सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग से संबंधित नियम एवं शर्तों को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया और सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को आयोग की कमान सौंपी गई है।
देसाई वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। आयोग गठन की तारीख से 18 महीने में अपनी सिफारिशें देगा, लेकिन इनके 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की संभावना है। इसके लागू होने से रक्षा सेवाओं के कर्मियों सहित लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और लगभग 69 लाख पेंशनरधारकों को सीधा लाभ होगा।
इससे पहले के केंद्रीय वेतन आयोग में दो सदस्य थे जबकि 8वें आयोग में एक सदस्य (अंशकालिक) होगा। भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलूरु में प्रोफेसर पुलक घोष को सदस्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सचिव पंकज जैन को आयोग का सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में दिल्ली के विधान सभा चुनाव से पहले 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था। सरकार ने कहा, ‘8वां केंद्रीय वेतन आयोग अस्थायी निकाय होगा। यदि आवश्यक हो तो यह किसी भी मामले पर अंतरिम रिपोर्ट भेज सकता है, जब सिफारिशें अंतिम रूप से पूरी हो जाएं।’
केंद्रीय वेतन आयोग का गठन केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और अन्य सुविधाओं, सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य सेवा शर्तों के विभिन्न पहलुओं की जांच करने तथा आवश्यक संशोधनों पर सिफारिशें पेश करने के लिए प्रत्येक दशक में एक बार किया जाता है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘आमतौर पर वेतन आयोगों की सिफारिशों को हर दस साल के अंतराल के बाद लागू किया जाता है। इस प्रवृत्ति को देखते हुए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों का प्रभाव सामान्य रूप से 1 जनवरी 2026 से अपेक्षित होगा।’ वर्ष 2014 में गठित और 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी 7वें वेतन आयोग को अपनाने से केंद्र के खर्च में 2016-17 में 1 लाख करोड़ की वृद्धि हुई थी।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, आयोग अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देते समय केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए प्रचलित वेतन संरचना, लाभ एवं कार्य परिस्थितियों का तुलनात्मक अध्ययन करेगा। आयोग अपनी सिफारिशें देते समय देश की आर्थिक स्थिति, राजकोषीय सूझबूझ और विकास एवं कल्याणकारी व्यय के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता को भी ध्यान में रखेगा। इसके अलावा, आयोग गैर-अंशदान आधारित पेंशन योजनाओं की वित्तीय लागत और अपनी सिफारिशों का प्रभाव राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर भी परखेगा, क्योंकि राज्य आम तौर पर केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को ही कुछ संशोधनों के साथ अपनाते हैं।
सरकार ने कहा कि यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और सेवा-शर्तों में बदलाव की सिफारिश करेगा। इसमें रक्षा सेवाओं के कर्मचारी और पेंशनभोगी भी शामिल होंगे। केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन की क्रय शक्ति में महंगाई के कारण होने वाली गिरावट की भरपाई के लिए उनके महंगाई भत्ते में हर छह महीने पर बढ़ोतरी की जाती है। इसी के अनुरूप बदलाव सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दी जाने वाली महंगाई राहत में भी किया जाता है। इसके अलावा राज्यों में भी सरकारें अपने कर्मचारियों एवं पेंशनधारकों के लिए केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बदलाव करती हैं। आठवें वेतन आयोग के नियमों एवं शर्तों को विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों और कर्मचारी संगठनों से परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया गया है।