कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के 50 और अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 2 नए न्यायालय खोलने का प्रस्ताव कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा है। मंत्रालय ने यह जानकारी दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक 2025 पर प्रवर समिति के साथ साझा की है।
मंत्रालय ने समिति को बताया है कि वह ‘आईबीसी प्रक्रिया के लिए न्यायनिर्णायक प्राधिकरण नियम’ के तहत नियम बनाएगा, ताकि समयसीमा का पालन किया जाना सुनिश्चित हो सके। मंत्रालय ने समिति को बताया कि ‘यह फैसला करने वाले प्राधिकरणों की इन्फ्रा, कार्यात्मक और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यानपूर्वक मापने के बाद’ किया जाएगा।
प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘न्यायनिर्णायक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित समय सीमा का का पालन करने के लिए संबंधित प्रावधानों को सहायक कानूनों के साथ मजबूत करने की आवश्यकता होगी।’विभिन्न हितधारकों ने समिति को बताया कि न्यायिक क्षमता का विस्तार करने या पीठों की संख्या बढ़ाने और इन्फ्रा के सुधार के लिए वित्तीय आवंटन बढ़ाकर न्यायनिर्णय प्रक्रिया के पुनर्गठन की जरूरत है। एनसीएलटी में अध्यक्ष सहित सदस्यों की कुल स्वीकृत संख्या 63 है। एनसीएलटी के पीठों में 31 मार्च, 2025 तक केवल 3 पद रिक्त थे।
मौजूदा आईबीसी ढांचे के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान शुरू करने वाले आवेदन को 14 दिनों के भीतर स्वीकार किया जाना चाहिए, जबकि हकीकत में दिवाला आवेदन स्वीकार करने में न्यायनिर्णायक प्राधिकरणों को औसतन एक साल से अधिक लग जाते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा था कि सदस्यों की कमी और अपेक्षित संख्या न होने के कारण न्यायाधिकरण सप्ताह में केवल कुछ दिन या दिन में कुछ घंटे ही बैठते हैं। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि यहां तक कि उन न्यायाधिकरणों में, जहां कोई रिक्ति नहीं है, अपेक्षित इन्फ्रा के अभाव के कारण पीठों को रोटेशन के आधार पर कोर्टरूम या हॉल साझा करने के लिए मजबूर होने पड़ता है। समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि आवेदन प्राप्त करने के 3 महीने के भीतर अपील पर फैसला करने की वैधानिक समय सीमा एनसीएलएटी के लिए तय की जानी चाहिए।