट्रायल भी कराया जाएगा। अब दिल्ली में कुछ इलाकों में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराई जा सकती है। दिल्ली सरकार का कहना है कि अगर कृत्रिम बारिश के परीक्षण सफल रहे, तो हम दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे। जिससे लोगों को प्रदूषण से स्थाई तौर पर राहत मिल सके।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि आज दिल्ली में कृत्रिम बारिश यानी क्लाउड सीडिंग का दूसरा ट्रायल किया गया। इसके लिए Cessna एयरक्राफ्ट ने कानपुर से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग, मयूर विहार, खड़कपुर और भोजपुर से होते हुए मेरठ एयरपोर्ट पर लैंड किया। इस दौरान pyro techniques का उपयोग करते हुए 8 क्लाउड सीडिंग फायर फ्लेयर्स छोड़े। दूसरे ट्रायल से पहले आज ही पहला ट्रायल भी सफल रहा। आज ही तीसरा ट्रायल भी होगा। अगले कुछ दिनों में 9 से 10 परीक्षण की योजना है।
उन्होंने कहा कि अब आईआईटी कानपुर की टीम का मानना है कि अगले कुछ घंटों में किसी भी समय दिल्ली में बारिश हो सकती है। सिरसा ने बताया कि अगर कृत्रिम बारिश के परीक्षण सफल रहे, तो हम दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे। कृत्रिम बारिश के लिए हवा में रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और यह परीक्षण किया गया। पिछले हफ्ते बुराड़ी के आसमान में भी विमान ने एक ट्रायल के लिए उड़ान भरी थी।
ट्रायल के दौरान विमान से कृत्रिम वर्षा कराने वाले ‘सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों’ की सीमित मात्रा का छिड़काव किया गया था। बारिश वाले बादलों का निर्माण करने के लिए हवा में कम से कम 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए लेकिन इसकी तुलना में नमी 20 प्रतिशत से भी कम होने की वजह से बारिश नहीं हुई।
कृत्रिम बारिश एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें बादलों में सिल्वर आयोडाइड, नमक या अन्य रासायनिक कणों का छिड़काव किया जाता है। इससे बादलों में मौजूद नमी बूंदों या बर्फ के कणों के रूप में एकत्रित हो जाती है और जब ये कण भारी हो जाते हैं, तो बारिश के रूप में जमीन पर गिरते हैं। इस तरह कृत्रिम बारिश हो जाती है। दिल्ली में इस बारिश का प्रयोग प्रदूषण को कम करने के लिए जा रहा है।