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बीमा क्षेत्र में 100% FDI के प्रावधान वाला विधेयक लोकसभा में पेश, क्या हैं खास प्रावधान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था

Last Updated- December 16, 2025 | 2:33 PM IST
Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्ष के कई सदस्यों ने ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए जाने का विरोध किया, जिस पर वित्त मंत्री ने कहा कि कई मुद्दे उठाए गए हैं जो चर्चा का हिस्सा होना चाहिए और विधेयक पेश किए जाने के समय ये नहीं उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वित्तीय समावेशन का व्यापक काम हुआ है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।

बीमा ​विधेयक संसोधन के प्रावधान

  • ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’, बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में संशोधन करने के लिए लाया जा रहा है।
  • संशोधन से बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगी।
  • बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के बावजूद शीर्ष अधिकारियों में से एक-अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक या सीईओ- एक भारतीय नागरिक होना चाहिए। यह एक गैर-बीमा कंपनी के बीमा कंपनी में विलय का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

इंश्योरेंस सेक्टर ने FDI के जरिए अब तक 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं। LIC एक्ट में किए गए संशोधनों में इसके बोर्ड को ब्रांच विस्तार और भर्ती जैसे ऑपरेशनल फैसले लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और इंश्योरेंस मार्केट में और ज्यादा कंपनियों के आने की सुविधा देने पर केंद्रित है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार पैदा होगा।

क्यों लाया जा रहा विधेयक

  • बीमा क्षेत्र की वृद्धि और विकास में तेजी लाना और पॉलिसीधारकों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • विधेयक पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए पॉलिसीधारक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना का प्रावधान करता है। इससे बीमा कंपनियों, मध्यस्थों और अन्य हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी होगी, विनियमन बनाने में पारदर्शिता आएगी और क्षेत्र पर नियामक निगरानी बढ़ेगी।
  • कंपनी के अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक सदस्यों के कार्यकाल के संबंध में विधेयक पांच साल के कार्यकाल या उनके 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का प्रावधान करता है। फिलहाल, पूर्णकालिक सदस्यों के लिए ऊपरी आयु सीमा 62 वर्ष है, जबकि अध्यक्ष के लिए यह 65 वर्ष है।

विधेयक का विपक्षी सदस्यों ने किया विरोध

रिवोल्शयूनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि भला बीमा का ‘सबका बीमा’ और ‘सबकी सुरक्षा’ जैसी शब्दावली से क्या संबंध है। उन्होंने कहा कि विधेयक और इसके शीर्षक के बीच कोई तालमेल नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी की एफडीआई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उचित नहीं है। प्रेमचंद्रन का कहना था कि यह विधेयक आम लोगों की सुरक्षा के लिए नहीं है, इस कारण से भी वह इसका विरोध करते हैं।

द्रमुक सांसद टी सुमति ने कहा कि यह विधेयक देश की संघीय व्यवस्था के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि 100 फीसदी एफडीआई उचित नहीं है और यह भारतीय बीमा क्षेत्र के हितों के प्रतिकूल भी है।

तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने विधेयक के नाम को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि यह कानूनों के ‘हिंदीकरण’ का प्रयास है तथा नाम से लगता है कि यह सरकार का नारा है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर और कुछ अन्य सदस्यों ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।

एजेंसी इनपुट के साथ 

First Published - December 16, 2025 | 2:33 PM IST

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