इस साल लाखों लोगों ने अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया, लेकिन एक्सपर्ट्स की समीक्षा से पता चला है कि ज्यादातर रिटर्न में गलतियां छूटे हुए आंकड़े, बेमेल जानकारी और गलत अनुमान की वजह से हुईं। इन गलतियों से कई रिटर्न खारिज हो गए, रिफंड में देरी हुई और कुछ मामलों में तो टैक्स की अतिरिक्त मांग भी आ गई।
बॉम्बे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स सोसाइटी की ट्रेजरर किंजल भुट्टा बताती हैं कि सबसे आम समस्या टैक्सपेयर्स के खुद के कैलकुलेशन और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में दिखाए गए आंकड़ों के बीच अंतर थी। कई लोगों ने कैपिटल गेन की गलत रिपोर्टिंग की, गलत छूट का दावा किया या जरूरी फॉर्म जैसे 10B/10BB, विदेशी टैक्स क्रेडिट के लिए फॉर्म 67 और रिजीम बदलने वाले फॉर्म भरना ही भूल गए। एक बड़ी गलती यह भी रही कि कई लोग समय पर ई-वेरिफाई करना भूल गए।
किंजल ने एक उदाहरण दिया: एक बड़े कॉर्पोरेट एग्जीक्यूटिव ने शेयरों से हुए मुनाफे को खुद से भर दिया, जबकि AIS में ब्रोकर की रिपोर्ट के हिसाब से अलग आंकड़ा था। इससे ऑटोमेटिक नोटिस आया और रिवाइज्ड रिटर्न भरना पड़ा।
ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर दीपेश छेड़ा कहते हैं कि ब्याज की आय न बताना, छूट वाली आय को छुपाना और पुराने एम्पलॉयर से मिली सैलरी को न दिखाना आम गलतियां रहीं। कई लोगों ने विदेशी संपत्ति या कैपिटल गेन की जानकारी नहीं दी, तो कुछ ने पुराने बैंक अकाउंट जो अब इस्तेमाल नहीं होते, उन्हें भी रिपोर्ट नहीं किया।
किंजल भुट्टा के मुताबिक कैपिटल गेन की गलत रिपोर्टिंग, TDS क्रेडिट में गलती और ब्याज की आय न दिखाने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इससे रिफंड रुक गए और डिमांड नोटिस आए। एक फ्रीलांसर ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के घाटे को गलत तरीके से दिखाया और जरूरी ऑडिट रिपोर्ट नहीं लगाई। नतीजा यह हुआ कि रिटर्न डिफेक्टिव माना गया, रिफंड चार महीने लेट हुआ और ब्याज की देनदारी भी बहुत बढ़ गई।
दीपेश छेड़ा बताते हैं कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का गलत दावा, ज्यादा छूट लेना और प्रॉपर्टी या शेयर गेन की गलत रिपोर्टिंग से अक्सर 50 से 200 फीसदी तक पेनल्टी लगी। विदेशी संपत्ति न बताने पर तो जांच और सख्त हो जाती है।
BDO इंडिया की पार्टनर दीपाश्री शेट्टी कहती हैं कि कई लोग एडवांस टैक्स की किस्तें भरकर भी उसे रिपोर्ट करना भूल गए, जिससे रिफंड कम आया और फिर रिवाइज्ड रिटर्न भरना पड़ा, प्रोसेसिंग और लेट हो गई।
Also Read: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का अलर्ट: फर्जी डोनेशन क्लेम पर टैक्सपेयर्स को मिलेगा SMS और ईमेल
एक्सपर्ट मानते हैं कि छूटे हुए आंकड़ों के अलावा गलत धारणाओं ने भी उतनी ही परेशानी पैदा की। किंजल भुट्टा कहती हैं कि लोग सोचते थे कि AIS या TIS हमेशा सही होता है या फिर हमेशा गलत, लेकिन दोनों सोच गलत साबित हुईं। खासकर शेयर मार्केट से जुड़ी एंट्रीज को क्रॉस-चेक ही नहीं किया गया।
दीपाश्री शेट्टी बताती हैं कि कई लोग मानते रहे कि न्यू टैक्स रिजीम हमेशा कम टैक्स बचाता है, जबकि ऐसा नहीं है। कई सैलरीड लोगों को लगा कि वे ITR भरते समय रिजीम नहीं बदल सकते, जो गलत है।
दीपेश छेड़ा के अनुसार छूट वाली आय रिपोर्ट करने, कैपिटल गेन को सही कैटेगरी में डालने और प्री-फिल्ड डेटा पर आंख मूंदकर भरोसा करने में भी कन्फ्यूजन रहा।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि थोड़ी प्लानिंग से ज्यादातर परेशानियां बचाई जा सकती हैं:
किंजल भुट्टा कहती हैं कि नए इनकम टैक्स एक्ट 2025 में खुलासे के नियम बदल सकते हैं, इसलिए जो फील्ड जरूरी नहीं भी हैं, उन्हें भी सावधानी से भरें क्योंकि वे आकलन का कारण बन सकते हैं।
इस साल का सबसे बड़ा सबक यही है कि समय पर तैयारी और हर आंकड़े का मिलान ही नोटिस, पेनल्टी और रिफंड की देरी से बचाने का सबसे भरोसेमंद तरीका है।