Vodafone Idea Stock: सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले की फिर से समीक्षा करने के आदेश वोडाफोन आइडिया के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi Share) ब्रोकरेज हाउसेस के रडार पर आया है। ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल (Motilal OSwal) ने वोडाफोन आइडिया को अपग्रेड किया है और साथ ही टारगेट प्राइस 54 फीसदी बढ़ा दिया है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला साफ तौर पर Vi के लिए पॉजिटिव है, जो अब करीब 77,500 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया पर राहत के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ बातचीत करेगा।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने वोडाफोन आइडिया को ‘सेल’ से अपग्रेड कर ‘न्यूट्रल’ कर दी है। साथ ही टारगेट प्राइस 6.5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति शेयर कर दिया है। मंगलवार को Vi का शेयर 5.51 फीसदी टूटकर 9.44 रुपये पर बंद हुआ। इससे पहले, सोमवार को एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया का शेयर इंट्राडे में 10 फीसदी तक उछल गया और 52 हफ्ते का नया हाई बनाया।
मोतीलाल ओसवाल ने अनुमान जताया है कि Vi को अभी भी वित्त वर्ष 26-28 के दौरान करीब 27,000 करोड़ कैश शॉर्टफॉल का सामना करना पड़ेगा। हालांकि करीब 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ सकता है। Vi का लॉन्ग टर्म रिवाइवल अभी भी अतिरिक्त राहत उपायों पर निर्भर करता है, जैसे टैरिफ हाइक और बेहतर प्रतिस्पर्धा (खासकर ग्राहक अधिग्रहण लागत पर), जिनमें से कोई भी कंपनी के कंट्रोल में नहीं है।
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दूसरी ओर, एमके ग्लोबल ने Vi शेयर पर बिकवाली की राय बरकार रखी है। हालांकि टारगेट प्राइस 6 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति शेयर किया है।
एमके ग्लोबल का कहना है कि शीर्ष अदालत के आदेश से सरकार को वोडाफोन आइडिया की लॉन्ग टर्म पेमेंट कैपेसिटी सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त अवसर मिला है। हालांकि, फर्म ने हाई डेट और अनिश्चित सरकारी रुख के चलते वोडाफोन आइडिया के शेयर पर अपनी ‘सेल’ रेटिंग बरकरार रखी है। वोडाफोन आइडिया ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएसई को दी सूचना में कहा था कि वह दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर इस मसले का समाधान करने को तत्पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को (27 अक्टूबर) केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea) की उस याचिका पर विचार करने की अनुमति दी, जिसमें कंपनी ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लगाए गए अतिरिक्त एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) डिमांड को रद्द करने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मुद्दा सरकार की नीति के दायरे में आता है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश वोडाफोन आइडिया की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें DoT द्वारा वित्त वर्ष 2016-17 तक के AGR बकाया की नई मांगों को चुनौती दी गई थी। कंपनी का तर्क था कि AGR से जुड़ी देनदारियां पहले ही सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में तय हो चुकी हैं, इसलिए नई मांगें कानूनी रूप से उचित नहीं हैं। केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया में 49% हिस्सेदारी रखती है, और कंपनी के करीब 20 करोड़ ग्राहक हैं।
बता दें, AGR वह आधार है जिस पर दूरसंचार कंपनियां सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्जेज का भुगतान करती हैं। इस पर विवाद, खासकर नॉन-टेलीकॉम इनकम को शामिल करने को लेकर, वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों के लिए भारी फाइनैंशल बोझ बन गया था।
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक पर सलाह ब्रोकरेज हाउसेस ने दी है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से जरूर परामर्श कर लें।)